कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक जम्मू-कश्मीर टेरर फंडिंग मामले में दोषी करार

Update: 2022-05-19 07:52 GMT

दिल्ली की विशेष एनआईए अदालत ने गुरुवार को कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक के अपना गुनाह कबूल करने के बाद जम्मू-कश्मीर टेरर फंडिंग मामले में दोषी ठहराया गया।

सजा पर 25 मई को सुनवाई होगी।

कोर्ट ने मलिक से उनकी वित्तीय संपत्ति को लेकर हलफनामा मांगा है। इस बीच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को भी उनके वित्तीय मूल्यांकन के संबंध में रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है।

विशेष एनआईए न्यायाधीश प्रवीण सिंह ने इस साल मार्च में मामले में गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत मलिक और अन्य के खिलाफ आरोप तय किए थे।

हालांकि मलिक ने इन आरोपों में अपना गुनाह कबूल कर लिया था।

जिन अन्य लोगों पर आरोप लगाया गया और मुकदमे का दावा किया गया, उनमें हाफिज मुहम्मद सईद, शब्बीर अहमद शाह, हिजबुल मुजाहिदीन प्रमुख सलाहुद्दीन, राशिद इंजीनियर, जहूर अहमद शाह वटाली, शाहिद-उल-इस्लाम, अल्ताफ अहमद शाह @ फंटूश, नईम खान, फारूक अहमद डार @ बिट्टा कराटे और दूसरे लोग शामिल हैं।

हालांकि, कोर्ट ने तीन आरोपियों कामरान यूसुफ, जावेद अहमद भट्ट और सैयदा आसिया फिरदौस अंद्राबी को आरोपमुक्त कर दिया।

चार्जशीट के अनुसार, विभिन्न आतंकवादी संगठन जैसे लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी), हिज्ब-उल-मुजाहिद्दीन (एचएम), जम्मू और कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ), जैश-ए-मोहम्मद (JeM) ने आईएसआई के समर्थन से नागरिकों और सुरक्षा बलों पर हमला करके कश्मीर घाटी में हिंसा को अंजाम दिया था।

यह आरोप लगाया गया कि जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी और आतंकवादी गतिविधियों के वित्तपोषण के लिए हवाला सहित विभिन्न अवैध चैनलों के माध्यम से घरेलू और विदेश में धन एकत्र किया गया था। इस तरह आरोपी ने सुरक्षा बलों पर पथराव करके घाटी में व्यवधान पैदा करने के लिए एक बड़ी साजिश को अंजाम दिया गया था। इन साजिशों में व्यवस्थित रूप से स्कूलों को जलाना, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाना और भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ना शामिल है।

आगे यह भी आरोप लगाया गया कि वर्ष 1993 में अलगाववादी गतिविधियों को राजनीतिक मोर्चा देने के लिए ऑल पार्टीज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस (APHC) का गठन किया गया था।

तदनुसार, गृह मंत्रालय ने 30 मई, 2017 के आदेश के तहत एनआईए को मामला दर्ज करने का निर्देश दिया। इस प्रकार भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 120बी, 121, 121ए और यूएपीए की धारा 13, 16, 17, 18, 20, 38, 39 और 40 के तहत अपराधों के लिए मामला दर्ज किया गया था।

आरोप तय करते समय रिकॉर्ड पर मौजूद सामग्री पर विचार करते हुए न्यायालय का विचार था कि गवाहों के बयानों और दस्तावेजी साक्ष्यों ने आरोपी व्यक्तियों को एक-दूसरे से जोड़ा और अलगाव के सामान्य उद्देश्य के तहत आतंकवादी या आतंकवादी संगठनों के साथ उनका घनिष्ठ संबंध था।"

कोर्ट ने कहा था कि इस मामले में आरोपी व्यक्तियों द्वारा "ऑर्केस्ट्रा साजिश" की गई थी, क्योंकि इस तरह की साजिश में प्रत्येक खिलाड़ी के पास खेलने के लिए अपना वाद्य यंत्र होता है, लेकिन एक ही मंच साझा करते हुए प्रत्येक खिलाड़ी या ऑर्केस्ट्रा का सदस्य दूसरे खिलाड़ी और दूसरे व्यक्ति को जो भूमिका निभानी है, उसे जानता है।

केस टाइटल: एनआईए बनाम हाफिज मुहम्मद सईद और अन्य।

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