कश्मीर यूनिवर्सिटी की 'हायर एंड फायर' नीति पर हाईकोर्ट का सख्त रुख, कहा- गेस्ट फैकल्टी से शिक्षा की गुणवत्ता को गंभीर नुकसान
जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने कश्मीर यूनिवर्सिटी को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि गेस्ट और विजिटिंग फैकल्टी को नियुक्त कर अनुबंधित शिक्षकों की जरूरत को टालना स्टूडेंट्स के साथ बड़ा अन्याय है।
जस्टिस संजय धर की एकल पीठ ने कहा कि यूनिवर्सिटी अनुबंधित शिक्षकों को हटाकर गेस्ट लेक्चरर्स से काम चला रहा है, जो शक्ति का दुर्भावनापूर्ण प्रयोग है। अदालत ने यूनिवर्सिटी को निर्देश दिया कि जब तक नियमों के अनुसार स्थायी फैकल्टी गठित न हो जाए तब तक अनुबंध पर कार्यरत कानून विषय के शिक्षकों की सेवाएं जारी रखी जाएं।
अदालत ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया के शिक्षा नियमों का हवाला देते हुए कहा कि इतने बड़े स्टूडेंट संख्या वाले यूनिवर्सिटी को स्थायी फैकल्टी बनाना कानूनी जिम्मेदारी है।
कोर्ट ने कहा,
“यह दुखद स्थिति है कि यूनिवर्सिटी एडहॉक व्यवस्था से शिक्षा व्यवस्था चला रहा है। बार-बार शिक्षकों को बदलने से छात्रों की पढ़ाई पर बुरा असर पड़ता है। शिक्षक और छात्रों के बीच जो रिश्ता बनता है, वो निरंतर संवाद से ही संभव है।”
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यूनिवर्सिटी अनुबंधित शिक्षकों की सेवाएं केवल गैर-प्रदर्शन या अनुशासनहीनता के आधार पर ही समाप्त कर सकता है।
केस टाइटल : MUSHTAQ AHMAD SHAH & ORS बनाम UNIVERSITY OF KASHMIR, 2025