हज पर जाने वाले लोग हज कमेटी के उपभोक्ता नहीं, पढ़ें NCDRC का फैसला

Update: 2019-09-16 13:22 GMT

राष्ट्रीय उपभोक्ता वाद निपटान आयोग (NCDRC) ने यह दोहराया है कि हज कमिटी ऑफ इंडिया, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के दायरे में नहीं आती है और हज तीर्थयात्री, कमिटी के उपभोक्ता नहीं हैं।

न्यायमूर्ति वी. के. जैन ने अधिवक्ता शेख इमरान आलम और राहुल कुमार जैन के माध्यम से हज कमेटी ऑफ इंडिया द्वारा दायर एक पुनरीक्षण याचिका (Revision petition) पर फैसला सुनाते हुए कानून की इस निर्धारित स्थिति को दोहराया।

मूल शिकायत 2 हज तीर्थयात्रियों द्वारा (जिन्होंने तीर्थयात्रा के बाद भारत लौटने के दौरान विमान अधिग्रहण, अल वफीर एयरलाइंस के अधिकारियों के पास 13 बैग जमा किए थे) अल वफीर एयरलाइंस (Al Wafeer Airlines) और मौजूदा याचिकाकर्ता के खिलाफ दर्ज की गई थी। हालांकि, यह उनका मामला था कि उन 13 बैगों में से केवल 9 वापस किये गए थे। इस शिकायत को जिला फोरम ने लिखित शिकायत की अनुपस्थिति में अनुमति दी थी, और याचिकाकर्ता द्वारा राज्य आयोग के समक्ष अपील को आयोग ने अल वफीर एयरलाइंस के नॉन-जाइंडर के चलते ख़ारिज कर दिया था।

याचिकाकर्ता ने उपरोक्त आदेशों का विरोध करते हुए कहा है कि उत्तरदाताओं की शिकायत अल वफीर एयरलाइंस के खिलाफ होगी और हज कमेटी के खिलाफ नहीं, भले ही समिति द्वारा एयरलाइंस की सेवाओं को शिकायतकर्ता को भारत ले जाने के उद्देश्य से लिया गया हो।

यह भी दावा किया गया था कि हज पर जाने वाले तीर्थयात्रियों को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 2 (1) (डी) के अर्थ के भीतर, हज समिति के उपभोक्ता नहीं कहा जा सकता है और इसलिए, हज समिति के खिलाफ कोई भी उपभोक्ता शिकायत बरकरार नहीं थी।

हज कमिटी ऑफ इंडिया बनाम अब्बास अली एवं अन्य, RP/ 981/2018 के मामले पर भरोसा किया गया, जिसमें यह स्पष्ट किया गया था कि हज कमिटी ऑफ इंडिया उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के दायरे में नहीं आएगी, क्योंकि हज के लिए दिशानिर्देश, 2008 के खंड 18 के अनुसार, हज कमिटी ऑफ इंडिया की सेवाएं नि: शुल्क थीं।

"... हज कमिटी बिना किसी लाभ के मकसद से सेवाएं दे रही है और केवल हज यात्रा की व्यवस्था करने पर उसके द्वारा किए जाने वाले वास्तविक खर्चों को ही एकत्रित कर रही है। हज कमिटी ऑफ इंडिया द्वारा तीर्थयात्रियों की सेवा के लिए उनसे कोई शुल्क या सेवा शुल्क नहीं लिया जा रहा है। इसलिए, शिकायतकर्ताओं को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 2 (1) (डी) के अर्थ के भीतर हज कमिटी ऑफ इंडिया का उपभोक्ता नहीं कहा जा सकता है।"

इस दृष्टि से, आयोग ने याचिकाकर्ता की मूल शिकायत को याचिकाकर्ता के सापेक्ष खारिज कर दिया, जबकि इस शिकायत में एयरलाइंस कंपनी के खिलाफ दिए गए आदेशों को अनुमति दी गई है। 



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