कर्नाटक हाईकोर्ट ने बेंगलुरु करागा महोत्सव जुलूस की अनुमति दी

Update: 2022-04-14 10:19 GMT

कर्नाटक हाईकोर्ट ने बुधवार को आयोजकों को 16 अप्रैल को बेंगलुरू करागा उत्सव के रूप में लोकप्रिय करागा महोत्सव में रात भर जुलूस निकालने की अनुमति दी।

चीफ जस्टिस रितु राज अवस्थी और जस्टिस एस आर कृष्ण कुमार की खंडपीठ ने तीन मार्च के अपने अंतरिम आदेश को संशोधित किया, जिसमें बेंच ने निर्देश दिया था कि जुलूस, विरोध आदि किसी भी समूह, राजनीतिक या गैर-राजनीतिक संगठनों द्वारा आयोजित नहीं किए जाने चाहिए।

आयोजकों धर्मराय स्वामी मंदिर की प्रबंध समिति ने अनुमति के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया था। आवेदकों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एस विवेक रेड्डी ने प्रस्तुत किया कि इस न्यायालय द्वारा पारित आदेश दिनांक 03.03.2022 करागा उत्सव आयोजित करने के लिए आवेदक के रास्ते में आ रहा है, जो हिंदू -मुस्लिम एकता के प्रतीक का सबसे पुराने त्योहारों में से एक है। उक्त त्यौहार कर्नाटक राज्य में 300 से अधिक वर्षों के इतिहास के साथ मनाया जाता है।

आवेदन में कहा गया कि करागा एक लोक नृत्य उत्सव है जिसे बेंगलुरु का सांस्कृतिक गौरव माना जाता है। अनुष्ठान थिगलरपेट में धर्मरायस्वामी मंदिर से शुरू होता है। यह मंदिर देश में पांडवों को समर्पित एकमात्र मंदिर है। करागा त्योहार मूल रूप से प्रकृति और पानी का उत्सव है। दक्षिण भारतीय राज्य कर्नाटक में मुख्य रूप से तिगला समुदाय द्वारा हिंदू कैलेंडर के चैत्र (मार्च / अप्रैल) महीने में करगा उत्सव प्रतिवर्ष मनाया जाता है। यह त्यौहार द्रौपदी को आदर्श महिला और शक्ति की देवी (शक्ति) के रूप में मनाता है और उनका सम्मान करता है, क्योंकि वह सभी परीक्षणों और क्लेशों के बाद मजबूत और आदर्श नारीत्व के प्रतीक के रूप में उभरी हैं।

इसके अलावा इसने कहा कि इस न्यायालय द्वारा पारित पूर्वोक्त आदेश पूर्णिमा की रात को होने वाले रात के जुलूस के रास्ते में आ रहा है। इस तरह, दिनांक 03.03.2022 के आदेश को वर्तमान वर्ष के लिए उस हद तक संशोधित करने की आवश्यकता है।

पीठ ने रिकॉर्ड देखने पर कहा,

"उपरोक्त तथ्यों, परिस्थितियों और आवेदन में किए गए कथनों को ध्यान में रखते हुए यह सुनिश्चित करने के बाद कि उक्त जुलूस इस संबंध में यातायात में बाधा नहीं पैदा करेगा, हम उपरोक्त आदेश दिनांक 03.03.2022 को संशोधित करना और करागा महोत्सव के उत्सव की अनुमति देना उचित समझते हैं, जिसे बेंगलुरू शहर में 16.04.2022 को बेंगलुरु करागा उत्सव के लोकप्रिय रूप में जाना जाता है।

तदनुसार यह कहा गया,

"अंतरिम आदेश दिनांक 03.03.2022 को उक्त सीमा तक संशोधित करके यह स्पष्ट किया जाता है कि उक्त अंतरिम आदेश में जारी शेष नियम और शर्तें और निर्देश सुनवाई की अगली तारीख तक जारी रहेंगे और लागू रहेंगे।"

हाईकोर्ट के एक सिटिंग जज द्वारा संबोधित एक पत्र के आधार पर शुरू की गई एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान यह निर्देश दिया गया।

केस शीर्षक: स्वतः संज्ञान बनाम कर्नाटक राज्य

केस नंबर: डब्ल्यूपी 5781/2021

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