कर्नाटक हाईकोर्ट ने वकीलों को सुप्रीम कोर्ट के परिसीमा अवधि के विस्तार का पालन करने के लिए सर्कुलर जारी किया
कर्नाटक हाईकोर्ट ने 15.03.2020 से 28.02.2022 तक की परिसीमा अवधि को छोड़कर सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी निर्देशों का पालन करने के लिए प्रिंसिपल बेंच, बेंगलुरु, धारवाड़ और कलाबुर्गी में न्यायपीठों में न्यायिक पक्ष में काम करने वाले अधिकारियों और अधिकारियों को एक सर्कुलर जारी किया।
सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान रिट याचिका (सिविल) संख्या 3/2020 में विविध आवेदन संख्या 21/2022 में निर्देश दिया कि 15.03.2020 से 28.02.2022 तक की अवधि परिसीमा के प्रयोजनों के लिए निर्धारित की जा सकती है। इसके तहत सभी न्यायिक या अर्ध-न्यायिक कार्यवाही के संबंध में कोई सामान्य या विशेष कानून को निर्धारित किया जा सकता है।
सर्कुलर में कहा गया,
"इसलिए, प्रिंसिपल बेंच, बेंगलुरु, धारवाड़ और कलबुर्गी की बेंचों में न्यायिक पक्ष में काम करने वाले सभी अधिकारियों और अधिवक्ताओं को माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा विविध आवेदन संख्या 21/2022, स्वत: संज्ञान रिट याचिका (सिविल) संख्या 3/2020 में 10.01.2022 के आदेश के तहत पारित निर्देशों का पालन करने का निर्देश दिया जाता है।"
चीफ जस्टिस एनवी रमाना, जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स-ऑन-रिकॉर्ड एसोसिएशन (एससीएओआरए) द्वारा दायर एक आवेदन पर स्वत: संज्ञान मामले में विस्तार के लिए पुन: संज्ञान में आदेश पारित किया था।
23 मार्च, 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने COVID-19 स्थिति पर स्वत: संज्ञान लेने के बाद पहली बार परिसीमा के विस्तार का आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने देश को सामान्य स्थिति में लौटता देख आठ मार्च, 2021 को 14.03.2021 से परिसीमा के विस्तार को समाप्त कर दिया था।
हालांकि, अप्रैल 2021 में COVID-19 की दूसरी लहर के मद्देनजर आदेशों को दोबारा लागू किया गया। इसे 23 सितंबर, 2021 के आदेश द्वारा दो अक्टूबर, 2021 से सामान्य होती स्थिति को देखते हुए इसे वापस ले लिया गया।
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