सुशांत सिंह राजपूत की बहनों के खिलाफ एफआईआर: प्रियंका सिंह के खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला, मीतू सिंह के खिलाफ कोई मामला नहीं, बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा

Update: 2021-02-15 11:23 GMT

बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को दिवंगत बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की बहनों प्रियंका और मीतू सिंह द्वारा दायर याचिका को आंशिक रूप से स्वीकार कर लिया है। इस याचिका में मुंबई पुलिस की उस प्राथमिकी को रद्द करने की मांग की गई है, जिसमें उनके खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने और आपराधिक षड्यंत्र रचने और डॉक्टर की सलाह के बिना अभिनेता को दवाई देने का आरोप लगाया है।

हालाँकि कोर्ट ने मीतू सिंह के संबंध में प्राथमिकी को खारिज कर दिया, लेकिन उसने प्रियंका सिंह से संबंधित मामले में प्राथमिकी को रद्द करने से इनकार कर दिया।

न्यायमूर्ति एसएस शिंदे और न्यायमूर्ति एमएस कर्णिक ने कहा कि प्रियंका सिंह के खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला पाया गया है और उनके खिलाफ जांच में कोई बाधा नहीं होनी चाहिए।

यह एफआईआर अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती द्वारा सुशांत सिंह राजपूत की बहनों और डॉ. तरुण कुमार - राम मनोहर लोहिया अस्पताल के कार्डियोलॉजी के एक एसोसिएट प्रोफेसर के खिलाफ 7 सितंबर, 2020 को भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी) और 306 के तहत दर्ज की गई थी। साथ ही साथ नारकोटिक ड्रग्स और साइकोट्रोपिक पदार्थ अधिनियम (एनडीपीएस) से संबंधित अपराध के तहत भी मामला दर्ज किया गया था।

बाद में इस मामले को केंद्रीय जांच ब्यूरो को स्थानांतरित कर दिया गया था, जो दिवंगत अभिनेता की मौत की जांच कर रही है। अभिनेत्री चक्रवर्ती ने आरोप लगाया है कि सुशांत की बहनों ने मिलकर दवाइयां दीं, जिससे उन्हें 14 जून, 2020 को अपनी जिंदगी गंवानी पड़ी।

हालांकि बहनों ने अधिवक्ता माधव थोराट द्वारा दायर याचिका में विसंगतियों का हवाला दिया है। शिकायत में चक्रवर्ती के बयान और एक साक्षात्कार को यह कहते हुए दिखाया गया है कि "शिकायत बाद में की गई है और केवल दिवंगत अभिनेता की मृत्यु की जांच को भ्रमित करने के इरादे से दायर की गई है।"

उन्होंने एफआईआर दर्ज करने में 91 दिनों की देरी का हवाला दिया है। याचिका में दावा किया गया है कि डॉ. कुमार के प्रिस्क्रिप्शन को टेलीमेडिसिन गाइडलाइन्स और टेलीस्पाइकाइरेट्री ऑपरेशनल गाइडलाइंस के तहत कवर किया गया है, यह कहते हुए कि ऐसा कोई सबूत नहीं है, जिससे पता चले कि प्रिस्क्रिप्शन जाली हैं।

बहनों ने रिया पर आरोप लगाया है कि उसने "गलत इरादों" के तहत एफआईआर दर्ज की और विशुद्ध रूप से चक्रवर्ती के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के बदले में यह एफआईआऱ दर्ज की गई, जिसकी आखिरकार सीबीआई ने जांच शुरू कर दी। इसमें यह भी कहा गया है कि दिवंगत अभिनेता की मृत्यु के बाद वे लगातार मीडिया की चर्चा में रहे हैं और उन पर लगाए गए "आरोपों" का उनके जीवन पर लंबे समय तक प्रभाव रहेगा।

अपने जवाब में सीबीआई ने हाईकोर्ट में कहा कि एफआईआर दर्ज करने का मुंबई पुलिस का फैसला "कानून की अवहेलना" था। सीबीआई ने दावा किया कि एक घटना की रिपोर्ट करने के लिए दो प्राथमिकी दर्ज नहीं की जा सकती और वे पहले से ही अभिनेता राजपूत की मौत के कारण की जांच कर रहे हैं। सीबीआई ने मुंबई पुलिस पर दुर्भावनापूर्ण तरीके से मुकदमा चलाने का आरोप लगाया।

इस बीच, एम्स की एक टीम ने सीबीआई को अपनी राय दी, जिसमें कहा गया कि राजपूत की मौत फांसी के कारण हुई थी। लेकिन सीबीआई को अभी अभिनेता की मौत की जांच पूरी करनी है।

मुंबई पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने के अपने फैसले का बचाव किया है और कहा है कि दोनों एफआईआर न तो एक ही आरोपी के खिलाफ हैं, न ही एक ही  साजिश है, जैसा कि आरोप लगाया गया है। इसलिए, एफआईआर भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत दिवगंत अभिनेता की बहनों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं करती है। इसके अलावा, मुंबई पुलिस ने तुरंत एफआईआर को सीबीआई को स्थानांतरित कर दिया।

अपनी मूल शिकायत में रिया चक्रवर्ती ने कहा था,

"8 जून, 2020 को  सुशांतराजपूत ने मुझे वे मैसेज दिखाए, जिसमें उनकी और उनकी बहन प्रियंका की बातचीत हुई थी। इन मैसेज में प्रियंका ने उन्हें खाने ने के लिए दवाओं की एक लिस्ट भेजी थी। मैंने राजपूत को समझाया कि वह पहले से ही दवाएँ निर्धारित कर चुके हैं। डॉक्टरों द्वारा उनका इलाज हो रहा है। ...हालांकि, वह मुझसे असहमत थे और  उन्होंनेजोर देकर कहा कि वह केवल वही दवा  लेंंगे, जो उनकी बहन बता रही है।"

अभिनेत्री ने दावा किया है कि उनकी बहन द्वारा भेजे गए पर्चे में उल्लिखित सभी दवाएं एनडीपीएस अधिनियम के तहत नियंत्रित हैं और कानून द्वारा अनिवार्य किए, बिना किसी भी परामर्श के बिना जारी नहीं ली जा सकती हैं।

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