पत्नी द्वारा दिखाए गए पति के निर्विवाद आर्थिक मूल्यांकन के आधार पर अंतरिम भरण-पोषण निर्धारित किया जा सकता हैः गुजरात हाईकोर्ट
गुजरात हाईकोर्ट ने कहा है कि पत्नी द्वारा दिखाया गया पति की आर्थिक स्थिति का मूल्यांकन, यदि पति द्वारा विवादित नहीं है (उपयुक्त सामग्री द्वारा समर्थित), तो उसे पत्नी को दिए जाने वाले अंतरिम भरण-पोषण का निर्धारण करने के लिए एक आधार के रूप में लिया जा सकता है।
जस्टिस उमेश ए त्रिवेदी की पीठ ने यह भी कहा कि एक पति को यह साबित करने के लिए ठोस सबूत देने की आवश्यकता होती है कि उसकी पत्नी व्यभिचारी जीवन जी रही है ताकि कोर्ट के समक्ष यह मामला बनाया जा सके कि उसकी पत्नी भरण-पोषण पाने की हकदार नहीं है।
मामला संक्षेप में
न्यायालय ने एक जयंतीभाई (पति) द्वारा दायर एक रिवीजन अप्लीकेशन पर विचार करते हुए यह टिप्पणी की है। जिसमें एक फैमिली कोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई थी। फैमिली कोर्ट ने उसे आदेश दिया था कि वह अपनी पत्नी और बेटियों को 30,000 रुपये प्रति माह अंतरिम भरण-पोषण के तौर पर दे।
पति के वकील के दलील दी थी कि चूंकि पत्नी व्यभिचारी जीवन जी रही है, इसलिए, वह भरण-पोषण पाने की हकदार नहीं है और ऐसे में फैमिली कोर्ट द्वारा अंतरिम भरण-पोषण का कोई आदेश नहीं दिया जा सकता था।
इसके अलावा, उन्होंने हाईकोर्ट के समक्ष आकलन वर्ष 2020-21 और 2022-23 के लिए फाइल किए गए आयकर रिटर्न भी पेश किए और यह दलील देने का प्रयास किया कि पत्नी और बेटियों को दिया गया अंतरिम भरण-पोषण अधिक है।
हाईकोर्ट की टिप्पणियां
शुरुआत में, न्यायालय ने जयंतीभाई (पति) की तरफ से हाईकोर्ट के समक्ष दायर आईटीआर को ध्यान में रखने से इनकार कर दिया क्योंकि यह पाया गया कि इसे फैमिली कोर्ट के समक्ष पेश नहीं किया गया था। न्यायालय ने यह भी कहा कि पति अपनी कमाई को दर्शाने वाले किसी भी दस्तावेज को प्रस्तुत करने में विफल रहा है, विशेष रूप से वह फैमिली कोर्ट के समक्ष अपनी आय के संबंध में कुछ भी पेश नहीं कर पाया।
हालांकि, दूसरी ओर अदालत ने कहा कि पत्नी/प्रतिवादी ने यह दिखाने के लिए कई दस्तावेज पेश किए थे कि उसके पति के पास पर्याप्त कमाई और संपत्ति है।
पत्नी ने कोर्ट के समक्ष अपने पति के स्वामित्व वाली दो लग्जरी कारों की तस्वीरें प्रस्तुत की। उसने यह भी प्रस्तुत किया कि पति के पास 150 रिक्शा हैं, जो किराए पर दिए जाते हैं और वह मोटर वाहनों में ब्रोकर के रूप में काम करता है। वह फाइनेंस का बिजनेस और आरटीओ में एक एजेंट के रूप में भी काम करता है। इसके अलावा, उसने यह भी कहा कि उसके पति के पास एक बंगला, एक फ्लैट और एक दुकान भी है।
पत्नी द्वारा की गई दलीलों को ध्यान में रखते हुए, कोर्ट ने पाया कि पति ने इन अचल संपत्ति के मूल्यांकन के संबंध में सिर्फ इनकार करने के अलावा एक भी दस्तावेज पेश नहीं किया था। कोर्ट ने आगे कहा कि अगर उसके पास ऐसी अचल संपत्ति नहीं हैं तो वह कोर्ट के सामने शपथ लेकर इसकी घोषणा करता,परंतु वह ऐसा करने में विफल रहा है।
कोर्ट ने कहा,
''इतना ही नहीं, जब उसके स्वामित्व वाली लग्जरी कारों पर विवाद नहीं किया गया है तो याचिकाकर्ता द्वारा शपथ पर बिना किसी सामग्री के इनकार करने के अभाव में, पत्नी द्वारा प्रथम दृष्टया दिखाए गए मूल्यांकन को अंतरिम भरण-पोषण का निर्धारण करने के एक आधार के रूप में लिया जा सकता है।''
इसके अलावा, यह देखते हुए कि पति यह साबित करने में विफल रहा है कि उसकी पत्नी एक व्यभिचारी जीवन जी रही है, अदालत ने कहा कि प्रति माह 30,000 रुपये की दर से निर्धारित अंतरिम भरण-पोषण बहुत कम था और अंतरिम स्तर पर उसका दिया जाना उचित प्रतीत होता है।
इसलिए कोर्ट ने पति की रिवीजन अप्लीकेशन खारिज कर दी।
प्रतिनिधित्वः
याचिकाकर्ता (एस) नंबर 1 के लिए-वकील राजपुरोहित आर भवरलाल
प्रतिवादी (एस) नंबर 1,2,3 के लिए- वकील उत्कर्ष शर्मा
केस टाइटल- जयंतीभाई श्रवणभाई राजपूत बनाम माइनर नायरा जयंतीभाई राजपूत अपनी मां मौलिका पत्नी जयंतीभाई राजपूत के जरिए
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