बलात्कार मामले में अस्थाई जमानत बढ़ाने की आसाराम बापू की याचिका पर नोटिस जारी
गुजरात हाईकोर्ट ने मंगलवार (24 जून) को आसाराम बापू द्वारा दायर अस्थाई जमानत बढ़ाने की याचिका पर नोटिस जारी किया। आसाराम को 2013 में गांधीनगर सेशन कोर्ट ने बलात्कार के मामले में दोषी ठहराया है और वे आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं।
इस साल जनवरी में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें चिकित्सा आधार पर 31 मार्च तक अंतरिम जमानत दी थी। इसके बाद आसाराम ने अस्थाई जमानत बढ़ाने की मांग करते हुए हाईकोर्ट का रुख किया। 28 मार्च को हाईकोर्ट की खंडपीठ ने खंडित फैसला सुनाया; उसके बाद आसाराम की याचिका पर सुनवाई करने वाले तीसरे जज ने उन्हें तीन महीने की अस्थाई जमानत दे दी।
आसाराम बापू ने अब अस्थाई जमानत बढ़ाने की मांग करते हुए हाईकोर्ट का रुख किया।
सुनवाई के दौरान आसाराम बापू की ओर से सीनियर एडवोकेट शालीन मेहता ने जस्टिस इलेश जे वोरा और जस्टिस पीएम रावल की खंडपीठ के समक्ष कहा,
"हम राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) से प्रमाण पत्र प्राप्त करने का भी प्रयास कर रहे हैं, जो प्रमाणित करता है कि मैं एक बूढ़ा और असाध्य रूप से बीमार कैदी हूं या नहीं। इसलिए उस प्रमाण पत्र का इंतजार है। हमें वह दो दिन में मिल जाएगा।"
आसाराम की जमानत 30 जून को समाप्त होने वाली है।
इसके बाद खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा,
"नोटिस जारी करें। रजिस्ट्री को प्रतिवादी शिकायतकर्ता की ओर से अधिवक्ता एकांत आहूजा और सीनियर वकील बीबी नाइक का नाम दिखाने का निर्देश दिया जाता है।"
मामले की अगली सुनवाई 27 जून को होगी।
बता दें, आसाराम ने इससे पहले मार्च में छह महीने के लिए अस्थायी जमानत की मांग करते हुए हाईकोर्ट का रुख किया था, जहां उनके वकील ने तर्क दिया था कि डॉक्टरों की राय है कि आसाराम बापू को पंचकर्म चिकित्सा की आवश्यकता है - 90 दिनों का कोर्स।
हाल ही में, गुजरात हाईकोर्ट ने आसाराम के बेटे नारायण साईं को - जिसे बलात्कार के एक अन्य मामले में दोषी ठहराया गया था और आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी - 'मानवीय आधार' पर आसाराम से मिलने के लिए पांच दिन की अस्थायी जमानत दी। आसाराम की मेडिकल स्थिति और इस तथ्य पर विचार करने के बाद कि पिता और पुत्र व्यक्तिगत रूप से नहीं मिल पाए थे।
31 जनवरी, 2023 को सेशन कोर्ट ने आसाराम बापू को अपने अहमदाबाद स्थित आश्रम में अपनी महिला शिष्या के साथ कई बार बलात्कार करने का दोषी पाया और उन्हें दोषी ठहराया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई। उन्हें भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 376 (बलात्कार), 377 (अप्राकृतिक अपराध), धारा 342 (गलत तरीके से बंधक बनाना), 506 (आपराधिक धमकी) और 357 (किसी व्यक्ति को गलत तरीके से बंधक बनाने के प्रयास में हमला या आपराधिक बल) और 354 (महिला की शील भंग करने के इरादे से उस पर हमला या आपराधिक बल प्रयोग) के तहत दोषी ठहराया गया था।
Case title: ASHUMAL @ ASHARAM THAUMAL SINDHI (HARPALANI) versus STATE OF GUJARAT & ANR.