मद्रास हाईकोर्ट ने राशन कार्डधारकों को मिलने वाले नक़द लाभ में बढ़ोतरी करने संबंधी याचिका ख़ारिज की

Update: 2020-05-02 05:00 GMT

Madras High Court

मद्रास हाईकोर्ट ने शुक्रवार को तमिलनाडु में राशन कार्डधारी लोगों को मिलने वाली 1000 रुपए की नक़द राशि में बढ़ोतरी किए जाने का आदेश दिए जाने संबंधी याचिका ख़ारिज कर दी।

यह याचिका एडवोकेट के भारती ने दायर की थी कि लॉकडाउन की अवधि बढ़ाए जाने के बाद राशन कार्डधारकों को जो 1000 रुपए मिलते हैं वह पर्याप्त नहीं है। भारती ने कहा कि दिहाड़ी मज़दूरों, ठेके पर काम करने वाले और असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों सहित ग़रीब लोगों के लिए किसी भी तरह के पैकेज की घोषणा नहीं की गई है।

याचिकाकर्ता ने अदालत से आग्रह किया कि वह तमिलनाडु में सरकार को हर राशन कार्ड धारकों को हर महीने 15,000 रुपए देने का आदेश दे।

अदालत ने इस बात पर ग़ौर किया कि लॉकडाउन की वजह से देश में आर्थिक कठिनाई बढ़ गई है लेकिन याचिकाकर्ता ने जिस तरह का आदेश जारी करने की मांग की थी, वैसा आदेश देने से अदालत ने मना कर दिया और कहा कि यह वित्तीय नीति का मामला है।

न्यायमूर्ति एम सत्यनारायणन और न्यायमूर्ति एम निर्मल कुमार ने अपने फ़ैसले में कहा कि

"हर राशन कार्ड धारी को 15,000 रुपए देने का मामला वित्तीय निर्णय से जुड़ा है और सरकार की तिजौरी में उपलब्ध धन के उचित प्रयोग का भी। यह नीतिगत निर्णय है।"

अदालत ने इसके बाद कहा कि सरकार संकट के प्रति सचेत है और स्थिति को सुधारने के लिए वह उचित क़दम उठा रही है और लॉकडाउन को चरणबद्ध तरीक़े से ख़त्म करने को लेकर दिशानिर्देश जारी कर रही है।

इस पृष्ठभूमि में अदालत ने इस याचिका को यह कहते हुए ख़ारिज कर दिया कि -

"प्रशासन स्थिति से वाक़िफ़ है यह अदालत हमेशा ही प्रशासन से उम्मीद करती है कि वह समस्या से निपटने के लिए उचित समय पर उचित क़दम उठाएगा और संविधान का अनुच्छेद 226 उस पर अधिकारों की जो सीमा लगाती है, विशेषकर वित्तीय नीति के मामले को लेकर उस वजह से वह इस बारे में कोई निर्देश जारी नहीं कर सकती।" 




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