व्यभिचार साबित करने के लिए पति अपनी पत्नी के कथित प्रेमी की मोबाइल टावर लोकेशन नहीं मांग सकता,यह निजता का उल्लंघन हैः कर्नाटक हाईकोर्ट

Update: 2022-12-15 14:15 GMT

Karnataka High Court

कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा है कि वैवाहिक मामले में किसी तीसरे पक्ष के मोबाइल टावर लोकेशन का खुलासा करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है क्योंकि यह उस व्यक्ति के निजता के अधिकार का उल्लंघन होगा, जो कार्यवाही में पक्षकार नहीं है।

जस्टिस एम नागप्रसन्ना ने कहा कि एक नागरिक को अपने परिवार, विवाह और अन्य आकस्मिक संबंधों की निजता की रक्षा करने का अधिकार है। कोर्ट ने कहा कि सूचनात्मक निजता भी निजता के अधिकार का एक अभिन्न अंग है।

''तीसरे पक्ष की निजता का पति की इस कथित दलील के आधार पर उल्लंघन करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है कि वह याचिकाकर्ता और पत्नी के बीच अवैध संबंध साबित करना चाहता है। यह सत्य है कि निजता का अधिकार भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत देश के नागरिकों को दिए गए जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार में निहित है। यह 'अकेला रहने' का अधिकार है।''

अदालत ने एक व्यक्ति की तरफ से दायर याचिका को स्वीकार करते हुए यह टिप्पणी की है,जिसने 23 फरवरी, 2019 को एक फैमिली कोर्ट द्वारा पारित उस आदेश को रद्द करने की मांग की थी,जिसमें एक वैवाहिक मामले में फैसला करने के लिए उसके टावर लोकेशन के विवरण की मांग की गई थी।

इस वैवाहिक मामले में, पत्नी ने क्रूरता के आधार पर विवाह को रद्द करने की मांग कर रखी है। उक्त कार्यवाही में पति के एक आवेदन दायर किया था जिसमें पत्नी और उसके कथित प्रेमी के कॉल डिटेल रिकॉर्ड की मांग की गई थी। उसका आरोप है कि उसकी पत्नी के उस व्यक्ति के साथ ''अवैध'' संबंध हैं,जो हाईकोर्ट के समक्ष याचिकाकर्ता है।

आवेदन की अनुमति देते हुए, फैमिली कोर्ट ने कहा था कि पति ''कॉल, एसएमएस चैट के माध्यम से की गई बातचीत के विवरण'' की मांग नहीं कर रहा है, बल्कि कानून के अनुसार मामले में फैसला करने के लिए केवल टॉवर लोकेशन का विवरण मांग रहा है।

निष्कर्ष

यह देखते हुए कि पति का इरादा केवल अपनी पत्नी की ओर से कथित व्यभिचार को साबित करना है, अदालत ने कहा कि तीसरे पक्ष के टावर विवरण को ऐसे कारणों से प्रकट करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।

''यह निस्संदेह याचिकाकर्ता के निजता के अधिकार का उल्लंघन करेगा, जो एक पक्षकार नहीं है, जिसे नोटिस जारी नहीं किया गया है और जिसे अपने बचाव में दलील देने की भी अनुमति नहीं है। इसलिए, पति और पत्नी के बीच चल रही कार्यवाही से अवगत कराए बिना याचिकाकर्ता के टावर विवरण की अनुमति देना कानून के विपरीत होगा,वो भी केवल पति के इस आरोप पर कि पत्नी का याचिकाकर्ता के साथ अवैध संबंध है।''

पति की इस दलील को खारिज करते हुए कि पत्नी ने फैमिली कोर्ट के आदेश को चुनौती नहीं दी है, पीठ ने कहा कि आदेश के लिए उसकी ''स्वीकृति'' का याचिकाकर्ता के उक्त आदेश को रद्द करने की मांग करने के अधिकार पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

''पत्नी, जो वैसे भी कार्यवाही में एक पक्षकार है, ने तलाक का मामला दायर किया है, उसकी स्वीकृति या अन्यथा, याचिकाकर्ता को बाध्य नहीं कर सकती है। वहीं पति की दलील की सहायता के लिए याचिकाकर्ता के टॉवर विवरण को समन करने या संबंधित न्यायालय के समक्ष लाने की अनुमति देने के लिए कोई अधिकार/वारंट नहीं है, जिसने कोई केस भी दायर नहीं किया है।''

केस टाइटल-वीएस बनाम पीकेआर व अन्य

केस नंबर- डब्ल्यूपी 13165/2019

साइटेशन- 2022 लाइव लॉ (केएआर) 515

आदेश की तिथि- 30-11-2022

प्रतिनिधित्व- याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट मनमोहन पी.एन.

आर 1 के लिए एडवोकेट एन गौथम रघुनाथ

आर 2 के लिए एडवोकेट अरुण गोविंदराज

आदेश पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें



Tags:    

Similar News