24 अगस्त को आयोजित परीक्षा में दृष्टिबाधित उम्मीदवारों को उपलब्ध कराए गए स्क्रिब्स का विवरण प्रस्तुत करे केपीएससी : कर्नाटक हाईकोर्ट ने दिया निर्देश
कर्नाटक हाईकोर्ट ने सोमवार को कर्नाटक लोक सेवा आयोग को निर्देश दिया है कि वह इस बात का विवरण उपलब्ध कराएं कि 24 अगस्त को राजपत्रित परिवीक्षाधीन पद के लिए आयोजित प्रारंभिक परीक्षा में उपस्थित होने वाले कितने उम्मीदवार दृष्टिहीन थे और उनमें से कितने को स्क्रिब्स या लेखक की सुविधा प्रदान की गई थी। वहीं इन लेखकों की योग्यता क्या थी?
याचिकाकर्ता, द नेशनल फेडरेशन ऑफ द ब्लाइंड की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता जयना कोठारी ने कहा कि
''अदालत द्वारा पूर्व में दिए गए निर्देशों के अनुसार, प्रति घंटे के हिसाब से 20 मिनट का अतिरिक्त समय प्रदान किया गया था। हालांकि, केपीएससी द्वारा उपलब्ध कराए गए लेखकों के मामले में कई समस्याएं थी। जिन छात्रों ने जनवरी-फरवरी में ही अपने लेेखक या लिखनेवालों के लिए अनुरोध दिए थे, उनमें से कई छात्रों को कोरोना महामारी की स्थिति के कारण अलग लेखक उपलब्ध करा दिए गए थे। उन्हें उन लेखकों को अपने साथ रखने की अनुमति नहीं दी गई,जिनके लिए उन्होंने आग्रह किया था। वहीं केपीएससी द्वारा उपलब्ध कराए गए लेखकों में से कई की योग्यता केंद्र सरकार के दिशानिर्देशों के अनुसार नहीं थी।''
मुख्य न्यायाधीश अभय ओका और न्यायमूर्ति एन एस संजय गौड़ा की खंडपीठ ने याचिकाकर्ताओं को निर्देश दिया है कि वे इस मामले में किए गए उल्लंघनों के संबंध में एक अतिरिक्त हलफनामा दायर करें। वहीं केपीएससी को निर्देश दिया गया है कि इन पर विचार करें और आपत्तियों पर अपना बयान 28 सितंबर तक दाखिल करें।
केपीएससी की ओर से पेश अधिवक्ता रूबेन जैकब ने अदालत को सूचित किया कि अदालत के पूर्व के निर्देशों के अनुसार उन्होंने प्रति घंटे के हिसाब से 20 मिनट का अतिरिक्त समय दे दिया था और लिखने वालों की या लेखकों की सुविधा भी उपलब्ध कराई गई थी। जिस पर पीठ ने कहा, ''सबसे पहले, आप हमें बताएं कि आपने परीक्षा के समय क्या किया था? दूसरा अब अदालत को आश्वस्त करें कि दिशानिर्देश कानून के अनुरूप हैं।''
जैकब ने आपत्तियों पर बयान दायर दर्ज करने के लिए दो सप्ताह का समय मांगा क्योंकि 24 अगस्त को आयोजित परीक्षा के बाद संबंधित व्यक्ति कोरोना पाॅजिटिव पाया गया था।
पीठ ने इस अनुरोध को स्वीकार कर लिया और मामले में आगे की सुनवाई करने के लिए तीस सितम्बर की तारीख तय की है।
अदालत ने 20 अगस्त को परीक्षा स्थगित करने से इनकार करते हुए यह स्पष्ट कर दिया था कि परीक्षा की वैधता के मुद्दे पर फिलहाल विचार किया जाएगा।
पीठ ने कहा था
' परीक्षा 24 अगस्त को आयोजित होने वाली हैं, इसलिए हम परीक्षा को स्थगित करने के लिए कोई अंतरिम आदेश जारी नहीं कर रहे हैं। हम हालांकि, यह स्पष्ट करते हैं कि परीक्षा की वैधता का मुद्दा स्पष्ट रूप से दृष्टिबाधित उम्मीदवारों के संबंध में अभी खुला रखा जाएगा।"
याचिका में कहा गया था कि प्रतिवादियों द्वारा द राइट आॅफ पर्सन विद डिसबिलिटी एक्ट के प्रावधानों का अनुपालन नहीं किया जा रहा है। इसके अलावा, राज्य सरकार द्वारा जारी दिशानिर्देश भी 29 अगस्त, 2018 को जारी केंद्र सरकार के दिशानिर्देशों (जो अधिनियम के अनुसार जारी किए गए हैं)के अनुरूप नहीं हैं।
याचिका में मांग की गई थी कि केपीएससी को निर्देश दिया जाए कि वह अभ्यर्थियों को हर घंटे के हिसाब से 20 मिनट का अतिरिक्त समय दे या उन अभ्यर्थियों को एक घंटे का अतिरिक्त समय दिया जाए,जो लेखक की सुविधा का लाभ नहीं लेना चाहते हैं। केपीएससी को लिखने वालों का एक पैनल बनाना चाहिए। जिसके बाद यह विकल्प दिया जाए कि या तो अभ्यर्थी अपना लेखक ले आए या फिर पैनल से एक सक्षम लेखक उपलब्ध करा दिया जाए।