GST चोरी का अभियोजन मूल्यांकन पूरा होने पर निर्भर नहीं: केरल हाईकोर्ट

Update: 2023-12-18 11:11 GMT

केरल हाईकोर्ट ने माना कि सीजीएसटी अधिनियम (CGST Act) की धारा 132 के तहत अपराधों के लिए अभियोजन मूल्यांकन के पूरा होने पर निर्भर नहीं करता।

जस्टिस मुहम्मद नियास सी.पी. की पीठ इस आधार पर जमानत देने से इनकार कर दिया कि याचिकाकर्ता के खिलाफ 6.5 करोड़ रुपये से अधिक की कथित चोरी का गंभीर आरोप लगाया गया है, जिसकी गहन जांच जरूरी है। कोर्ट ने कहा कि जब जांच चल रही हो तो याचिकाकर्ता को जमानत नहीं दी जा सकती।

याचिकाकर्ता केरल राज्य वस्तु एवं सेवा अधिनियम, 2017 की धारा 132(1) के तहत विभाग की शिकायत के आधार पर दर्ज अपराध में आरोपी है। आरोपी GST Act के तहत रजिस्टर्ड डीलर है। उनके दो कार्यालय हैं, एक पुलिमूडु जंक्शन, कोट्टायम में और एक अतिरिक्त व्यावसायिक स्थान कोचर रोड, पझावंगडी, तिरुवनंतपुरम में है। वह मोबाइल एक्सेसरीज़ और इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं के थोक वितरक हैं, जिन पर 18% GST के साथ टैक्स लगता है।

यह आरोप लगाया गया कि वह 2018 से देय कर भुगतान से चोरी करते हुए चालान जारी किए बिना माल की आपूर्ति कर रहा है। आरोपी 6.14 करोड़ की अनुमानित कर चोरी में शामिल है। 9 नवंबर, 2023 को आरोपी के कार्यालय पर छापा मारा गया और 13 नवंबर, 2023 को उसे गिरफ्तार कर लिया गया।

याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता रजिस्टर्ड डीलर है, जो 2018 से 2023 तक नियमित रूप से रिटर्न का भुगतान कर रहा है। विभाग ने याचिकाकर्ता के भाई के बेटों द्वारा संचालित दो अन्य फर्मों की आय को गलत तरीके से शामिल किया, जिनके पास अलग-अलग जीएसटी रजिस्ट्रेशन हैं। तीनों संस्थाओं की आय गलत तरीके से लेकर कुल आय निकाली गई। विभाग ने पहले ही दस्तावेज़, इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड और अन्य संबंधित सामग्री जब्त कर ली है, इसलिए आगे हिरासत में पूछताछ आवश्यक नहीं है।

रिमांड रिपोर्ट में यह नहीं कहा गया कि याचिकाकर्ता की निरंतर हिरासत आवश्यक है। गवाहों को प्रभावित करने की कोई गुंजाइश नहीं है, क्योंकि वे अधिकारी हैं। याचिकाकर्ता निर्दोष है और उसने कोई अपराध नहीं किया। सभी लेनदेन चालान और बिलों के आधार पर किए जाते हैं और सभी लेनदेन उस कंप्यूटर पर दर्ज किए जाते हैं, जिसे तलाशी के दौरान जब्त किया गया।

विभाग ने दलील दी कि जांच से पता चला कि उसने बिना बिल जारी किए माल की आपूर्ति की और सरकारी खजाने से कर की चोरी की। आरोपी अपनी वास्तविक बाहरी कर योग्य आपूर्ति को दबाकर बड़े पैमाने पर कर चोरी में शामिल है। तलाशी के बाद वह फरार हो गया और कहा कि जांच अभी प्रारंभिक चरण में है। इस स्तर पर याचिकाकर्ता को रिहा करने से निश्चित रूप से उचित जांच प्रभावित होगी। बिना इनवॉइस जारी किए सामान सप्लाई करने के आरोप का जवाब अब भी नहीं दिया गया।

अदालत ने कहा कि एक बार अपराध की सामग्री स्पष्ट हो जाने के बाद आयुक्त या सक्षम प्राधिकारी यह निर्धारित कर सकते हैं कि अपराधी को गिरफ्तार किया जाना है, या नहीं। यदि यह उचित जांच सुनिश्चित करने और सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने या गवाहों को डराने या प्रभावित करने की संभावना को रोकने के लिए है तो शक्ति का प्रयोग निश्चित रूप से किया जा सकता।

कोर्ट ने जमानत अर्जी खारिज कर दी।

याचिकाकर्ता के वकील: सी.एस.मणिलाल, एस.निधीश और प्रतिवादी के वकील: मोहम्मद रफीक

केस टाइटल: बढ़ा राम बनाम खुफिया अधिकारी

केस नं.: जमानत आवेदन नंबर 10492/2023

आदेश पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें




Tags:    

Similar News