पति ने पत्नी के लिव-इन पार्टनर के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने व्यक्ति, परिवार के सदस्यों की गिरफ्तारी पर रोक लगाई

Update: 2022-02-23 09:24 GMT

इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने सोमवार को पति द्वारा पत्नी के लिव-इन पार्टनर के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी के संबंध में उस व्यक्ति (लिव-इन पार्टनर) और उसके परिवार के सदस्यों की गिरफ्तारी पर रोक लगाई।

जस्टिस अश्विनी कुमार मिश्रा और जस्टिस रजनीश कुमार की बेंच ने भी महिला के पति को नोटिस जारी कर मामले में जवाब मांगा है।

मोहित अग्रवाल (31 वर्ष) वर्तमान में एक विवाहित महिला (36 वर्षीय) के साथ लिव-इन रिलेशनशिप में हैं। पिछले साल अक्टूबर 2021 में पति (जिसने सवाल में प्राथमिकी दर्ज की थी) द्वारा किए जा रहे उत्पीड़न के कारण महिला ने अपना वैवाहिक घर छोड़ दिया था और मोहित अग्रवाल (याचिकाकर्ता संख्या 1) के साथ रहने लगी थीं।

इसके बाद, पति ने अपनी पत्नी के दैनिक जीवन में हस्तक्षेप करना शुरू कर दिया, जो अपने लिव-इन पार्टनर (यहां मोहित अग्रवाल/याचिकाकर्ता नंबर 1) के साथ रह रही थीं। इसलिए दोनों पिछले साल उच्च न्यायालय चले गए। इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा 6 दिसंबर, 2021 के अपने आदेश के तहत उन्हें सुरक्षा दिया गया था।

सुरक्षा प्रदान करते हुए न्यायालय ने यह भी टिप्पणी की थी,

"लिव-इन-रिलेशनशिप जीवन का हिस्सा बन गया है और माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अनुमोदित है। लिव-इन रिलेशनशिप को सामाजिक नैतिकता की धारणाओं के बजाय अनुच्छेद 21 के तहत गारंटीकृत जीने के अधिकार से उत्पन्न व्यक्तिगत स्वायत्तता के लेंस से देखा जाना आवश्यक है। भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन का अधिकार हर कीमत पर संरक्षित होने के लिए उत्तरदायी है।"

इसके बाद, पति ने जनवरी 2022 में मोहित अग्रवाल (लिव-इन पार्टनर), उसके पिता, उसके भाई और उसकी मां के खिलाफ आईपीसी की धारा 323, 504, 506 और एससी/एसटी एक्ट की धारा 3 (1) (डीए) और 3 (1) (डीए) के तहत प्राथमिकी दर्ज की।

अब, गिरफ्तारी से सुरक्षा की मांग करते हुए, उन्होंने तत्काल रिट याचिका दायर करके उच्च न्यायालय का रुख किया और प्राथमिकी को रद्द करने की मांग की।

अदालत के समक्ष, उन्होंने तर्क दिया कि उच्च न्यायालय द्वारा सुरक्षा दिए जाने के बावजूद पति द्वारा बाद में एफ.आई.आर दर्ज कराके याचिकाकर्ताओं को उपलब्ध संवैधानिक संरक्षण और इस न्यायालय द्वारा पारित आदेश का उल्लंघन किया जा रहा है।

अदालत ने पति के साथ-साथ यूपी राज्य को एक नोटिस जारी किया और उन्हें तीन सप्ताह के भीतर जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा गया है।

कोर्ट ने कहा,

"सूचीबद्ध होने की अगली तिथि तक याचिकाकर्ताओं को आईपीसी की धारा 323, 504, 506 और एससी/एसटी एक्ट की धारा 3 (1) (डी) और 3 (1) के तहत 2022 के केस क्राइम नंबर 16 के रूप में पंजीकृत प्रथम सूचना रिपोर्ट के अनुसार गिरफ्तार नहीं किया जाएगा। बशर्तें याचिकाकर्ता पुलिस थाना गजरौला, जिला अमरोहा, को जांच में सहयोग करें।"

याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता विंदेश्वरी प्रसाद पेश हुए।

केस का शीर्षक - मोहित अग्रवाल एंड 3 अन्य बनाम यूपी राज्य एंड 4 अन्य

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