गुजरात हाईकोर्ट ने 13 साल के बच्चे के साथ अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने के 16 वर्षीय आरोपी को जमानत दी
गुजरात हाईकोर्ट ने करीब 13 साल के नाबालिग लड़के के साथ जबरन अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने के आरोपी 16 साल के लड़के को जमानत दे दी।
जस्टिस समीर दवे की खंडपीठ ने किशोर न्याय अधिनियम की धारा 12 को ध्यान में रखते हुए आरोपी को उस सोसायटी में प्रवेश करने से रोकते हुए जमानत दे दी जहां कथित पीड़ित रहता है। ऐसा करते हुए बेंच ने जेजे एक्ट की धारा 102 के तहत दायर आपराधिक पुनर्विचार आवेदन को जमानत से इनकार करने वाले सत्र न्यायालय और जेजे बोर्ड द्वारा पारित आदेश को रद्द करने की अनुमति दी।
धारा 12 में प्रावधान है कि जब किसी बच्चे को कथित रूप से कोई अपराध करते हुए पकड़ा जाता है तो उसे जमानत के साथ या बिना जमानत पर रिहा किया जाएगा या किसी परिवीक्षा अधिकारी की देखरेख में या किसी व्यक्ति की देखरेख में रखा जाएगा।
इस मामले में 16 साल और 8 महीने की उम्र के आवेदक पर आरोप है कि उसने शिकायतकर्ता के 13 साल के नाबालिग बेटे को छत पर ले जाकर जबरन व्यभिचार किया। घटना के बारे में किसी को बताने पर उसने पीड़ित को जान से मारने की धमकी भी दी।
तदनुसार, भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 377, 323, 506 (1) और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम, 2012 की धारा 3 (ए), 4 और धारा 18 के तहत दर्ज एफआईआर में आवेदक को अप्रैल 2022 में गिरफ्तार किया गया और बाल निरीक्षण गृह भेज दिया गया था।
आवेदक ने दावा किया कि वह किशोर है, जिसे वर्तमान अपराध में आरोपी के रूप में झूठा फंसाया गया है। इसके अलावा, वह अपनी विधवा मां के साथ रह रहा है और अगले शैक्षणिक वर्ष में पढ़ाई शुरू करना चाहता है। उसका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है। इसलिए उसने आग्रह किया कि आवेदन की अनुमति दी जाए।
एपीपी ने आवेदक की दलीलों पर कड़ी आपत्ति जताई और आवेदन को खारिज करने की मांग की।
पक्षकारों द्वारा दी गई दलीलों के साथ-साथ आरोपी की उम्र को ध्यान में रखते हुए हाईकोर्ट ने आवेदन की अनुमति देना उचित समझा और शर्तों के साथ नियमित जमानत पर उसकी रिहाई का आदेश दिया।
केस टाइटल: माइनर मोहित शंकरभाई वाघेला तेजल शंकरभाई वाघेला बनाम गुजरात राज्य के माध्यम से
केस नंबर: आर/सीआर.आरए/537/2022
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