पॉल्ट्री बर्ड्स को बैटरी के पिंजरों में रखना उनके सम्मान के साथ जीने के अधिकार का उल्लंघन: दिल्ली हाईकोर्ट में याचिकाकर्ताओं की दलील
दिल्ली हाईकोर्ट को शुक्रवार को सूचित किया गया कि पॉल्ट्री के पशुओं को बैटरी के पिंजरे में रखना उनकी अंतर्निहित गरिमा और शांति से जीने के अधिकार के लिए हानिकारक है।
वरिष्ठ अधिवक्ता आनंद ग्रोवर और कृष्णन वेणुगोपाल द्वारा चीफ जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस ज्योति सिंह की खंडपीठ के समक्ष यह प्रस्तुत किया गया, जिन्होंने पशु क्रूरता के खिलाफ याचिकाओं के एक बैच पर सुनवाई की थी।
याचिकाकर्ताओं, फेडरेशन ऑफ इंडियन एनिमल प्रोटेक्शन ऑर्गनाइजेशन और पीपल फॉर एनिमल्स हैदराबाद एंड सिकंदराबाद के अनुसार, इन बैटरी के पिंजरो को एक के ऊपर एक रखा जाता है, जो अस्वथ , अस्वच्छ और अत्यधिक क्रूरता है।
ग्रोवर ने यह भी कहा कि यह पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 की धारा 11 (1) (ई) का उल्लंघन है, जो जानवरों को ऐसे किसी भी पिंजरे या अन्य पात्र में रखने पर रोक लगाता है, जिसकी ऊंचाई, लंबाई और चौड़ाई पर्याप्त रूप ऐसी न हो कि जानवरी सही ढंग से उसमें घूम फिर पाए।
इसके अलावा, यह बताया गया कि बैटरी पिंजरों का निरंतर उपयोग भारतीय पशु कल्याण बोर्ड बनाम ए नागराज और अन्य (जल्लीकट्टू मामला) में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन है, जिसमें जानवरों के सम्मान के साथ जीने के अधिकार को बरकरार रखा गया था।
हस्तक्षेपकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता अरिजीत प्रसाद ने कहा कि सरकार मुर्गियों के संबंध में एक मसौदा नीति लेकर आई है।
हालांकि, ग्रोवर ने संतोष व्यक्त किया कि मसौदा नीति स्वयं नागराज के फैसले का उल्लंघन है क्योंकि यह पिंजरों की माप 450cmsq-550cmsq निर्धारित करती है।
वरिष्ठ अधिवक्ता वेणुगोपाल ने प्रस्तुत किया कि वे केवल बैटरी के पिंजरे पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग करते हैं। इस बात पर प्रकाश डाला गया कि यह एक प्रासंगिक मुद्दा है क्योंकि अंडे अमीर और गरीब के लिए पोषण और प्रोटीन का एक महत्वपूर्ण और सस्ता स्रोत हैं, खासकर महामारी के दौरान।
बेंच ने पक्षों को अपनी लिखित दलीलें दाखिल करने का निर्देश दिया है।
मामले की अगली सुनवाई 14 मार्च 2022 को होगी।
केस टाइटल: फेडरेशन ऑफ इंडियन एनिमल प्रोटेक्शन ऑर्गनाइजेशन (FIAPO) और अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और अन्य, डब्ल्यूपी (सी) 9056/2016, जुड़े मामलों के साथ।