पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने AFT के आदेशों का पालन न करने के लिए केंद्र सरकार के अधिकारियों के उदासीन रवैये पर चिंता जताई

Update: 2024-07-23 09:26 GMT

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने सशस्त्र बल न्यायाधिकरण (AFT) के आदेशों का पालन न करने के लिए केंद्र सरकार के अधिकारियों के उदासीन रवैये के प्रति अपनी गहरी निराशा और पीड़ा व्यक्त की।

यह घटनाक्रम रिटायर सैन्य कर्मियों की विधवा की याचिका पर सुनवाई के दौरान सामने आया, जिसमें केंद्र सरकार को पिछले डेढ़ साल से लंबित पारिवारिक पेंशन देने के AFT चंडीगढ़ के निर्देश को लागू करने के निर्देश देने की मांग की गई थी।

जस्टिस सुधीर सिंह और जस्टिस करमजीत सिंह ने कहा,

"यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है, जहां AFT द्वारा पारित आदेश को लागू करने के बजाय प्रतिवादियों ने याचिकाकर्ता, जो रिटायर सैन्यकर्मी की विधवा है, उसको इस न्यायालय का दरवाजा खटखटाने के लिए मजबूर किया। इसके अलावा, AFT के समक्ष निष्पादन आवेदन में दिनांक 01.11.2022 के आदेश के कार्यान्वयन के लिए समय-समय पर निर्देश जारी करने के बावजूद, उक्त आदेश का आज तक अनुपालन नहीं किया गया। यह निर्विवाद है कि AFT द्वारा पारित दिनांक 01.11.2022 का आदेश अंतिम हो गया, क्योंकि उक्त आदेश के खिलाफ आधिकारिक प्रतिवादियों द्वारा कोई अपील या संशोधन दायर नहीं किया गया।"

शिव देई गुलेरिया ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर केंद्र सरकार के अधिकारियों को नवंबर 2022 में AFT, क्षेत्रीय पीठ, चंडीगढ़ द्वारा पारित आदेश को लागू करने का निर्देश देने के लिए परमादेश की प्रकृति में रिट जारी करने की मांग की, जिसके तहत प्रतिवादियों को तीन महीने की अवधि के भीतर याचिकाकर्ता को पारिवारिक पेंशन देने का निर्देश दिया गया।

विधवा की ओर से पेश वकील ने दलील दी कि AFT द्वारा 2022 में पारित आदेश को केंद्र सरकार के अधिकारियों द्वारा लागू नहीं किया जा रहा है, इस तथ्य के बावजूद कि याचिकाकर्ता द्वारा एएफटी के समक्ष दायर निष्पादन आवेदन में उक्त आदेश का पालन करने के लिए विभिन्न निर्देश जारी किए गए।

केंद्र सरकार की ओर से नोटिस स्वीकार करते हुए सीनियर पैनल वकील गीता सिंघवाल ने प्रस्तुत किया कि AFT के समक्ष निष्पादन आवेदन 25 सितंबर के लिए तय किया गया और AFT द्वारा पारित आदेश को प्रतिवादियों द्वारा उक्त तिथि से पहले लागू किया जाएगा।

दलीलें सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा,

"हालांकि, इस बारे में कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया कि AFT द्वारा पारित 01.11.2022 के आदेश का आज तक अनुपालन क्यों नहीं किया गया। जो भी हो, यह न्यायालय आधिकारिक प्रतिवादियों के उदासीन रवैये के प्रति अपनी गहरी निराशा और पीड़ा दर्ज करता है।

खंडपीठ ने आगे कहा,

वास्तव में हमें "पिछले डेढ़ साल से अधिक समय से AFT द्वारा पारित दिनांक 01.11.2022 के आदेश का अनुपालन न करने में आधिकारिक प्रतिवादियों की ओर से कोई औचित्य नहीं मिलता।"

याचिका का निपटारा करते हुए न्यायालय ने AFT को निर्देश दिया,

"अपने समक्ष लंबित निष्पादन कार्यवाही को शीघ्रता से समाप्त करें, लेकिन तीन महीने से अधिक समय नहीं।"

केस टाइटल: शिव देई गुलेरिया बनाम यूओआई और अन्य।

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