पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने दिव्यांग पत्नी को तलाक दिए बिना कई बार शादी करने वाले बेटे के साथ मिलीभगत करने के आरोपी पिता को अग्रिम जमानत देने से इनकार किया
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने एक मामले में एक पिता को अग्रिम जमानत देने से इनकार करते हुए कहा कि वह अपने बेटे के साथ कथित तौर पर मिलीभगत कर रहा था, जिसने अपनी दिव्यांग पत्नी से तलाक लिए बिना कई शादियां कीं। अदालत ने कहा कि आरोप की गंभीरता को देखते हुए और सच्चाई का पता लगाने के लिए याचिकाकर्ता से हिरासत में पूछताछ जरूरी है।
जस्टिस जसजीत सिंह बेदी की बेंच ने कहा,
" आरोप की गंभीरता को देखते हुए और अपने बेटे के कई विवाहों के संबंध में सच्चाई को उजागर करने के लिए, याचिकाकर्ता की हिरासत में पूछताछ आवश्यक है।"
पीठ ने आगे कहा कि याचिकाकर्ता ने विभिन्न दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किये हैं, जो दर्शाता है कि वह अपने बेटे के विभिन्न महिलाओं के साथ कई विवाहों से अवगत है। इसके अलावा अदालत ने आगे कहा कि याचिकाकर्ता की तस्वीरें उसके बेटे की अलग-अलग महिलाओं के साथ अलग-अलग शादियों में हैं।
शिकायतकर्ता ने दावा किया कि याचिकाकर्ता के बेटे ने 2001 में अपनी बहन ( 80% दिव्यांग ) के साथ शादी की थी और विवाह से दो बच्चे पैदा हुए। इनमें से एक बच्चा 90% दिव्यांग था। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि ससुराल वालों ने उसकी बहन और बच्चों को छोड़ दिया और याचिकाकर्ता के बेटे ने अपनी बहन से तलाक लिए बिना पांच शादियां कीं।
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि याचिकाकर्ता की मिलीभगत से ये सभी शादियां की गईं , जिससे न केवल उसकी बहन बल्कि अन्य महिलाओं को भी धोखा दिया गया।
इस तथ्य पर विचार करने के बाद कि याचिकाकर्ता के पोते के साथ याचिकाकर्ता की बहू शारीरिक रूप से अक्षम है, अदालत ने निष्कर्ष निकाला कि आरोप की गंभीरता को देखते हुए और याचिकाकर्ता के बेटे के कई विवाहों के संबंध में सच्चाई को उजागर करने के लिए हिरासत में पूछताछ जरूरी है।
तद्नुसार, अग्रिम जमानत की रियायत देने की मांग वाली याचिका अदालत ने खारिज कर दी।
केस टाइटल : अजैब सिंह बनाम पंजाब राज्य
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