माल वाहक वाहन में यात्रा कर रहे यात्री की मौत के लिए बीमा कंपनी मुआवजे का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी नहीं: गुवाहाटी हाईकोर्ट
गुवाहाटी हाईकोर्ट ने हाल ही में दोहराया कि माल वाहक वाहन में यात्रा करने वाले अकारण यात्रियों की मौत के लिए बीमा कंपनी को मुआवजे का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता।
जस्टिस पार्थिव ज्योति सैकिया की एकल न्यायाधीश पीठ ने बीमा कंपनी द्वारा दायर अपील को स्वीकार करते हुए कहा,
"बीमा कंपनी दावेदार को मुआवजे का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी नहीं है। दावेदार वाहन के मालिक से ट्रिब्यूनल द्वारा उनके पक्ष में दिए गए मुआवजे की वसूली के लिए स्वतंत्र है।"
मामले के तथ्यों से पता चलता है कि 20 नवंबर, 2005 को मृतक पिक-अप ट्रक में यात्रा कर रहा था, जिसकी दुर्घटना हो गई और उसे चोटें आईं। 14 जनवरी 2006 को मृतक की मृत्यु हो गई।
मोटर दुर्घटना दावा ट्रिब्यूनल ने 16 जुलाई, 2013 के फैसले में कहा कि मृतक मुफ्त यात्री था और संबंधित बीमा पॉलिसी ऐसे यात्री को कवर नहीं करती।
हालांकि, ट्रिब्यूनल ने बीमा कंपनी को मृतक के कानूनी उत्तराधिकारियों को मुआवजे का भुगतान करने का निर्देश दिया और वाहन के मालिक से इसे वसूलने की स्वतंत्रता दी।
ट्रिब्यूनल के विवादित फैसले के खिलाफ बीमा कंपनी ने मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 173 के तहत अपील दायर की।
अपीलकर्ता-बीमा कंपनी की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट एस दत्ता ने तर्क दिया कि विवादित निर्णय को इस हद तक संशोधित किया जाना चाहिए कि ट्रिब्यूनल द्वारा मुआवजे की वसूली के लिए दिए गए निर्देश को अलग रखा जाए।
अदालत ने नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड बनाम बोम्मिथी सुभयम्मा (2005) 12 एससीसी 243 में दिए गए फैसले पर भरोसा किया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बीमा कंपनी माल वाहक वाहन में मुफ्त में यात्रा कर रहे यात्री की मृत्यु के लिए किसी भी मुआवजे के भुगतान के लिए उत्तरदायी नहीं है।
अदालत ने इस प्रकार कहा कि ट्रिब्यूनल ने बीमा कंपनी को मुआवजे का भुगतान करने और वाहन के मालिक से उसकी वसूली के लिए जाने का निर्देश देकर त्रुटि की है।
तदनुसार, अदालत ने अपील की अनुमति दी और ट्रिब्यूनल का आक्षेपित फैसला रद्द कर दिया।
केस टाइटल: न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी लिमिटेड बनाम मारामी दास और 3 अन्य।
कोरम: जस्टिस पार्थिव ज्योति सैकिया
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