मोटर दुर्घटना मुआवजे के दावे के मामलों में दावा की गई राशि से अधिक उचित मुआवजा दिया जा सकता है: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मोटर दुर्घटना मुआवजे के दावों के मामलों में दावा की गई राशि से अधिक 'उचित मुआवजा' दिया जा सकता है। जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस जेके माहेश्वरी की बेंच ने कहा कि ट्रिब्यूनल / कोर्ट को 'न्यायसंगत' मुआवजा देना चाहिए, जो रिकॉर्ड पर पेश किए गए सबूतों के आधार पर उचित हो।
मामला
मौजूदा मामले में एक बारह साल के बच्चे को अपने घर के सामने खेलते समय कमांडर जीप ने टक्कर मार दी थी और अस्पताल ले जाते समय रास्ते में उसकी मौत हो गयी। मृतक बच्चे की मां ने मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 171 सहपठित धारा 140, 166 के तहत एक दावा याचिका दायर की और ब्याज सहित दो लाख रुपये तक मुआवजे की मांग की।
मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण ने एकमुश्त डेढ़ लाख रुपये की राशि प्रदान की।
अपील में, झारखंड हाईकोर्ट ने मुआवजे की राशि को बढ़ाकर दो लाख रुपये कर दिया, जो दावा याचिका में किए गए दावे के मूल्य के बराबर थी।
इसके बाद मां-दावेदार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और कहा कि एमएसीटी और हाईकोर्ट ने "संभावित खुशी के नुकसान" और अन्य पारंपरिक मदों के तहत कोई राशि नहीं दी है और निर्भरता के नुकसान के तहत दी गई राशि अपर्याप्त है।
दावे का मूल्यांकन उचित मुआवजा देने के लिए महत्वहीन है, हाईकोर्ट ने मुआवजे को दावा याचिका के मूल्यांकन तक सीमित करने में त्रुटि की।
अदालत ने कहा कि मृतक एक मेधावी छात्र था और एक निजी स्कूल में पढ़ता था। अदालत ने आगे कहा कि किशन गोपाल और एक अन्य बनाम लाला और अन्य (2014) 1 SCC 244 में, मुआवजे की गणना एमवी एक्ट की दूसरी अनुसूची में निर्दिष्ट 15 हजार रुपये के स्थान पर भविष्य की संभावनाओं सहित 30,000 रुपये की अनुमानित आय के रूप में की गई है।
सरला वर्मा और अन्य बनाम दिल्ली परिवहन निगम और अन्य (2009) 6 SCC 121 में निर्दिष्ट गुणक को लागू किया गया। उक्त निर्णय को लागू करते हुए, अदालत ने मुआवजे की राशि को बढ़ाकर पांच लाख रुपये कर दिया।
अपील की अनुमति देते हुए अदालत ने कहा,
यह स्पष्ट करना आवश्यक है कि नागप्पा बनाम गुरदयाल सिंह और अन्य (2003) 2 SCC 274 में इस न्यायालय की तीन जजों की पीठ के निर्णय के अनुसार, यह देखा गया था कि एमवी एक्ट के तहत, कोई प्रतिबंध नहीं है कि ट्रिब्यूनल/न्यायालय दावा की गई राशि से अधिक मुआवजा नहीं दे सकता।
ट्रिब्यूनल/कोर्ट को 'न्यायसंगत' मुआवजा देना चाहिए जो कि रिकॉर्ड पर प्रस्तुत साक्ष्य के आधार पर तथ्यों में उचित हो। इसलिए, दावा याचिका में किए गए कम मूल्यांकन, यदि कोई हो, दावा की गई राशि से अधिक उचित मुआवजा देने में बाधा नहीं होगी।
केस डिटेलः मीना देवी बनाम नुनु चंद महतो @ नेमचंद महतो | 2022 Live Law(SC) 841 | SLP(C) 5345 Of 2019| 13 अक्टूबर 2022 | जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस जेके माहेश्वरी