''अपने जाल में खुद फंसा'': गुजरात हाईकोर्ट ने जज को प्रभावित करने के लिए कॉल करने वाले अनजान व्यक्ति और ज़मानत आवेदक के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू की

Update: 2020-06-28 06:00 GMT

Gujarat High Court

शुक्रवार को गुजरात हाईकोर्ट ने एक जमानत आवेदक के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू कर दी है क्योंकि अदालत को पता चला है कि मिस्ट्री कॉल करने वाले ने मामले की सुनवाई करने वाले न्यायाधीश को प्रभावित करने की कोशिश की थी और उसे आवेदक ने ही यह काम सौंपा था।

न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी ने इस अभूतपूर्व घटना पर कड़ा रुख अपनाते हुए जमानत आवेदक विजय अरविंदभाई शाह और फोन करने वाले अल्पेश रमेशभाई पटेल के खिलाफ आपराधिक अवमानना का मामला दर्ज किया है।

अदालत ने दोनों के बीच आपस में एक-दूसरे को भेजे गए व्हाट्सएप संदेशों को रिकॉर्ड पर लेते हुए कहा कि-

''वर्तमान मामले में आवेदक को जिस एफआईआर में आरोपी के रूप में दिखाया गया है, वह किसी भी तरह से उस मामले में अग्रिम जमानत का आदेश प्राप्त करने का इच्छुक था। परंतु दूसरों के लिए बिछाए गए जाल में वह खुद की फंस गया है।''

मामले की पृष्ठभूमि

जैसा कि पहले बताया गया था कि न्यायमूर्ति त्रिवेदी को शाह की अग्रिम जमानत अर्जी के संबंध में लगातार कॉल और एसएमएस आ रहे थे और 22 जून को इस अर्जी पर सुनवाई होनी थी, जो व्यक्ति उनको काॅल कर रहा था, उसने बताया कि वह पेटलाद से विधायक है और उसका नाम निरंजन पटेल है।

हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार द्वारा की गई प्रारंभिक जांच में पता चला कि जिस नंबर से कॉल किया गया था, वह एक तोफिकभाई वोहरा के नाम पर पंजीकृत था, इसलिए अदालत ने मामले की पुलिस जांच के आदेश दिए हैं।

पुलिस की जांच

जांच के दौरान पुलिस ने विधायक निरंजन पटेल और टोफिकभाई वोहरा,दोनों से पूछताछ की।

विधायक पटेल ने पुलिस को बताया कि आवेदक के साथ उनके पारिवारिक संबंध थे, लेकिन उन्होंने कभी भी इस तरह का कोई फोन नहीं किया था और न ही कभी किसी को इस तरह की कॉल करने के लिए कहा था।

दूसरी तरफ, ज़िरॉक्स दुकान के मालिक वोहरा ने खुलासा किया कि मोबाइल नंबर उसका ही है। परंतु एक अल्पेश रमेशभाई पटेल नामक व्यक्ति ने उक्त फोन से कॉल किया था (जिसकी पहचान पुलिस ने दुकान के आसपास के क्षेत्र में लगाए गए सीसीटीवी कैमरे की मदद से की है)।

जैसा कि आदेश में रिकाॅर्ड किया गया है कि अल्पेश ने चौंंकाने वाले खुलासे'' में बताया है कि उसे न्यायमूर्ति बेला को कॉल करने और उन्हें प्रभावित करने के लिए कहा गया था। उसको यह काम करने के लिए खुद जमानत आवेदक ने कहा था और इसके बदले उसको पैसे मिलने थे।

अल्पेश ने खुलासा किया कि जमानत आवेदक ने उन्हें विधायक पटेल के नाम का उपयोग करने के लिए कहा था। जिसके बारे में अदालत ने कहा कि, ऐसा शायद अदालत की सहानुभूति जीतने के लिए और अग्रिम जमानत प्राप्त करने का प्रयास करने के लिए किया गया था या फिर यह चाहते थे कि अदालत इस तरह के कॉल से पूर्वाग्राही होकर केस को स्थानांतरित कर देगी।

कोर्ट ने अग्रिम जमानत देने से किया इनकार

पीठ ने अग्रिम जमानत अर्जी को खारिज करते हुए कहा कि-

''आवेदक की ओर से इस तरह का आचरण अत्यधिक अपमानजनक और अनुचित है। आवेदक के मन में न्याय वितरण प्रणाली के लिए कोई सम्मान नहीं है और न ही सच्चाई के लिए कोई आदर है। ऐसे आवेदक के आवेदन पर विचार नहीं किया जा सकता है। इसलिए सिर्फ इसी आधार पर उसका आवेदन खारिज करने योग्य है।''

वास्तव में आवेदक के वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता एनडी नानावटी और अधिवक्ता दगली ने भी उनका प्रतिनिधित्व करने से इनकार कर दिया है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि वे रिकाॅर्ड पर आए तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए वह आवेदक का किसी भी तरह से बचाव नहीं कर सकते हैं।

अवमानना की कार्रवाई

अदालत ने माना कि आवेदक का ''एक अच्छी से डिजाइन किया गया परंतु खराब नियत से प्रेरित मिशन'' था,जिसके तहत वह अग्रिम जमानत के मामले में अनुकूल आदेश प्राप्त करना चाहता था। इसलिए उसके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू की जानी ही चाहिए।

अदालत ने आवेदक को कानून की नियत प्रक्रिया में बांधा पहुंचाने के मामले में फटकार लगाते हुए कहा कि-

''रिकाॅर्ड पर आए उपरोक्त ट्विस्ट और टर्न से यह प्रतीत होता है कि पेटलाद से विधायक पटेल का नाम, आवेदक विजय शाह ने अदालत को भ्रमित करने के लिए इस्तेमाल किया था।''

अदालत ने कहा कि न्यायिक कार्यों को वादियों के कदाचार या रणनीति से बाधित होने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।

न्यायमूर्ति त्रिवेदी ने कहा कि

'जब न्याय-वितरण प्रणाली को इस तरह के अपराधियों के हाथों अभूतपूर्व चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, तो भ्रष्टाचार करने या न्याय-वितरण प्रणाली को विफल करने की किसी भी कोशिश के साथ बहुत कड़ाई से निपटा जाना चाहिए। ''

इसी के साथ अदालत ने आवेदक व उसके सहयोगी को दस जुलाई के लिए अवमानना नोटिस जारी किया है।

आवेदक ने पहले इस रहस्यमय कॉल के बारे में जताई थी अनभिज्ञता

गौरतलब है कि कोर्ट ने आवेदक से पूछा था कि क्या उसे रहस्यमय कॉल, या कॉल करने वाले के बारे में कोई जानकारी है? अदालत ने स्पष्ट रूप से आवेदक से पूछा था कि क्या वह पहले से ही विधायक पटेल को जानता है?

हालांकि उसने इस तरह की किसी भी काॅल के बारे में जानकारी न होने की बात कही थी। आवेदक ने कहा था कि विधायक पटेल वास्तव में उसे गिरफ्तार होता देखने में ''बहुत ज्यादा दिलचस्पी'' रखते हैं।

इसके विपरीत, अदालत ने पाया कि आवेदक ने वास्तव में अदालत को प्रभावित करने के लिए विधायक के नाम का ''उपयोग'' किया था।

जबकि उसने अदालत के सामने अपनी निर्दोषता का दावा किया था। लेकिन उसने अदालत की पीठ के पीछे कॉल करने वाले अल्पेश को सावधान रहने के लिए कहा था।

जैसा कि अदालत के समक्ष अल्पेश ने बताया था कि आवेदक ने उसे बुलाया था और उसे सूचित किया था कि अदालत ने मामले में जांच के आदेश दिए हैं। इसलिए उसे सावधान रहना होगा। इस बात ने स्वाभाविक रूप से अल्पेश को छुपने के लिए प्रेरित किया था। हालांकि उसे गांधीनगर पुलिस ने पकड़ लिया और संबंधित अधिकारियों के सामने पेश किया। 

आदेश की प्रति डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें




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