संज्ञेय अपराधों के लिए एफआईआर जांच/छापे से पहले दर्ज होनी चाहिए: कर्नाटक हाईकोर्ट ने डांस बार के खिलाफ मामला खारिज किया

Update: 2022-07-15 07:21 GMT

कर्नाटक हाईकोर्ट

कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा कि डांस बार पर छापेमारी करने के बाद संज्ञेय अपराधों को शामिल करते हुए एफआईआर दर्ज करने की कानूनन अनुमति नहीं है।

जस्टिस हेमंत चंदनगौदर की एकल पीठ ने ब्रिगेड ब्लूज़ बार एंड रेस्टोरेंट के पार्टनर पी.एन.चंद्रशेखर और अन्य कर्मचारियों के खिलाफ शुरू की गई कार्यवाही को रद्द कर दिया।

बेंच ने ललिता कुमारी बनाम उत्तर प्रदेश सरकार और अन्य (2014) 2 SCC 1 के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भरोसा किया और कहा,

"संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत आरोपी के अधिकार की रक्षा की जाती है, अगर एफआईआर पहले रजिस्टर्ड की जाती है और फिर कानून के प्रावधानों के अनुसार जांच की जाती है।"

सब-इंस्पेक्टर, कब्बन पार्क पुलिस स्टेशन द्वारा दर्ज एफआईआर के अनुसार, आरोप लगाया गया कि 09.05.2016 को विश्वसनीय सूचना मिलने पर पुलिस कर्मियों ने ब्रिगेड ब्लूज़ बार और रेस्तरां पर छापा मारा और यह पाया गया कि लड़कियां अभद्र तरीके से बार में नृत्य कर रही हैं और ग्राहक उन पर पैसे फेंक रहे हैं। आगे आरोप है कि आरोपी नंबर एक बार और रेस्तरां का कैशियर/पार्टनर है, आरोपी नंबर दो वह व्यक्ति है, जो महिलाओं के लिए आवश्यक सामग्री की आपूर्ति करता है, आरोपी नंबर तीन वह व्यक्ति है जो आदेश प्राप्त करता है, आरोपी नंबर दो वह व्यक्ति है जो आदेश प्राप्त करता है। आरोपी चार बार मैन है और आरोपी नंबर पांच वेटर है।

पुलिस ने जांच के बाद भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 370(3), 370ए(2), 294 और 109 के तहत दंडनीय अपराधों के लिए चार्जशीट दाखिल की।

याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश एडवोकेट गिरीशा जेटी ने कहा कि आरोप पत्र में याचिकाकर्ताओं के खिलाफ आरोपित अपराध संज्ञेय हैं, इसलिए पुलिस को जांच करने से पहले एफआईआर दर्ज करने की आवश्यकता है। हालांकि, वर्तमान मामले में पुलिस ने याचिकाकर्ता-आरोपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज किए बिना जांच की है और यह कानून के अधिकार के बाहर है।

अभियोजन पक्ष ने कहा कि आरोप पत्र की सामग्री से पता चलता है कि याचिकाकर्ता-अभियुक्तों ने उपरोक्त अपराध किए और मजिस्ट्रेट ने उपरोक्त अपराधों का संज्ञान लिया।

इसके बाद अदालत ने कहा,

"मौजूदा मामले में यह कहते हुए कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया जा सकता है कि छापेमारी करने से पहले एफआईआर दर्ज नहीं की गई थी। इसलिए कानून में छापेमारी करने के बाद एफआईआर दर्ज करने की अनुमति नहीं है।"

केस टाइटल: पी.एन.चंद्रशेखर बनाम कर्नाटक राज्य

केस नंबर: आपराधिक याचिका संख्या 7589/2019

साइटेशन: 2022 लाइव लॉ (कर) 264

आदेश की तिथि: 28 जून, 2022

उपस्थिति: याचिकाकर्ताओं के लिए एडवोकेट गिरीशा जे टी; R1 के लिए एचसीजीपी एस. विश्वमूर्ति।

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