'क्या आप जूनियर्स को इस तरह ट्रेनिंग देते हैं?' : सुप्रीम कोर्ट ने स्थगन मांगने के लिए बिना तैयारी जूनियर वकील को भेजने पर वकील पर जुर्माना लगाया

Update: 2023-09-14 08:16 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को उस समय कड़ी अस्वीकृति व्यक्त की जब एक जूनियर वकील उसके समक्ष बिना तैयारी के पेश हुआ और उसने स्थगन की मांग की।

सुप्रीम कोर्ट ने इस पर सख्त होते हुए बिना किसी तैयारी के जूनियर को भेजने के लिए जिम्मेदार एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड पर जुर्माना लगाया और साथ ही अदालत की कार्यवाही और जूनियर वकील के पेशेवर विकास दोनों पर इस तरह के आचरण के प्रतिकूल प्रभाव पर प्रकाश डाला।

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ के समक्ष एक नियमित सुनवाई के दौरान यह घटना सामने आई, जहां एक जूनियर वकील ने अपने मामले के लिए स्थगन का अनुरोध किया।

पीठ की अध्यक्षता कर रहे सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने जूनियर वकील से मामले पर बहस शुरू करने का आग्रह किया। हालांकि अदालत को आश्चर्य हुआ जब जूनियर वकील ने कबूल किया कि उसे मामले के विवरण के बारे में कोई जानकारी नहीं है।

जब वकील ने कहा कि उन्हें मामले पर बहस करने के लिए कोई निर्देश नहीं है तो सीजेआई ने जवाब दिया, "हमें मामले की सुनवाई के लिए संविधान से निर्देश मिले हैं।"

सीजेआई ने अदालत को चलाने में शामिल बुनियादी ढांचे की लागत पर भी जोर दिया और वकील को बहस शुरू करने का निर्देश दिया।

उन्होंने कहा,

" इसमें बुनियादी ढांचे की लागत शामिल हैं। बहस करना शुरू करें।"

हड़बड़ाए जूनियर वकील ने निर्देशों की आवश्यकता दोहराई और कहा कि उन्हें नहीं पता कि मामला क्या है।

जस्टिस नरसिम्हा ने यहां हस्तक्षेप किया और उन्हें मामले पर जानकारी दिए बिना सुप्रीम कोर्ट के समक्ष आने के लिए चेतावनी दी। उन्होंने कहा-

" बिना ब्रीफिंग लिए आप सुप्रीम कोर्ट के सामने नहीं आ सकते। "

सीजेआई ने वकील की तैयारी से स्पष्ट रूप से नाराज इस बात पर जोर दिया कि अदालत को हल्के में नहीं लिया जा सकता और एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड को पीठ के सामने पेश होने का निर्देश दिया।

सीजेआई ने कहा,

" आप इस अदालत को हल्के में नहीं ले सकते। कृपया एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड बुलाएं...उसे हमारे सामने पेश होने के लिए कहें।"

इसके बाद एओआर अदालत के सामने पेश हुए और उत्पन्न हुए मुद्दे के लिए माफ़ी मांगी।

हालांकि सीजेआई संतुष्ट नहीं हुए और उन्होंने सवाल किया कि बिना किसी तैयारी के एक जूनियर वकील को क्यों भेजा गया। उन्होंने इसे अदालत पर अनावश्यक काम का बोझ डालने का प्रयास बताया। सीजेआई ने आगे पूछा कि क्या बार में जूनियर वकीलों को ट्रेनिंग देने के लिए यह स्टेंडर्ड प्रैक्टिस है?

उन्होंने कहा,

" आप किसी जूनियर को कागज के किसी टुकड़े के बिना क्यों भेजेंगे? आप बिना तैयारी वाले जूनियरों को भेजते हैं ताकि अदालत को पूरी मेहनत करनी पड़े...क्या आप बार में जूनियरों को इसी तरह ट्रेनिंग देते हैं? उन्हें बिना किसी कागजात के भेजते हैं? "

एओआर ने स्थिति की गंभीरता को समझते हुए गंभीर खेद व्यक्त किया।

सीजेआई इसके बाद भी अपने रुख पर रहे और उन्होंने आदेश दिया कि AoR को सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) को 2000 रुपये का जुर्माना जमा करना होगा और भुगतान के साक्ष्य के रूप में एक रसीद देनी होगी।

सीजेआई ने इस बात पर जोर दिया कि बिना किसी कागजात के किसी जूनियर वकील को भेजना अदालत की कार्यवाही और जूनियर वकील के अपने पेशेवर विकास दोनों के लिए हानिकारक है। उन्होंने आदेश पारित करते हुए कहा-

" एक जूनियर को बिना किसी कागजात के बिना तैयारी के भेजा गया...मामलों को इस तरह से संचालित नहीं किया जा सकता। यह अदालत और जूनियर दोनों का अपमान है, जिसे बिना किसी कागजात के पेश होने के लिए कहा गया है। एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड एससीबीए में जुर्माना जमा करेंगे और उसकी रसीद पेश करेंगे।"

Tags:    

Similar News