राज्य सरकार ने बलात्कार मामले में प्रज्वल रेवन्ना की दूसरी जमानत याचिका का विरोध किया, दिया यह तर्क
राज्य सरकार ने शुक्रवार (27 जून) को कर्नाटक हाईकोर्ट के समक्ष बलात्कार के मामले में आरोपी पूर्व सांसद प्रज्वल रेवन्ना द्वारा दायर की गई जमानत याचिका का विरोध करते हुए तर्क दिया कि वह पहले ट्रायल कोर्ट का दरवाजा खटखटाए बिना सीधे हाईकोर्ट का दरवाजा नहीं खटखटा सकते।
राज्य की ओर से पेश विशेष लोक अभियोजक प्रोफेसर रविवर्मा कुमार ने जस्टिस एस आर कृष्ण कुमार के समक्ष प्रस्तुत किया,
"पहला आधार याचिका की स्वीकार्यता पर है। सेशन जज के पास जाने से पहले याचिका दायर की जाती है। याचिकाकर्ता सीधे हाईकोर्ट का दरवाजा नहीं खटखटा सकता।"
हाईकोर्ट ने पूछा कि क्या पहले जमानत याचिका में रेवन्ना ने सेशन कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और फिर हाईकोर्ट आए। इसने आगे पूछा कि क्या उनकी दूसरी जमानत याचिका में भी यही तरीका अपनाया जाना चाहिए।
न्यायालय ने पूछा,
"तो उन्हें वही सीढ़ियां चढ़नी होंगी। पहला दौर सेशन कोर्ट के सामने होगा?"
कुमार ने सकारात्मक जवाब दिया और उक्त प्रस्ताव पर सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के निर्णयों का हवाला देते हुए कहा,
"यदि परिस्थितियां बदल जाती हैं तो लगातार जमानत आवेदन सेशन कोर्ट के समक्ष सुनवाई योग्य है अन्यथा इस न्यायालय को उन्हें सेशन कोर्ट में स्थानांतरित कर देना चाहिए। याचिका में इस बात का एक शब्द भी नहीं है कि याचिकाकर्ता ने सेशन कोर्ट का दरवाजा खटखटाया या क्यों वह इसे दरकिनार कर रहा है। ऐसी स्थिति में याचिका को खारिज किया जाना चाहिए।"
कुमार ने फिर कहा,
"स्वीकार्यता पर दूसरी और महत्वपूर्ण आपत्ति याचिकाकर्ता के स्वयं के आचरण को लेकर है। उनका कहना है कि मुकदमा पूरा करने में देरी हुई है, वह फरार था।"
उन्होंने अपराध दर्ज होने से पहले प्रज्वल रेवन्ना द्वारा दायर मुकदमे का विवरण दिया, जिसमें उनके खिलाफ कुछ भी प्रतिकूल प्रकाशित न करने का निर्देश देने की मांग की गई और जिसमें मीडिया और कार्तिक नामक व्यक्ति के खिलाफ सिविल कोर्ट द्वारा एकपक्षीय अस्थायी निषेधाज्ञा आदेश जारी किया गया था।
कुमार ने कहा,
"यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि अब राजनीतिक प्रतिशोध का जो आरोप लगाया गया, उसका उल्लेख मुकदमे में नहीं किया गया। मुकदमे में आरोप है कि वीडियो में छेड़छाड़ की गई और उसे अस्थायी निषेधाज्ञा मिली है तथा मुकदमा लंबित है।"
अदालत ने मुकदमा दायर करने तथा सिविल कोर्ट द्वारा जमानत याचिका पर जारी अस्थायी निषेधाज्ञा के बीच संबंध के बारे में सवाल किया।
कुमार ने जोर देकर कहा,
"उन्हें वीडियो के बारे में पता था, उन्हें मई, 2023 में इसकी जानकारी थी। यह उनके आचरण को दर्शाता है।"
कुमार ने कहा कि रेवन्ना गिरफ्तारी से बचने के लिए 26 अप्रैल, 2024 को भाग गया था तथा रेवन्ना के भागने का खतरा होने का आधार बनाया।
उन्होंने कहा,
"शिकायत दर्ज होने तथा उसे गिरफ्तार किए जाने की आशंका के चलते 26-04, 2024 को वह जर्मनी भाग गया। जांच से पता चला है कि उसने उसी दिन टिकट खरीदा था।"
कुमार ने रेवन्ना द्वारा उठाए गए मुकदमे में देरी के तर्क का विरोध किया और कहा,
"बिल्कुल भी देरी नहीं हुई। याचिकाकर्ता के खिलाफ चार मामलों में से हमने याचिकाकर्ता के खिलाफ दो मामले शुरू किए हैं।"
इस स्तर पर हाईकोर्ट ने मौखिक रूप से कहा,
"इस मामले के दो अन्य मामलों की तरह तेजी से नहीं चलने का एकमात्र कारण ए-1 (एचडी रेवन्ना) द्वारा दायर याचिका में पारित स्थगन आदेश है।"
कुमार ने फिर कहा,
"याचिकाकर्ता के आचरण के कारण भी।"
कुमार ने यह भी तर्क दिया कि याचिकाकर्ता बेंच के परिवर्तन यानी फोरम हंटिंग का भी लाभ उठा रहा है।
हालांकि रेवन्ना की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट प्रभुलिंग के नवदगी ने इस तर्क का खंडन किया और कहा,
"सुप्रीम कोर्ट के फैसले में कहा गया है कि विशेष बेंच के परिवर्तन को क्रमिक जमानत मामले की सुनवाई करनी चाहिए।"
उन्होंने बताया कि सुनवाई शुरू होने से पहले उन्होंने अदालत को इस बारे में अवगत करा दिया था। अदालत ने अब सुनवाई 2 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दी गई।
Case Title: Prajwal Revanna AND State of Karnataka