"सभी पात्र कैदियों को पैरोल पर रिहा होने के उनके अधिकार के बारे में सूचित करें": राजस्थान हाईकोर्ट ने पूरे राज्य के जेल अधीक्षकों को निर्देश दिया
राजस्थान हाईकोर्ट ने बुधवार को राज्य की सभी जेलों के अधीक्षकों को निर्देश दिया कि वे सभी पात्र कैदियों को पैरोल पर रिहा होने के उनके अधिकार के बारे में सूचित करें।
न्यायमूर्ति संदीप मेहता और न्यायमूर्ति मनोज कुमार गर्ग की खंडपीठ ने यह निर्देश जारी किया।
खंडपीठ ने यह निर्देश एक दोषी याचिकाकर्ता को 14 साल की कैद की सजा काटने के बाद पहली पैरोल दी गई थी। वहीं राजस्थान कैदी रिहाई पर पैरोल नियम, 2021 के नियम 10 में कहा गया है कि अपनी सजा का एक विशेष हिस्सा पूरा कर चुका प्रत्येक कैदी पैरोल पर रिहाई के लिए विचार करने का अधिकारी है।
कोर्ट ने नोट किया,
"हमारे सामने ऐसे कई मामले आए हैं, जिनमें लंबे समय से जेलों में बंद कैदी गरीबी/अशिक्षा और अन्य मामूली कारणों से पैरोल की सुविधा का लाभ उठाने में असमर्थ हैं। इससे कल्याणकारी कानून यानी 2021 के नियम (पहले के नियम, 1958) की भावना को ठेस पहुंचती है।"
महत्वपूर्ण रूप से न्यायालय ने राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव को कारागार के महानिदेशक, राजस्थान राज्य के समन्वय से राजस्थान राज्य की जेलों में बंद कैदियों का एक कम्प्यूटरीकृत डेटाबेस तैयार करने का निर्देश दिया।
इस डेटाबेस में निम्नलिखित विवरण शामिल होगा:
कैदी की गिरफ्तारी की तारीख;
उसके द्वारा की किया गया अपराध;
जेल की सजा, यदि कोई हो;
फरार होने की अवधि, यदि कोई हो;
पैरोल दी गई, यदि कोई दी गई हो।
कोर्ट ने निर्देश दिया कि 14 सितंबर, 2021 को कोर्ट के अवलोकन के लिए एक अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए।
कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि राजस्थान राज्य की सभी केंद्रीय जेलों की प्रविष्टियों पर एक प्रमुख साइनबोर्ड स्थापित किया जाए। इस साइनबोर्ड पर राजस्थान कैदी रिहाई पर पैरोल नियम, 2021 के नियम 10 का सार हिंदी में प्रदर्शित होना चाहिए।
अंत में, इस तथ्य पर विचार करते हुए कि अदालत के समक्ष दोषी याचिकाकर्ता ने 14 साल की कैद की सजा काट ली है और ओपन एयर कैंप में है, अदालत ने उसे अधीक्षक, जिला जेल, बाड़मेर की संतुष्टि के लिए 1,00,000/- का व्यक्तिगत बांड प्रस्तुत करने पर 40 दिनों की अवधि के लिए पैरोल देना उचित समझा।
कोर्ट ने उसे अधीक्षक, जिला जेल, बाड़मेर को एक अंडरटेकिंग जमा करने के लिए कहा। इसके साथ ही वह पैरोल की अवधि के दौरान शांति और अच्छा व्यवहार करेगा और फरार होने की कोशिश नहीं करेगा। ऐसे होने पर भविष्य में पैरोल/स्थायी पैरोल/रहने के अवसर ओपन-एयर कैंप में जब्त/कटौती की जाएगी।
दोषी याचिकाकर्ता को कोर्ट ने पैरोल की अवधि के दौरान हर 10वें दिन संबंधित थाने में हाजिरी लगाने का भी निर्देश दिया है।
केस का शीर्षक - राकेश बनाम राज्य, सचिव, गृह विभाग और अन्य
ऑर्डर डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें