जस्टिस कुरियन जोसेफ यमन में मौत की सजा पाने वाली भारतीय महिला की रिहाई के लिए मध्यस्थता करेंगे

Update: 2022-04-16 05:00 GMT

एक यमनी नागरिक की हत्या के मामले में मौत की सजा का सामना कर रही भारतीय महिला निमिषा प्रिया के मामले में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम सामने आया है। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस कुरियन जोसेफ ने उसकी रिहाई के लिए मध्यस्थता के प्रयास का नेतृत्व करने पर सहमति व्यक्त की है।

यमनी कानून के अनुसार, हत्या के मामले में दोषी को रिहा किया जा सकता है यदि पीड़ित के परिवार के सदस्य अपराध को क्षमा कर दें।

जस्टिस कुरियन जोसेफ ने लाइव लॉ से बात करते हुए कहा कि उनसे माफी पर सहमत होने और बातचीत का नेतृत्व करने के लिए "सेव निमिषा प्रिया काउंसिल" का प्रतिनिधित्व करने वाले एडवोकेट सुभाष चंद्रन ने उनसे संपर्क किया है।

जस्टिस जोसेफ ने लाइव लॉ को बताया,

"मैं सहमत हो गया। मैंने केवल यही सोचा है कि यह किसी की जान बचा सकता है तो यह अच्छा है..।"

उन्होंने स्पष्ट किया कि यह सरकार की भागीदारी के बिना विशुद्ध रूप से स्वैच्छिक उपक्रम है।

केरल की एक नर्स निमिषा प्रिया को 2017 में यमनी नागरिक तलाल अब्दो महदी के शरीर में शामक इंजेक्शन लगाकर उसकी हत्या करने का दोषी ठहराया गया था। कथित तौर पर अपराध का मकसद अपना पासपोर्ट हासिल करना चाहती थी, जो महदी के कब्जे में था।

दिल्ली हाईकोर्ट में हाल ही में "निमिषा प्रिया सेव काउंसिल" द्वारा रिट याचिका दायर की गई थी। इस याचिका में उसकी रिहाई के लिए केंद्र सरकार के हस्तक्षेप की मांग की गई थी। केंद्र ने अदालत से कहा कि वह उसकी दोषसिद्धि के खिलाफ अपील को आगे बढ़ाने के लिए सक्रिय कदम उठाएगी।

हालांकि, केंद्र सरकार ने कहा कि वह पीड़ित परिवार के साथ बातचीत में भाग नहीं ले सकती। लेकिन, केंद्र ने सभी आवश्यक कांउसलर सहायता प्रदान करने और वार्ताकारों की यात्रा का बीड़ा उठाया। अदालत ने याचिका का निपटारा करते हुए कहा कि वह केंद्र को यह निर्देश जारी नहीं कर सकती कि वह पीड़ित परिवार के साथ ब्लडमनी स्वीकार करने के लिए बातचीत करे।

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