कर्नाटक हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जानवरों का अवैध तरीके से वध रोकने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में पूछा

Update: 2022-06-28 06:30 GMT

कर्नाटक हाईकोर्ट

कर्नाटक हाईकोर्ट ने मंगलवार को राज्य सरकार और अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर राज्य में जानवरों का अवैध तरीके से वध रोकने के लिए एक दिसंबर, 2021 के अपने आदेश के अनुसार उठाए गए कदमों के बारे में जवाब मांगा।

चीफ जस्टिस रितु राज अवस्थी और जस्टिस सचिन शंकर मगदुम की खंडपीठ ने गौ ज्ञान फाउंडेशन द्वारा दायर याचिका पर प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया। कोर्ट ने उनसे स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहा।

अदालत ने एक दिसंबर, 2021 को अपने आदेश में कहा था,

"जवाब देने वाले प्रतिवादियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया जाता है कि राज्य के किसी भी जिले में इस तरह जानवरों का तरीके से वध नहीं किया जाए। साथ ही यह सुनिश्चित करने के लिए तत्काल उपचारात्मक उपाय किए जाएंगे कि ऐसी कोई भी अवैध गतिविधि न हो।"

इसमें कहा गया कि यदि अधिकारियों द्वारा जानवरों का अवैध तरीके से वध पाया जाता है तो संबंधित अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया जाएगा। इसके अलावा, जानवरों का अवैध तरीके से वध करने में शामिल व्यक्तियों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई सहित कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

याचिकाकर्ता के एडवोकेट रुद्रप्पा पी ने प्रस्तुत किया कि उपरोक्त आदेश पारित करने के बाद भी प्रतिवादियों द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की जाती है और कई एफआईआर दर्ज की गई हैं।

इसके बाद पीठ ने कहा,

"याचिकाकर्ता स्थानीय निकाय के लाइसेंसिंग प्राधिकरण को पैरवी करेगा, जिसने जानवरों के अवैध तरीके से वध और परिवहन के लिए लाइसेंस जारी किया है।"

कोर्ट ने यह भी जोड़ा,

"अदालत ने एक दिसंबर, 2021 के आदेश में राज्य और संबंधित प्राधिकरण को यह सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न निर्देश जारी किए थे कि जानवरों  का अवैध तरीके से वध नहीं किया जाए और जानवरों के अवैध परिवहन को रोका जाएगा। हालांकि, प्रतिवादियों द्वारा कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया गया है। जिसके कारण राज्य में ये अवैध गतिविधियां जारी हैं, खासकर मांड्या, हासन, तुमकुरु और बेंगलुरु जिलों में। एजीए निर्देश मांग सकता है और उपरोक्त अदालत के निर्देशों के अनुसार उठाए गए कदमों के बारे में स्थिति रिपोर्ट दर्ज कर सकता है।"

मामले की अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी।

केस टाइटल: गौ ज्ञान फाउंडेशन बनाम कर्नाटक राज्य

केस नंबर: डब्ल्यूपी 5624/2022

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