आपराधिक मनः स्थिति के अभाव में चालक को नैतिक अधमता से जुड़े सड़क दुर्घटना के अपराध के लिए दोषी ठहराना अनुचित: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट

Update: 2023-04-15 14:21 GMT

Punjab & Haryana High Court

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने सड़क दुर्घटना के एक मामले में आईपीसी की धारा 304-ए के तहत दोषी ठहराए गए एक ड्राइवर की बर्खास्तगी के परिवहन विभाग के आदेश में संशोधन किया है। अदालत ने समय से पहले सेवानिवृत्ति के आदेश को सेवानिृवत्ति लाभों के लिए पात्रता के साथ परिवर्तित कर दिया।

जस्टिस अनिल क्षेत्रपाल की पीठ ने कहा, 

"सड़क दुर्घटनाएं, अक्सर, निर्णय की त्रुटि या यांत्रिक विफलताओं का परिणाम होती हैं। वे दूसरे वाहन की गलती के कारण भी हो सकते हैं। ऐसे मामलों में, यह मानना न्यायोचित या तर्कसंगत नहीं होगा कि चालक नैतिक अधमता से जुड़े अपराध का दोषी है, अगर आपराधिक मनःस्थिति मौजूद ना हो।

हालांकि, साथ ही, अदालत को इस तथ्य को ध्यान में रखना आवश्यक समझा कि चालक, यदि सेवा में बहाल किया जाता है, तो वह फिर से भारी-भरकम वाहन चलाएगा जो सार्वजनिक सुरक्षा को खतरे में डाल सकता है।

ड्राइवर ने पंजाब सिविल सेवा (सजा और अपील) नियम, 1970 के तहत अप्रैल 2016 में राज्य परिवहन, पंजाब के निदेशक द्वारा जारी किए गए बर्खास्तगी आदेश को चुनौती देने के लिए एक रिट याचिका दायर की ‌थी।

यह आदेश निचली अदालत द्वारा आईपीसी की धारा 304-ए के तहत लापरवाही से मौत का कारण बनने के एक सड़क दुर्घटना मामले में उनकी सजा पर आधारित था। उसे छह महीने कारावास की सजा हुई थी।

याचिकाकर्ता 1997 में पंजाब रोडवेज में ड्राइवर के रूप में शामिल हुआ था और एफआईआर की कथित दुर्घटना 2008 में हुई थी।

राज्य की ओर से पेश वकील ने स्वीकार किया कि याचिकाकर्ता प्रश्नगत दुर्घटना से पहले किसी भी दुर्घटना में शामिल नहीं रहा था और भारी-भरकम वाहन चलाता था। हालांकि, मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण और आपराधिक न्यायालय दोनों ने याचिकाकर्ता को दुर्घटना के संबंध में तेज और लापरवाही से गाड़ी चलाने का दोषी पाया।

दूसरी ओर, अदालत द्वारा नियुक्त वकील ने प्रस्तुत किया कि याचिकाकर्ता चालक ने पंजाब सिविल सेवा (समयपूर्व सेवानिवृत्ति) नियम, 1975 के आवेदन के लिए आवश्यक 15 वर्ष से अधिक की सेवा पूरी कर ली है, जिसे वर्ष 2014 में संशोधित किया गया था।

दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि यह स्वीकार किया जाता है कि याचिकाकर्ता के चालक के रूप में पूरे करियर के दौरान, जिसे 15 साल से अधिक बताया गया है, विचाराधीन घटना से पहले किसी अन्य दुर्घटना में शामिल नहीं था।

न्यायालय ने ऋषि देव बनाम हरियाणा राज्य और अन्य में हाईकोर्ट के मामले का उल्लेख किया, जिसमें इसी तरह के एक मामले में यह माना गया था कि एक बस का चालक जिसे अदालत द्वारा तेज और लापरवाही से गाड़ी चलाने का दोषी ठहराया गया है, वह बहाली के लिए हकदार नहीं है।

न्यायालय ने जरनैल सिंह बनाम पंजाब राज्य और अन्य में हाईकोर्ट के मामले का भी उल्लेख किया जिसमें न्यायालय ने उपरोक्त हितों के टकराव का सामंजस्य स्थापित किया और कहा कि बर्खास्तगी के आदेश को संशोधित करने और अनिवार्य/समय से पहले के आदेश में रिट्रियल/पेंशनरी लाभों की पात्रता के साथ सेवानिवृत्ति के रूप में परिवर्तित करने की आवश्यकता है।

कोर्ट ने जरनैल सिंह मामले से सहमति जताई और याचिकाकर्ता की सेवा से बर्खास्तगी के आदेश को संशोधित किया।

न्यायालय ने इसे सेवा से अनिवार्य या समय से पहले सेवानिवृत्ति के आदेश में परिवर्तित करने का आदेश दिया, जिसमें बर्खास्तगी आदेश की तारीख यानी 12 अप्रैल, 2016 से सेवानिवृत्त लाभ का अधिकार दिया गया।

केस टाइटलः दर्शन सिंह बनाम पंजाब राज्य और अन्य

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