तब्लीगी जमातः वीजा नियमों का उल्लंघन करने वाले विदेशी नागरिकों से सख्ती से निपटना होगा : गुजरात हाईकोर्ट

Update: 2020-04-05 05:30 GMT

दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में हुई तब्लीगी जमात की धार्मिक मण्डली के कारण COVID-19  संक्रमण के कई केस सामने आने के मामले में गुजरात हाईकोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र सरकार से कहा है कि उनको वीजा कानूनों के उल्लंघनकर्ताओं के साथ सख्ती से व्यवहार करना चाहिए।

 केंद्र सरकार द्वारा पेश की गई एक रिपोर्ट के अनुसार, अपने पर्यटक वीजा के आधार पर धार्मिक मण्डली में भाग लेने वाले 960 विदेशियों ने वीजा मैन्यूअल या नियमावली 2019 के प्रावधानों का उल्लंघन किया है। जो द फाॅरनेर्स एक्ट या विदेशी अधिनियम, 1946 की धारा 13 और 14 के तहत कार्रवाई करने के लिए भी उत्तरदायी हैं।

इस मामले को गंभीरता से लेते हुए मुख्य न्यायाधीश विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति आशुतोष जे शास्त्री की पीठ ने कहा कि-

''... हालांकि वीजा नियमावली, 2019 और द फॉरेनर्स एक्ट, 1946 के उल्लंघन के संबंध में, भारत संघ थोड़ी देर से जागा है, लेकिन अब यह पूरी तरह से तैयार है। इसलिए ऐसे उल्लंघनकर्ताओं की पहचान करने के लिए ठोस प्रयास किया किए जाएं, उनके स्थान का पता लगाएं और उन्हें चिन्हित करें।

हम केवल यह जोड़ सकते हैं कि केंद्र सरकार वीजा नियमावली, 2019 और द फॉरेनर्स एक्ट, 1946 के प्रावधानों का अनुपालन कड़ाई से सुनिश्चित करा सकती है। जो भी विदेशी नागरिक अपने वीजा के आधार पर भारत में प्रवेश कर रहे हैं,अगर उनमें से कोई भी नियमों का उल्लंघन करता हुआ पाया जाता है, उससे कड़े हाथों से निपटा जाना चाहिए।'' 

इस मामले में पहले भी हाईकोर्ट ने केंद्र व राज्य सरकार को कुछ निर्देश जारी किए थे। इसलिए उन्हीं के अनुपालन को लेकर मामले की फिर से सुनवाई की गई।

हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार व राज्य सरकार से कहा था कि वह एक विस्तृत रिपोर्ट दायर करके बताएं कि इस धार्मिक मण्डली में भाग लेने वालों की पहचान करके उन्हें आइसोलेशन में रखने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं,जो बाद में गुजरात में प्रवेश कर गए थे।

उक्त आदेश के मद्देनजर, केंद्र सरकार ने विस्तृत स्थिति रिपोर्ट दायर करते हुए बताया कि सभी भारतीय और विदेशी नागरिकों की पहचान करने का काम जारी है। जैसे ही पूरी जानकारी प्राप्त होगी, उसको संबंधित राज्यों के साथ आगे की कार्रवाई के लिए साझा किया जाएगा।

राज्य सरकार ने तब्लीगी जमात में भाग लेने के बाद गुजरात आने वालों की पहचान और उनकी देखभाल व संरक्षण से संबंधित एक रिपोर्ट प्रस्तुत की। 

शुक्रवार को सुनवाई के दौरान, सहायक सॉलिसिटर जनरल ने अदालत को सूचित किया कि ''उल्लंघन के मद्देनजर, इन 960 नागरिकों के वीजा तुरंत रद्द करने का निर्णय लिया गया है और सभी को ब्लैकलिस्टेड दिशानिर्देशों के अनुसार श्रेणी ''ए'' के तहत ब्लैकलिस्ट किया जाएगा। जिसके बाद, उन्हें निर्वासित करने के लिए कार्रवाई की जाएगी।''

 रिपोर्ट पर संतोष व्यक्त करते हुए पीठ ने कहा कि-

''हम आशा और विश्वास करते हैं कि केंद्र सरकार और राज्य सरकार दोनों एक ही अर्थ और भावना के साथ महामारी COVID-19 (कोरोना वायरस) और तब्लीगी जमात द्वारा वर्तमान में बनाई इस गंभीर स्थिति से निपटने के लिए अपने प्रयास जारी रखेंगे। क्योंकि इन सबके कारण पूरा देश 21 दिनों के लाॅकडाउन में है,जो 25 मार्च, 2020 से 14 अप्रैल, 2020 तक रहेगा।''

हाईकोर्ट ने यह भी निर्देश दिया था कि इस बात को सुनिश्चित किया जाए कि राज्य में कोई धार्मिक सभा आयोजित न की जाए। इस संबंध में राज्य सरकार ने सभी संदेहों को स्पष्ट करते हुए एक रिपोर्ट दायर की।

इसी बीच हाईकोर्ट ने महामारी के मद्देनजर दायर अन्य याचिकाओं पर भी एक साथ सुनवाई की थी। जिनके जवाब में, राज्य सरकार ने तालाबंदी के दौरान बच्चों, महिलाओं, प्रवासियों आदि के कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए उठाए गए कदमों का विवरण देते हुए एक संपूर्ण रिपोर्ट प्रस्तुत की।

इन सभी मुद्दों पर अपनी संतुष्टि को दर्ज करते हुए, हाईकोर्ट ने लोगों से कहा कि वे उन मामलों में याचिकाएं दायर करने से परहेज करें, जिनके लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकारें पहले से ही जागरूक हैं और संकट से निपटने के लिए उचित निर्णय ले रही हैं।

अदालत ने चेताया कि-

''यह भी उल्लेखनीय है कि लॉकडाउन और सामाजिक दूरी की स्थिति में, पुलिस, चिकित्सा और स्वास्थ्य, खाद्य और नागरिक आपूर्ति, श्रम और रोजगार, वित्त, आदि जैसी आवश्यक सेवाओं के अंतर्गत आने वाले विभिन्न विभागों के सरकारी कर्मचारी हैं,जो अपने जीवन को खतरे में डालकर इस संकट से निपटने के लिए दिन-रात काम कर रहे हैं।

ऐसे में अगर कोई भी जनहित याचिका जो कि प्रेरित या प्रायोजित हो या लोकप्रियता के लिए अपने व्यक्तिगत लाभ या किसी निहित स्वार्थ के लिए, या फर्जी पाई गई तो उससे उचित अवस्था में दृढ़ता से निपटा जाएगा।''

अंत में, कोर्ट केंद्र और राज्य, दोनों सरकारों से दो सप्ताह के भीतर सुनवाई के दौरान उठाए गए कुछ नए मुद्दों पर रिपोर्ट दायर करने के लिए कहा है।

अब इस मामले में अगली सुनवाई 17 अप्रैल को होगी।

मामले का विवरण-

केस का शीर्षक- स्वत संज्ञान बनाम बनाम गुजरात राज्य (साथ में अन्य याचिकाएं भी )

केस नंबर-स्वत संज्ञान पीआईएल नंबर 42/2020

कोरम- मुख्य न्यायाधीश विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति आशुतोष जे शास्त्री



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