जम्मू एवं कश्मीर हाईकोर्ट ने पहले दायर पीआईएल में पेलेट सर्वाइवर्स एसोसिएशन की हस्तक्षेप याचिका को अनावश्यक बताते हुए ख़ारिज किया

Update: 2020-02-23 03:15 GMT

J&K&L High Court

जम्मू एवं कश्मीर हाईकोर्ट ने पहले से दायर पीआईएल में एसोसिएशन ऑफ पेलेट सर्वाइवर्ज़ की ओर से दायर हस्तक्षेप याचिका को अनावश्यक कहते हुए इसे ख़ारिज कर दिया। यह मामला हुआ 10 फ़रवरी को और यह पीआईएल जम्मू एवं कश्मीर हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने दायर किया है।

अदालत ने कहा कि एसोसिएशन का हस्तक्षेप अनावश्यक है क्योंकि "पेलेट हमले में कथित रूप से बचे" लोगों के हितों पर बार एसोसिएशन पहले ही मामला दायर कर चुका है।

न्यायमूर्ति धीरज सिंह ठाकुर और न्यायमूर्ति अली मोहम्मद माग्रेय की पीठ ने कहा,

"हमारा मानना है कि प्रेज़िडेंट ऑफ एसोसिएशन ऑफ पेलेट सर्वाइवर्ज़ होने का दावा करने वाले व्यक्ति की याचिका को स्वीकार करने और उसे इस मामले में हस्तक्षे की इजाज़त देने का कोई मतलब नहीं है, क्योंकि पेलेट हमले के शिकार हुए लोगों के हितों को लेकर बार एसोसिएशन ने पहले ही पीआईएल दायर कर रखी है। इस मामले को देखते हुए यह आवेदन अनावश्यक है और इसे ख़ारिज किया जाता है।"

जम्मू-कश्मीर में 5 अगस्त को लॉकडाउन के बाद इस मामले को याचिकाकर्ता के मौजूद नहीं रहने के कारण अब तक 11 बार स्थगित किया जा चुका है। याचिकाकर्ता के वक़ील जीएन शाहीन इस मामले में 1 नवंबर 2019 को अदालत में पेश हुए और मामले के लघु स्थगन की अपील की।

इसके बाद इस मामले की सुनवाई की तिथि 10 फ़रवरी निर्धारित की गई जब अदालत ने हस्तक्षेप याचिका को ख़ारिज कर दिया। यह ग़ौर करनेवाली बात है कि जम्मू एवं कश्मीर हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष मियां अब्दुल क़यूम 5 अगस्त से एहतियातन हिरासत में हैं।

विभिन्न सरकारी और ग़ैर-सरकारी आँकड़ों का उल्लेख करते हुए द हिंदू ने जून 2019 में अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि 2010 में जब पेलेट गन से फ़ायरिंग की अनुमति दी गई, जम्मू-कश्मीर में पेलेट से ज़ख़्मी होनेवाले लोगों की संख्या 10 से 20 हज़ार तक हो सकती है। 'इंडिया सपेंड' के एक अध्ययन के अनुसार, कश्मीर में पेलेट गन से मरने वालों की संख्या 24 है जबकि इसकी वजह से 139 लोग अपनी आँख खो चुके हैं।

केंद्रीय गृह मंत्रालय के अनुसार, पेलेट गन घातक नहीं हैं और प्रदर्शनों के दौरान भीड़ को नियंत्रित करने के लिए इसका उपयोग किया जाता है। 

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