बेंगलुरु दंगा मामले में संपत्ति के नुकसान का अनुमान लगाने/ जांच करने के लिए कर्नाटक हाईकोर्ट ने सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति एच के केम्पन्ना को क्लेम कमीश्नर नियुक्त किया

Update: 2020-08-28 14:29 GMT

कर्नाटक हाईकोर्ट ने शुक्रवार को सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति एच एस केम्पन्ना को क्लेम कमीश्नर के रूप में नियुक्त किया है। उनकी नियुक्ति 11 अगस्त को डीजे हल्ली और केजी हल्ली पुलिस स्टेशनों की सीमाओं के अंतर्गत संपत्तियों को नष्ट करने के कारण हुए नुकसान का अनुमान लगाने व जांच करने के लिए की गई है।

मुख्य न्यायाधीश अभय ओका और न्यायमूर्ति अशोक एस किन्गी की खंडपीठ ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह अदालत के आदेश की वेब होस्टिंग के एक सप्ताह के भीतर एक अधिसूचना जारी करे,जिसमें क्लेम कमीश्नर की नियुक्ति के बारे में जानकारी दी जाए। राज्य को यह भी निर्देश दिया गया है कि वह क्लेम कमीश्नर को कार्यालय, फर्नीचर, वाहन और उपयुक्त कर्मचारी जैसी बुनियादी सुविधाएं प्रदान करे।

पीठ ने कहा,

'' क्लेम कमीश्नर  इस अदालत के सेवानिवृत्त न्यायाधीश हैं। इसलिए राज्य सरकार बुनियादी सुविधाओं की जरूरत के संबंध में उनसे परामर्श करें। इस न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश के रूप में उनके ओहदे पर विचार करते हुए राज्य उनके लिए पारितोषिक भी तय कर सकती है।''

अदालत ने राज्य सरकार को यह भी निर्देश दिया है कि वह क्लेम कमीश्नर की नियुक्ति के संबंध में व्यापक प्रचार करे और ऐसे व्यक्तियों को बुलाए जिनकी संपत्ति नष्ट हो गई है या वह क्लेम कमीश्नर के समक्ष अपना विवरण पेश कर सकें ताकि कमीश्नर उनकी क्षति का आकलन कर सकें। सार्वजनिक नोटिस (जिसका प्रारूप क्लेम कमीश्नर द्वारा अनुमोदित करवाया जाना चाहिए) में आम जनता से कहा जाए कि वह क्लेम कमीश्नर के समक्ष मौजूद वीडियो व रिकार्डिंग पेश करें ताकि नुकसान के साथ अपराधियों की सांठगांठ या संबंधों को भी तय किया जा सकें।

आदेश में कहा गया है कि राज्य सरकार और पुलिस तंत्र भी क्लेम कमीश्नर के समक्ष ऐसे वीडियो या अन्य रिकॉर्डिंग प्रस्तुत करने के लिए स्वतंत्र होंगे, जिनमें सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की गतिविधि नजर आ रही हैं।

पीठ ने अपने आदेश में यह भी स्पष्ट किया है कि महामारी से उत्पन्न स्थिति को देखते हुए दावा आयुक्त के लिए यह ओपन होगा कि वह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सारी कार्यवाही पूरी करें। जिसमें वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बयान की रिकॉर्डिंग भी शामिल होगी। इस अदालत ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के लिए नियम तय किए हैं,जो इस कार्यवाही में क्लेम कमीश्नर की सहायता करेंगे या उनके मार्गदर्शक का काम करेंगे।

राज्य सरकार ने क्लेम कमीश्नर नियुक्त करने के लिए अदालत से संपर्क किया था। राज्य ने भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जारी किए गए निर्देशों का संदर्भ दिया था। जो 16 अप्रैल 2009 को Re:सार्वजनिक और निजी संपत्तियों का नुकसान, (2009) 54 एससीसी 212 मामले में फैसला देते हुए क्लेम कमीश्नर की नियुक्ति के संबंध में जारी किए थे।

मामले में दायर आवेदन में कहा गया था कि 11 अगस्त की शाम को लगभग 300 लोगों की भीड़ डी.जे. हल्ली पुलिस स्टेशन के पास एकत्रित हो गई थी। जो फेसबुक पेज पर एक पी नवीन नामक व्यक्ति द्वारा पैगंबर मोहम्मद पर एक कथित अपमानजनक टिप्पणी के खिलाफ प्रदर्शन कर रही थी। एक फिरदौस पाशा की तरफ से दी गई शिकायत के आधार पर भारतीय दंड संहिता की धारा 295-ए और 153 के तहत अपराध के लिए प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

एफआईआर दर्ज करने और भीड़ को शांत करने के लिए पुलिस के बेहतरीन प्रयासों के बावजूद, पुलिस स्टेशन के बाहर जमा भीड़ ने वहां से हटने से इनकार कर दिया और उनकी संख्या में वृद्धि होती चली गई। इसके बाद यह भीड़ पुलकेशी नगर निर्वाचन क्षेत्र से विधायक अखंड श्रीनिवास मूर्ति के घर के बाहर इकट्ठा होने के लिए आगे बढ़ गई और उनके घर व संपत्ति को काफी नुकसान पहुँचाया।

इसके बाद इस भीड़ में आसपास के इलाकों से बड़ी संख्या में उपद्रवी भी शामिल हो गए और उन्होंने पुलिस वाहनों में आग लगाना शुरू कर दिया और डी.जे.हल्ली और केजी हल्ली पुलिस थाने के पुलिस कर्मियों पर हमला किया। भीड़ ने थाने की इमारत पर पत्थर फेंककर और घातक हथियारों से भी हमला किया। बाद में, भीड़ ने आगजनी का सहारा लिया और डी.जे हल्ली पुलिस स्टेशन के बेसमेंट में आग लगा दी। वहीं थाने के परिसर में स्थित सरकारी संपत्तियों को भी नष्ट कर दिया।

इस हिंसा में 80 से अधिक पुलिस कर्मी घायल हुए थे। भीड़ ने निजी वाहनों और संपत्ति को भी जला दिया था। निजी और वाणिज्यिक संस्थानों की इमारतों को व्यापक नुकसान पहुंचाया गया और उन्हें लूटा भी गया। इस मामले में अब तक कुल 64 आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं और जांच की प्रक्रिया अभी चल रही है।

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