ज्ञानवापी विवाद: वाराणसी कोर्ट ने हिंदू उपासकों के मुकदमे की स्थिरता के सवाल पर मस्जिद समिति की चुनौती पर आदेश सुरक्षित रखा

Update: 2022-08-24 15:08 GMT

वाराणसी की एक अदालत ने ज्ञानवापी मस्जिद-काशी विश्वनाथ मंदिर विवाद को लेकर पांच हिंदू महिलाओं (वादी) द्वारा दायर किए गए मुकदमे के सुनवाई योग्य होने पर सवाल उठाने वाली अंजुमन इस्लामिया मस्जिद समिति की याचिका पर बुधवार को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया।

हिंदू महिला उपासकों द्वारा दायर सूट में वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर की पश्चिमी दीवार के पीछे एक हिंदू मंदिर में प्रार्थना करने के लिए साल भर की पहुंच की मांग की गई है। जिला जज एके विश्वेश ने आज सुनवाई पूरी की और 12 सितंबर 2022 को फैसला सुनाए जाने की संभावना है।

अंजुमन इस्लामिया मस्जिद समिति ने ज्ञानवापी मस्जिद-काशी विश्वनाथ मंदिर विवाद पर पांच हिंदू महिलाओं (वादी) द्वारा दायर मुकदमे की स्थिरता पर सवाल उठाते हुए एक आदेश 7 नियम 11 सीपीसी आवेदन दिया है।

सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत ने अप्रैल 2022 में पांच हिंदू महिलाओं द्वारा वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर की पश्चिमी दीवार के पीछे एक हिंदू मंदिर में प्रार्थना करने के लिए साल भर की पहुंच की मांग करने वाली याचिकाओं पर परिसर के निरीक्षण का आदेश दिया था।

उनका दावा है कि वर्तमान मस्जिद परिसर कभी एक हिंदू मंदिर था और इसके बाद मुगल शासक औरंगजेब द्वारा इसे ध्वस्त कर दिया गया था, वहां वर्तमान मस्जिद संरचना का निर्माण किया गया था।

दूसरी ओर अंजुमन मस्जिद समिति ने अपनी आपत्ति और आदेश 7 नियम 11 आवेदन में तर्क दिया कि वाद विशेष रूप से पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 द्वारा प्रतिबंधित है। न्यायालय के समक्ष वादी ने तर्क दिया था कि आदेश 7 नियम 11 सीपीसी आवेदन को अलग से नहीं सुना जाना चाहिए और आयोग की रिपोर्ट के साथ विचार किया जाना चाहिए। उन्होंने आदेश 26 नियम 10 सीपीसी पर भरोसा किया। वादी ने यह भी तर्क दिया कि उन्हें ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वेक्षण की सीडी, रिपोर्ट और तस्वीरें उपलब्ध कराई जानी चाहिए। हालांकि, मस्जिद समिति ने तर्क दिया कि आदेश 7 नियम 11 सीपीसी के तहत उनके आवेदन को पहले सुना जाना चाहिए और वह भी अलग-अलग।

मामले की पृष्ठभूमि

स्थानीय अदालत [वाराणसी के सिविल जज (सीनियर डिवीजन) रवि कुमार दिवाकर की अध्यक्षता में] ने पहले मस्जिद का दौरा करके एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए एक सर्वेक्षण आयोग नियुक्त किया था। कोर्ट को 19 मई को सर्वे रिपोर्ट मिली थी।

सर्वेक्षण रिपोर्ट प्रस्तुत करने से पहले ही न्यायालय ने न्यायालय द्वारा नियुक्त एडवोकेट कमिश्नर द्वारा किए गए एक प्रस्तुतीकरण पर कि सर्वेक्षण के दौरान ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के अंदर शिव लिंग पाया था, न्यायालय ने मौके को सील करने का आदेश दिया था।

कोर्ट ने आदेश दिया था, " वाराणसी के जिलाधिकारी को आदेश दिया जाता है कि जिस स्थान पर शिवलिंग मिला, उसे तत्काल सील कर दिया जाए और सीलबंद जगह में किसी भी व्यक्ति का प्रवेश प्रतिबंधित किया जाए।"

इस बीच वाराणसी कोर्ट के सर्वेक्षण करने के आदेश को चुनौती देते हुए मस्जिद कमेटी द्वारा सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक याचिका दायर की थी।

सुप्रीम कोर्ट ने 17 मई को याचिका पर सुनवाई करते हुए स्पष्ट किया था कि वाराणसी में सिविल जज सीनियर डिवीजन द्वारा उस स्थान की रक्षा के लिए पारित आदेश, जहां ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वेक्षण के दौरान "शिवलिंग" पाए जाने का दावा किया गया, उस स्थान पर नमाज अदा करने और धार्मिक अनुष्ठान करने के लिये मुसलमानों के मस्जिद में प्रवेश करने के अधिकार से प्रतिबंधित नहीं करेगा।

सुप्रीम कोर्ट ने इसके अलावा 20 मई को हिंदू भक्तों द्वारा ज्ञानवापी मस्जिद-काशी विश्वनाथ मंदिर विवाद के संबंध में दायर मुकदमे को वाराणसी में जिला न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया था।

जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ,जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस पी एस नरसिंह की पीठ ने यह भी आदेश दिया कि मस्जिद समिति द्वारा कानून में वर्जित होने के कारण मुकदमा खारिज करने के लिए आदेश 7 नियम 11 सीपीसी के तहत निचली अदालत के समक्ष दायर आवेदन पर जिला जज द्वारा प्राथमिकता के आधार पर निर्णय लिया जाएगा।

इस बीच, इसका 17 मई का अंतरिम आदेश आवेदन पर निर्णय होने तक और उसके बाद आठ सप्ताह की अवधि के लिए लागू रहेगा। साथ ही संबंधित जिलाधिकारी को वुजू के पालन की समुचित व्यवस्था करने का निर्देश दिया गया।

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