अगर सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के आदेश पर मामले की जांच की है तो क्या चार्जशीट में नामित सरकारी कर्मचारी पर मुकदमा चलाने के लिए स्वीकृति की आवश्यकता है? इलाहाबाद हाईकोर्ट विचार करेगा

Update: 2022-11-29 07:04 GMT

इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) इस सवाल पर विचार करने के लिए तैयार है कि अगर सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के निर्देश पर किसी मामले की जांच की है, और सरकार/लोक सेवक के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया है, तो क्या ऐसे सरकारी/लोक सेवक (सेवारत या सेवानिवृत्त) पर मुकदमा चलाने के लिए सक्षम प्राधिकारी से स्वीकृति की कोई आवश्यकता है।

जस्टिस दिनेश कुमार सिंह की पीठ ने डॉ. सैयद फरीद हैदर रिजवी (एक सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी) की याचिका को रद्द करने की मांग पर सुनवाई करते हुए सीबीआई के वकील के समक्ष यह प्रश्न रखा, जिसने मनरेगा घोटाला मामले में सीबीआई ने उनके खिलाफ दायर आरोप पत्र पर निचली अदालत के आदेश को संज्ञान लेते हुए अदालत का रुख किया था।

आरोपी के वकील का यह तर्क था कि चूंकि इस मामले में उसके खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए कोई मंजूरी नहीं ली गई है। इसलिए कार्यवाही रद्दी की जानी चाहिए।

पूरा मामला

इलाहाबाद हाईकोर्ट के 2014 के एक आदेश के अनुसार, सीबीआई ने वर्ष 2007-2008 और 2008-2009 के दौरान मनरेगा योजना से संबंधित घोर अनियमितताओं, बड़े पैमाने पर हेराफेरी और सरकारी फंड के दुरुपयोग के संबंध में एक नियमित मामला दर्ज किया।

आरोपी/आवेदक, जो संबंधित समय पर जिला विकास अधिकारी, बलरामपुर के रूप में कार्यरत था, को सीबीआई की चार्जशीट में नामजद किया गया था, जिसमें उस पर सरकार को 9,24,159 रुपये की हानि पहुंचाने का आरोप लगाया गया था।

सीबीआई ने 15 नवंबर, 2018 को अपना आरोप पत्र दायर किया और इस बीच, आरोपी आवेदक सेवानिवृत्ति की आयु प्राप्त करने के बाद सेवा से सेवानिवृत्त हो गया। चार्जशीट दाखिल होने पर, ट्रायल कोर्ट ने 23 नवंबर, 2018 को संज्ञान लिया। उसी आदेश को चुनौती देते हुए अभियुक्त ने हाईकोर्ट का रुख किया।

पिछले हफ्ते मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने सीबीआई के वकील (वरिष्ठ वकील नंदित श्रीवास्तव) से निम्नलिखित सवाल किया और मामले को 29 नवंबर को आगे की सुनवाई के लिए पोस्ट कर दिया।

कोर्ट ने कहा,

"वर्तमान आवेदन में शामिल विवादास्पद प्रश्न यह है कि एक बार जब सीबीआई ने संवैधानिक पीठ (उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय) द्वारा पारित आदेश के अनुपालन में जांच की गई थी और सरकार / लोक सेवक के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था तब भी ऐसे सरकारी/लोक सेवक (सेवारत या सेवानिवृत्त) पर मुकदमा चलाने के लिए सक्षम प्राधिकारी की स्वीकृति की आवश्यकता होगी।"

केस टाइटल- डॉ. सैयद फरीद हैदर रिजवी @ डॉ. एस.एफ.एच. रिजवी बनाम सी.बी.आई. [धारा 482 के तहत आवेदन संख्या 8292 ऑफ 2018]

आदेश पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें:




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