कर्नाटक राज्य अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति आयोग सरकार को शैक्षिक संस्था का अनुदान रोकने का निर्देश नहीं दे सकताः कर्नाटक हाईकोर्ट

Update: 2022-09-20 12:00 GMT

कर्नाटक हाईकोर्ट

कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा है कि कर्नाटक राज्य अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आयोग अधिनियम, 2002 इसके तहत गठित आयोग को किसी शैक्षणिक संस्थान को दिए जा रहे अनुदान (छात्रवृत्ति) को रोकने के लिए सरकार को निर्देश देने का अधिकार नहीं देता है।

धारवाड़ बेंच के जस्टिस एम.आई.अरुण ने श्री वासवी एजुकेशन सोसाइटी द्वारा दायर याचिका को स्वीकार कर लिया और दिनांक 16.09.2021 को दिए गए उस अंतरिम आदेश को रद्द कर दिया है,जिसके तहत आयोग ने सरकार को याचिकाकर्ता संस्थान को दिए जा रहे अनुदान को रोकने का निर्देश दिया था।

स्कूल के एक पूर्व प्रधानाध्यापक ने कुछ कदाचार के आरोपों के बाद संस्थान द्वारा उन्हें एक शिक्षक के पद पर पदावनत करने के बाद आयोग से संपर्क किया था।

कोर्ट का निष्कर्षः

पीठ ने अधिनियम की धारा 8 (बी) का उल्लेख किया जो इस प्रकार हैः

8.आयोग के कार्य - आयोग के कार्य इस प्रकार होंगे,- बी) कर्नाटक की अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों को उनके अधिकारों और सुरक्षा से वंचित करने के संबंध में विशिष्ट शिकायतों की जांच करना और इस तरह के मामलों को उपयुक्त अधिकारियों के समक्ष लाना।

अदालत ने कहा कि यह खंड आयोग को किसी संस्था के पक्ष में दिए गए अनुदान को रोकने के लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देश देने का अधिकार नहीं देता है जैसा कि वर्तमान मामले में हुआ है। कोर्ट ने यह भी नोट किया कि आक्षेपित आदेश एक अंतरिम आदेश की प्रकृति का है जो यह जांच किए बिना ही दिया गया है कि क्या याचिकाकर्ता के साथ इसलिए भेदभाव किया गया है क्योंकि वह अनुसूचित जाति वर्ग से संबंधित है?

''अन्यथा भी, अगर प्रतिवादी नंबर 1 इस निष्कर्ष पर पहुंचा था कि याचिकाकर्ता के साथ भेदभाव किया गया है क्योंकि वह अनुसूचित जाति वर्ग से संबंधित है, तो वह केवल उपयुक्त अधिकारियों के समक्ष मामले को उठाकर सुझाव दे सकता है और निर्देश जारी नहीं कर सकता है जैसा कि वर्तमान मामले में जारी किए गए हैं।''

केस टाइटल- श्री वासवी एजुकेशन सोसायटी बनाम कर्नाटक राज्य अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आयोग व अन्य

केस नंबर- रिट याचिका नंबर-101248/2022

साइटेशन- 2022 लाइव लॉ (केएआर) 369

आदेश की तिथि-13 सितंबर, 2022

प्रतिनिधित्व- एडवोकेट प्रशांत एफ. गौदर, नवीन गुडीकोट, बी.एन. महेश चंद्र और ऐश्वर्या एन. जैन याचिकाकर्ता के लिए,एडवोकेट सी. जगदीश आर-1 के लिए और एडवोकेट मल्लिकार्जुन सी. हुक्केरी आर-2 के लिए पेश हुए

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