ज्ञानवापी : 'शिव लिंग' की वैज्ञानिक जांच से इनकार करने के वाराणसी कोर्ट के आदेश को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती, एएसआई को नोटिस
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शुक्रवार को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को वाराणसी कोर्ट के 14 अक्टूबर के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर एक नोटिस जारी किया, जिसमें उसने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के अंदर कथित तौर पर पाए गए 'शिव लिंग' की वैज्ञानिक जांच के लिए हिंदू उपासकों की याचिका खारिज कर दी थी।
कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को ध्यान में रखते हुए यह फैसला सुनाया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि शिवलिंग मिलने वाली जगह को उसी रूप में संरक्षित रखा जाए। सर्वे की अनुमति नहीं दी जा सकती।
ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे उसी आदेश को चुनौती देते हुए एक लक्ष्मी देवी ने हाईकोर्ट का रुख किया था।
जस्टिस जे जे मुनीर की पीठ ने एएसआई को नोटिस जारी करते हुए मामले को आगे की सुनवाई के लिए 21 नवंबर, 2022 को पोस्ट किया है। याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट विष्णु शंकर जैन के साथ एडवोकेट हरि शंकर जैन पेश हुए।
मामले की पृष्ठभूमि
मुख्य मुकदमे में पांच हिंदू महिलाओं (वादी) में से 4 महिलाओं ने कथित रूप से ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के अंदर पाए गए शिव लिंग की वैज्ञानिक जांच के लिए वर्तमान याचिका दायर की। एक वादी (राखी सिंह) ने कार्बन डेटिंग की याचिका का विरोध किया।
उल्लेखनीय है कि 4 वादी ने सीपीसी के आदेश 26 नियम 10 ए के तहत आवेदन किया, जो न्यायालय को वैज्ञानिक जांच के लिए कमीशन जारी करने की शक्ति प्रदान करता है।
यह याचिका वाराणसी कोर्ट द्वारा ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में पूजा के अधिकार की मांग करने वाली पांच हिंदू महिलाओं (वादी) द्वारा दायर मुकदमे की स्थिरता को चुनौती देने वाली अंजुमन इस्लामिया मस्जिद समिति की याचिका (आदेश 7 नियम 11 सीपीसी के तहत दायर) को खारिज करने के 10 दिन बाद स्थानांतरित की गई थी।
#JustIn [GYANVAPI]
— Live Law (@LiveLawIndia) November 4, 2022
The #AllahabadHighCourt has issued notice to @ASIGoI on a plea moved challenging #VaranasiCourt's order rejecting Hindu worshippers' plea for scientific probe into 'Shiva Linga' allegedly found inside #GyanvapiMosque premises. pic.twitter.com/T8K4LT0JCm
वाराणसी कोर्ट ने हालांकि, वैज्ञानिक जांच की याचिका को 14 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश के मद्देनजर खारिज कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि शिवलिंग मिलने वाली जगह को उसी रूप में संरक्षित रखा जाए। सर्वे की अनुमति नहीं दी जा सकती।
वाराणसी कोर्ट ने कहा था,
"शिव लिंग की उम्र और प्रकृति का निर्धारण करने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को निर्देशित करना उचित नहीं होगा और इस आदेश के माध्यम से वाद में शामिल प्रश्नों के निर्धारण की कोई संभावना नहीं है।"
कोर्ट आगे कहा,
"अगर कार्बन डेटिंग या ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार की अनुमति दी जाती है और 'शिवलिंग' को कोई नुकसान होता है तो यह सुप्रीम कोर्ट के शिवलिंग को संरक्षित रखने के आदेश का उल्लंघन होगा और इससे आम जनता की धार्मिक भावनाओं को भी ठेस पहुंच सकती है।"
उल्लेखनीय है कि ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के भीतर शिव लिंग की उपस्थिति के बारे में दावा 16 मई को प्रमुखता से किया गया, जब अदालत द्वारा नियुक्त कोर्ट कमिश्नर ने प्रस्तुत किया कि सर्वेक्षण के दौरान ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के अंदर उन्हें एक शिवलिंग मिला है। इसके तहत कोर्ट ने संबंधित स्थान/क्षेत्र को सील करने का आदेश दिया।
आदेश के प्रभावी हिस्से में कहा गया,
"वाराणसी के जिलाधिकारी को उस स्थान को तुरंत सील करने का आदेश दिया जाता है, जहां शिवलिंग पाया गया। इसी के साथ सील की गई जगह में किसी भी व्यक्ति का प्रवेश प्रतिबंधित है।"
कोर्ट ने वाराणसी के जिलाधिकारी, पुलिस आयुक्त और सीआरपीएफ कमांडेंट को भी निर्देश दिया कि वह सीलबंद जगह की सुरक्षा सुनिश्चित करें, जहां ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वेक्षण में शिवलिंग कथित तौर पर पाए गए हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वाराणसी में सिविल जज सीनियर डिवीजन द्वारा उस स्थान की रक्षा के लिए पारित आदेश जहां ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वेक्षण के दौरान "शिवलिंग" पाए जाने का दावा किया गया, नमाज अदा करने और धार्मिक अनुष्ठान करने के लिए मस्जिद में जाने के लिए मुसलमानों के अधिकार को प्रतिबंधित नहीं करेगा।
वाराणसी कोर्ट ने अप्रैल, 2022 में वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर की पश्चिमी दीवार के पीछे हिंदू मंदिर में प्रार्थना करने के लिए पांच हिंदू महिलाओं द्वारा दायर याचिकाओं पर परिसर के निरीक्षण का आदेश दिया था।