'स्किन टू स्किन टच' मामले में विवादित फैसला देने वाली बॉम्बे हाईकोर्ट की जज जस्टिस पुष्पा गनेडीवाला ने इस्तीफा दिया

Update: 2022-02-11 04:20 GMT

बॉम्बे हाईकोर्ट

'स्किन टू स्किन टच' मामले (Skin To Skin Contact Case) में विवादित फैसला देने वाली बॉम्बे हाईकोर्ट (नागपुर बेंच) की जज जस्टिस पुष्पा गनेडीवाला (Justice Pushpa Ganediwala) ने इस्तीफा दे दिया है।

वह हाईकोर्ट की एक अतिरिक्त न्यायाधीश थीं, जिनका विस्तारित कार्यकाल 12 फरवरी को समाप्त होने वाला था, क्योंकि सर्वोच्च न्यायालय के कॉलेजियम ने उनके कार्यकाल के विस्तार की सिफारिश नहीं की थी।

उन्होंने कार्यकाल समाप्त होने से एक दिन पहले ही इस्तीफा दे दिया है।

वह 2007 में जिला न्यायाधीश बनीं और 13 फरवरी, 2019 को दो साल की अवधि के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत हुईं।

जनवरी 2021 में, न्यायमूर्ति गनेडीवाला ने बाल यौन शोषण से संबंधित दो निर्णय दिए। निर्णय में कहा था कि POCSO अधिनियम के तहत यौन उत्पीड़न के अपराध को गठित करने के लिए स्किन टू स्किन टच आवश्यक है। इसको लेकर देश भर में विवाद हुआ और आलोचना हुई।

विवाद के बाद, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 20 जनवरी को उन्हें बॉम्बे हाईकोर्ट का स्थायी न्यायाधीश बनाने की सिफारिश को रद्द कर दिया।

एक महीने बाद, फरवरी 2021 में, कॉलेजियम ने उन्हें स्थायी न्यायाधीश बनाने के प्रस्ताव के बजाय एक अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में उनके कार्यकाल के विस्तार की सिफारिश की।

भारत के महान्यायवादी द्वारा दायर एक अपील में पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने उनके विवादास्पद निर्णयों को खारिज कर दिया था।

नवंबर 2021 में दिए गए एक फैसले में सुप्रीम कोर्ट की 3-न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि यौन उत्पीड़न के अपराध के लिए जो मायने रखता है वह "यौन इरादा" है।

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