कर्नाटक हाईकोर्ट ने नवजात बच्ची को बेचने में मदद करने के आरोपी सरकारी अस्पताल की नर्स को अग्रिम जमानत दी
कर्नाटक हाईकोर्ट (Karnataka High Court) ने नवजात बच्ची को बेचने में मदद करने के आरोपी सरकारी अस्पताल की नर्स को अग्रिम जमानत दी।
कोर्ट ने देखा कि शिशु की मां ने वित्तीय कठिनाई के कारण उसे पालने में अनिच्छा व्यक्त की थी।
जस्टिस शिवशंकर अमरनवर की एकल न्यायाधीश की पीठ ने पाया कि इस शिकायत में कोई विशिष्ट प्रकथन नहीं है कि याचिकाकर्ता-नर्स ने बेचने की सुविधा दी।
बच्ची को आरोपी नंबर 2 को सौंपे जाने के तुरंत बाद शिशु की मां ने शिकायत दर्ज कराई थी। दरअसल, बच्ची को 1,00,000/- के नकद और रु.70,000/- रुपए के चेक के बदले बेचा गया था। मां ने जोर देकर कहा कि वह अपनी बच्ची को वापस चाहती है और जब याचिकाकर्ता उसे लाने में विफल रही, तो किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 की धारा 80 और 81 और आईपीसी की धारा 34 के साथ पढ़ी जाने वाली धारा 317 के तहत शिकायत दर्ज कराई।
अभियोजन पक्ष ने तर्क दिया कि शिकायत के तथ्यों के माध्यम से कोई भी यह कह सकता है कि याचिकाकर्ता ने शिकायतकर्ता और अभियुक्त संख्या 2 के बीच "मध्यस्थ" के रूप में काम किया है। एक सरकारी अस्पताल में एक नर्स होने के नाते उसने अपने पद का दुरुपयोग किया और कथित अपराध किया। इसके अलावा, अगर उसे जमानत दी जाती है, तो उसके जांच में बाधा डालने और अभियोजन पक्ष के गवाहों से छेड़छाड़ करने की संभावना है।
उच्च न्यायालय ने पाया कि इस याचिकाकर्ता के खिलाफ कथित अपराध मृत्यु या आजीवन कारावास के साथ दंडनीय नहीं है और किसी भी मामले में, जांच पूरी करने और चार्जशीट दाखिल करने के बाद आरोप और उसकी संलिप्तता का पता लगाया जा सकता है।
आगे कहा,
"याचिकाकर्ता जांच में पुलिस के साथ सहयोग करने के लिए तैयार है। याचिकाकर्ता एक महिला है। इस याचिकाकर्ता का कोई आपराधिक इतिहास नहीं है। अभियोजन पक्ष की मुख्य आशंका यह है कि अगर याचिकाकर्ता को जमानत दी जाती है, तो वह जांच में बाधा उत्पन्न करेगी और अभियोजन पक्ष के गवाहों से छेड़छाड़ करता है, उक्त आपत्ति को कड़ी शर्तें लगाकर पूरा किया जा सकता है।"
इसके साथ ही कोर्ट ने जांच अधिकारी की संतुष्टि के लिए 1 लाख रुपये के निजी बॉन्ड भरने और इतनी ही राशि का एक जमानतदार पेश करने की शर्त पर अग्रिम जमानत दी। इसके अलावा कोर्ट ने अन्य शर्तें भी लगाईं।
केस टाइटल: अश्विनी गणपति हरिकांत बनाम कर्नाटक राज्य
केस नंबर: आपराधिक याचिका संख्या 103215 फ 2022
साइटेशन: 2022 लाइव लॉ 462
आदेश की तिथि: 9 नवंबर, 2022
प्रतिनिधित्व: प्रशांत एस कददेवर, याचिकाकर्ता के वकील; प्रशांत वी. मोगाली, एचसीजीपी आर1 और आर2 के लिए।
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