क्या नामित वरिष्ठ अधिवक्ता की अनुपलब्धता किसी मामले पर स्थगन देने का आधार है? इलाहाबाद हाईकोर्ट करेगा जांच
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोमवार को नामित (Designated) वरिष्ठ अधिवक्ता की अनुपलब्धता के कारण स्थगन की मांग करने वाले वकील के अधिकार पर संदेह जताया।
न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल की एकल पीठ की राय थी कि वरिष्ठ अधिवक्ता, निर्देश देने वाले वकील के कहने पर उपस्थित होते हैं, इसलिए नामित वरिष्ठ वकील के उपस्थिति न होने पर स्थगन देने का कोई आधार नहीं हो सकता ।
इस स्थिति की विस्तार से जांच करने के लिए कोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ता शशि प्रकाश सिंह की सहायता से चंद्र प्रकाश यादव को वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम के साथ एमिकस क्यूरी के रूप में नियुक्त किया है । इस मुद्दे पर 15 जनवरी 2021 को विचार किया जाएगा।
इसके अलावा, पीठ इस बात की भी जांच करेगी कि क्या वरिष्ठ अधिवक्ता का नाम काज़ लिस्ट में हो सकता है।
यह घटनाक्रम एक प्रमेंद्र यादव की ओर से दायर रिट याचिका में सामने आया है। याचिकाकर्ता के वकील ने इस आधार पर स्थगन की मांग की थी कि वह इस मामले से तैयार नहीं हैं क्योंकि इस पर वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक खरे की दलील होनी है।
पीठ ने कहा,
"यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि किस कानून के प्रावधान के तहत वरिष्ठ अधिवक्ता का नाम काज़ लिस्ट में होता है ।
केस टाइटल: प्रमेंद्र यादव बनाम स्टेट ऑफ यूपी एंड अदर्स