'राज्य के कितने पुलिस स्टेशनों में महिलाओं के लिए टॉयलेट नहीं हैं?' इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से पूछा
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष विभिन्न लॉ कॉलेजों के छात्रों द्वारा एक याचिका दायर की गई है, जिसमें उत्तर प्रदेश सरकार को ऐसे पुलिस स्टेशनों में महिलाओं के शौचालयों के निर्माण को सुनिश्चित करने के लिए निर्देश देने की मांग की गई है, जहां लेडिज़ टॉयलेट का निर्माण नहीं हुआ है।
याचिका में यह भी निर्देश देने की मांग की गई है कि राज्य सरकार यह सुनिश्चित करे कि इस तरह के शौचालयों में शौचालय, पानी, बिजली, पंखा, डोरबर्न जैसी सभी आवश्यक सुविधाएं हों, जिससे महिलाओं की निजता और गरिमा का ध्यान रखा जा सके।
न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी और न्यायमूर्ति संजय यादव की खंडपीठ ने बुधवार (03 फरवरी) को मामले की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार के लिए पेश हुए वकील को राज्य से इस संबंध में निर्देश लेने को कहा और यह भी निर्देश दिए कि राज्य के कितने पुलिस स्टेशनों में महिलाओं के लिए शौचालय नहीं है, इसकी स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की जाए।
याचिका में निम्न प्रार्थना की गईं
उत्तरदाताओं को इलाहाबाद शहर के पुलिस स्टेशनों में अर्ध निर्मित / क्षतिग्रस्त / अपूर्ण शौचालयों को पूरा करने के निर्देश दिए जाएं।
ऐसे शौचालयों के निर्माण के बाद, उन्हें महिलाओं की निजता और गरिमा को ध्यान में रखते हुए उन्हें शौचालय, पानी, बिजली, डॉकर्नोब जैसी बुनियादी सुविधाएं प्रदान करनी चाहिए।
उत्तरदाताओं की संख्या 5, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) को एक महिला पुलिस अधिकारी की अध्यक्षता में एक निगरानी समिति का गठन करने और इलाहाबाद शहर में पुलिस स्टेशनों में शौचालयों के निरीक्षण के लिए पुलिस निरीक्षक, एसआई, कांस्टेबल से मिलकर अपनी रिपोर्ट एसएसपी इलाहाबाद के समक्ष समय-समय पर उच्च न्यायालय की निगरानी में रखें।
उत्तर प्रदेश और उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव (गृह) लखनऊ और पुलिस महानिदेशक (DGP),उत्तर प्रदेश, उत्तर प्रदेश के माध्यम से पुलिस थाने के वाशरूम और शौचालयों के निर्माण और रखरखाव के लिए पर्याप्त बजटीय आवंटन करने के लिए दिशा निर्देश दिए जाएं।
इस मामले को 15 फरवरी 2021 से शुरू होने वाले सप्ताह में नए सिरे से सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया गया है।
यह ध्यान दिया जा सकता है कि 'स्टेटस ऑफ पुलिसिंग इन इंडिया रिपोर्ट 2019' शीर्षक वाली रिपोर्ट के अनुसार, 20 प्रतिशत पुलिसकर्मियों ने पुलिस स्टेशनों में महिला शौचालयों की कमी की शिकायत की थी। इस सर्वेक्षण में 21 राज्यों में 12,000 पुलिस कर्मियों को शामिल किया गया था। इस रिपोर्ट (जो दिसंबर 2019 में जारी की गई थी) के अनुसार, उत्तर प्रदेश राज्य महिला शौचालयों की कमी या खराब स्थिति के मामले में चौथे स्थान पर है।