जांच एजेंसी शिकायतकर्ता के पूरक बयान को दर्ज कर पूरी तरह से एक नया मामला पेश नहीं कर सकती: दिल्ली कोर्ट ने दिल्ली दंगा मामलों में कहा
दिल्ली की एक अदालत ने कहा है कि अगर पुलिस को की गई शुरुआती लिखित शिकायतों में कोई उल्लेख नहीं किया गया है तो जांच एजेंसी केवल एक शिकायतकर्ता के एक अपराध से संबंधित पूरक बयान दर्ज करके एक नया मामला पेश नहीं कर सकती है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यादव ने 30 वर्षीय संदीप कुमार को आईपीसी की धारा 436 (घर आदि को नष्ट करने के इरादे से आग या विस्फोटक पदार्थ द्वारा शरारत) के तहत अपराध से मुक्त करते हुए उक्त अवलोकन किया। हालांकि, कोर्ट ने मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट को प्राथमिकी में दर्ज अन्य अपराधों के लिए ट्रायल चलाने का निर्देश दिया क्योंकि वे ट्रायल चलाने योग्य हैं।
कोर्ट ने कहा, "मुझे डर है कि जांच कर रही एजेंसी शिकायतकर्ताओं में से एक के एक अनुपूरक बयान को, अगर धारा 436 आईपीसी की सामग्री प्रारंभिक दो लिखित बयान में पहले से नहीं थी, नए मामले के रूप में पेश नहीं कर सकता है।"
"यह न्यायालय इस तथ्य से अवगत है कि सांप्रदायिक दंगों के मामलों पर अत्यधिक संवेदनशीलता के साथ विचार किया जाना है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि सामान्य ज्ञान को छोड़ दिया जाना चाहिए, इस स्तर पर भी उपलब्ध सामग्री के संबंध में दिमाग को लागू करना होगा।"
मोहम्मद जाकिर नाम के एक व्यक्ति की लिखित शिकायत के आधार पर एफआईआर 80/2020 करावल नगर पुलिस थाने में आईपीसी की धारा 147, 148, 149, 188, 427, 436, 380 और 454 के तहत दर्ज की गई थी। मोहम्मद जाकिर ने आरोप लगाया कि दिल्ली दंगों के दौरान दंगाइयों ने उनके घर में तोड़फोड़ की और लूटपाट की। इस मामले में विभिन्न शिकायतकर्ताओं से समान प्रकृति की कई अन्य शिकायतें प्राप्त हुई थीं।
मामले में 23 शिकायतों पर विचार करने के बाद, न्यायालय का विचार था, "उक्त शिकायतों के बारीक विश्लेषण से पता चलता है कि उनमें से किसी में आगजनी का कोई आरोप नहीं है और इस तरह, धारा 436 आईपीसी की सामग्री बिल्कुल भी नहीं बनाई गई है।"
अदालत ने शिकायतकर्ता के धारा 161 सीआरपीसी के बयान का भी अध्ययन किया, जिसमें उसने कहा कि उसने अपने घर का निरीक्षण करने पर धुएं के निशान पाए।
हालांकि, अदालत ने इस तथ्य पर भी ध्यान दिया कि उसने 25 फरवरी, 2020 को दंगाई भीड़ द्वारा अपने घर में आगजनी करने के बारे में एक भी शब्द नहीं कहा था और अचानक , मई, 2020 में जांच अधिकारी द्वारा धारा 161 सीआरपीसी के तहत बयान दर्ज करते हुए उसने अपने घर के अंदर "धुएं के निशान" पाए जाने के बारे में कहा।
जिसके बाद न्यायालय ने उसे गंभीर अपराध से मुक्त करते हुए, सीएमएम को निर्देश दिया कि वह या तो मामले की स्वयं सुनवाई करे या किसी अन्य सक्षम न्यायालय/एमएम को सौंपे, साथ ही आरोपी को 28 सितंबर को सीएमएम के समक्ष पेश होने का भी निर्देश दिया।
केस शीर्षक: राज्य बनाम संदीप कुमार