COVID-19 का कोई मामला नहीं होने के बावजूद हज़रत निज़ामुद्दीन बस्ती पिछले 65 दिनों से है सील : दक्षिण पूर्वी दिल्ली के डीएम को नोटिस
हज़रत निज़ामुद्दीन बस्ती आरडब्ल्यूए ने प्रेसिडेंट ने दक्षिण पूर्वी दिल्ली के ज़िला मजिस्ट्रेट श्रीमती हरलीन कौर को एक कानूनी नोटिस दिया है। इस नोटिस में आरोप लगाया गया है कि कोरोना का कोई मामला नहीं होने के बाद भी इस अधिकारी ने इस क्षेत्र को पिछले 65 दिनों से सील कर रखा है।
नोटिस में कहा गया है कि राष्ट्रीय राजधानी की हज़रत निज़ामुद्दीन बस्ती को जानबूझकर निशाना बनाया गया है ताकि मुस्लिम समुदाय को बदनाम किया जा सके। यह क्षेत्र 30 मार्च से सील है जबकि इस क्षेत्र में COVID-19 का एक भी मामला नहीं हुआ है।
नोटिस में कहा गया है कि
"…65 से अधिक दिन हो गए, हज़रत निज़ामुद्दीन बस्ती को आपने मनमाने तरीक़े से COVID-19 कंटेनमेंट ज़ोन बना रखा है, जबकि यहां से एक भी संक्रमण की खबर नहीं है …और इस वजह से यहां के लोगों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है…बस्ती के लोग अपनी आजीविका के लिए कहीं बाहर आ-जा नहीं सकते और वे भुखमरी की कगार पर पहुंच गए हैं और यह उनके जीवन को लील रहा है।"
यह कहा गया है कि इस क्षेत्र में सीआरपीएफ कर्मियों की तैनाती 'इस क्षेत्र के मुस्लिम समुदाय के लोगों को आतंकित करने के लिए' की गई है।
इस स्थिति के कारण न केवल यहां के निवासियों और युवाओं की वित्तीय और शारीरिक रूप से इस मुश्किल समय में नौकरियाँ छूट रही हैं, उनका सामाजिक बहिष्कार हो रहा है और कोरोना फैलाने वाले के रूप में उनको निशाना बनाया जा रहा है। इसकी वजह से बस्ती के निवासियों को मानसिक, भावनात्मक और वित्तीय आघात पहुंच रहा है। यह नोटिस वक़ील महमूद प्राचा ने तैयार किया है।
इस क्षेत्र के डीएम पर आरोप लगाया गया है कि उन्होंने राजनीतिक एजेंडा के तहत 20 हज़ार निवासियों को सील कर रखा है। नोटिस में कहा गया है कि यह एक ऐसा मामला है जिसमें एक पूरे समुदाय को अलग-थलग कर दिया गया है जबकि दूसरे क्षेत्रों में किसी पॉज़िटिव मामले का पता चलने पर सिर्फ़ गलियों और भवनों को ही सील किया गया है।
नोटिस में कहा है कि
"…आपने …अपने राजनीतिक आकाओं के राजनीति एजेंडे का समर्थन करने के लिए COVID-19 के नाम पर मुस्लिम समुदाय के 20 हज़ार लोगों को बदनाम कर रहे हैं और वह भी बिना किसी औचित्य के …केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कंटेनमेंट ज़ोन के लिए जो दिशानिर्देश जारी किए हैं उससे कहीं ज़्यादा अधिक है और यह अपने शक्तियों का दुरुपयोग है और मुस्लिम समुदाय के ख़िलाफ़ बदनीयती की ओर इशारा करता है और दिल्ली का यह एकमात्र उदाहरण है जहां एक ही समुदाय के 20 हज़ार लोगों को पूरी तरह लॉक कर दिया गया है जबकि नज़दीक के क्षेत्र या दिल्ली के अन्य भागों में सिर्फ़ गली, सड़क या ब्लॉक को ही सील किया गया है जब उन क्षेत्रों में कहीं कोरोना के किसी मामले का पता चला।"
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के 5 अप्रैल के दिशानिर्देशों का हवाला देते हुए कहा गया है कि अगर किसी क्षेत्र से पिछले मामले के बाद 28 दिनों तक कोई पॉज़िटिव मामला नहीं होता है तो वहाँ ऑपरेशन को न्यून किया जाना चाहिए। इस क्षेत्र में अंतिम पॉज़िटिव मामला के सामने आने के बाद अभी तक कोई पॉज़िटिव मामला सामने नहीं आया है।
इसलिए इस बस्ती को सील करना क़ानून के ख़िलाफ़ है। डीएम से कहा गया है कि वे इस क्षेत्र को सील करने के समर्थन में वाजिब सबूत पेश करें और अगर ऐसा नहीं कर पाते हैं तो इस क्षेत्र से सीलिंग हटाएं।
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