झारखंड हाईकोर्ट ने अवमानना याचिका में महाधिवक्ता राजीव रंजन मिश्रा और अतिरिक्त महाधिवक्ता सचिन कुमार को नोटिस जारी किया

Update: 2021-09-02 04:19 GMT

झारखंड हाईकोर्ट ने बुधवार को एक याचिका में महाधिवक्ता राजीव रंजन मिश्रा और अतिरिक्त महाधिवक्ता सचिन कुमार को नोटिस जारी किया, जिसमें न्यायमूर्ति संजय कुमार द्विवेदी को अलग करने की मांग करते हुए उनकी कथित टिप्पणी और आचरण को लेकर उनके खिलाफ आपराधिक अवमानना कार्यवाही शुरू करने की मांग की गई थी।

महाधिवक्ता राजीव रंजन मिश्रा और अतिरिक्त महाधिवक्ता सचिन कुमार के खिलाफ यह आवेदन उस घटना के बाद दायर किया गया है, जब उन्होंने न्यायमूर्ति संजय कुमार द्विवेदी को यह कहते हुए एक मामले की सुनवाई से अलग करने की मांग की कि उन्होंने याचिकाकर्ता राज्य के वकील को सुना कि '200% मामला मंजूर होने जा रहा है।'

अवमानना याचिका के अनुसार, एजी ने न्यायाधीश के बहिष्कार की मांग करते हुए अदालत का सम्मान नहीं किया और अदालत के निर्देशों के बावजूद एक हलफनामा दाखिल करने से भी इनकार कर दिया था, यह कहते हुए कि उनका मौखिक प्रस्तुतीकरण पर्याप्त है। इसके अलावा यह आरोप लगाया गया कि अतिरिक्त महाधिवक्ता सचिन कुमार ने अदालत में विपक्षी पक्ष के वकीलों के साथ दुर्व्यवहार किया।

न्यायमूर्ति द्विवेदी ने कहा कि केवल महाधिवक्ता के इस तरह प्रस्तुत करने पर न्यायालय को मामले से अलग होने की आवश्यकता नहीं है।

न्यायमूर्ति द्विवेदी ने आगे कहा था कि,

"न्याय प्रदान करने या न्यायाधीश के रूप में कर्तव्य के निर्वहन और न्यायिक निर्णय लेने के रास्ते में कुछ भी नहीं आना चाहिए।"

न्यायमूर्ति द्विवेदी ने इंदौर विकास प्राधिकरण बनाम मनोहर लाल और अन्य (2020) का उल्लेख किया, जहां न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा ने हटने से इनकार करते हुए टिप्पणी की थी,

"किसी भी वादी द्वारा खंडपीठ चुनने के लिए विवश नहीं किया जाना चाहिए। यह न्यायाधीश को निर्णय लेने के लिए है।"

न्यायमूर्ति द्विवेदी ने न्यायपालिका में आम आदमी के विश्वास की दृष्टि से इस मामले को मुख्य न्यायाधीश के समक्ष रखने का निर्देश दिया। हालांकि, मुख्य न्यायाधीश ने न्यायमूर्ति द्विवेदी की अदालत में सुनवाई जारी रखने का निर्देश दिया था।

केस का शीर्षक: देवानंद उरांव बनाम झारखंड राज्य एंड अन्य

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