देश के हर नागरिक का कर्तव्य है कि वह अपने प्रधानमंत्री का सम्मान करे : केरल हाईकोर्ट
केरल हाईकोर्ट ने मंगलवार को COVID -19 टीकाकरण प्रमाणपत्रों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर को हटाने की मांग वाली याचिका खारिज करते हुए कहा कि देश के नागरिक अपने प्रधानमंत्री का सम्मान करने के लिए बाध्य हैं।
एक लाख रुपये का भारी जुर्माना लगाकर याचिका खारिज करते हुए न्यायमूर्ति पी.वी. कुन्हीकृष्णन ने टिप्पणी की,
"लोग उनमें से योग्य व्यक्तियों को चुनते हैं और उन्हें संसद में भेजते हैं और बहुमत दल अपने नेता का चयन करता है और वह नेता पांच साल तक हमारे प्रधानमंत्री होते हैं। अगले आम चुनाव तक वह भारत के प्रधान मंत्री होंगे। ..इसलिए, मेरे अनुसार, भारत के प्रधानमंत्री का सम्मान करना नागरिकों का कर्तव्य है और नागरिक निश्चित रूप से वे सरकार की नीतियों और प्रधानमंत्री के राजनीतिक रुख पर भी अलग राय रख सकते हैं।"
याचिकाकर्ता ने अदालत का रुख किया और कोर्ट से घोषणा की मांग की कि उसके COVID-19 टीकाकरण प्रमाणपत्र पर प्रधानमंत्री की तस्वीर उसके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।
याचिकाकर्ता ने दलील दी थी कि टीकाकरण प्रमाणपत्र में प्रधानमंत्री की तस्वीर उसकी निजता में दखल है। इस पर कोर्ट ने जवाब दिया:
"क्या शानदार तर्क है। क्या वह इस देश में नहीं रह रहे हैं? भारत के प्रधानमंत्री एक व्यक्ति नहीं हैं जो संसद भवन की छत तोड़कर संसद भवन में प्रवेश करते हैं। वह लोगों के जनादेश के कारण सत्ता में आए हैं। दुनिया भर में भारतीय लोकतंत्र की तारीफ हो रही है। प्रधानमंत्री इसलिए चुने जाते हैं क्योंकि उन्हें जनादेश मिला है।"
पीठ ने आगे कहा कि चुनाव के बाद और अधिकांश लोगों ने एक राजनीतिक दल को जनादेश दिया जो प्रधानमंत्री चुनता है। वह उस राजनीतिक दल के नेता नहीं बल्कि देश के नेता हैं।
"अगले आम चुनाव में वे इसका उपयोग कर सकते हैं और जनादेश से उन्हें हटा सकते हैं। लेकिन एक बार संविधान के अनुसार प्रधानमंत्री चुने जाने के बाद वह हमारे देश के माननीय प्रधानमंत्री हैं। वे देश के हर नागरिक के प्रधानमंत्री हैं।
केस शीर्षक: पीटर मायलीपरम्पिल बनाम भारत संघ और अन्य।
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