परिस्थितियों में विशेष बदलाव के बिना एक के बाद अग्रिम जमानत आवेदन दाखिल करना प्रक्रिया का दुरुपयोग : पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने 50 हज़ार रुपए का जुर्माना लगाया

Update: 2022-06-13 07:42 GMT
P&H High Court Dismisses Protection Plea Of Married Woman Residing With Another Man

Punjab & Haryana High Court

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने दोहराया है कि गिरफ्तारी की आशंका वाले व्यक्ति द्वारा मामले की परिस्थितियों में पर्याप्त बदलाव के बिना अग्रिम जमानत के लिए लगातार आवेदन दाखिल करना अदालत की प्रक्रिया का दुरुपयोग है।

जस्टिस विकास बहल ने ऐसे ही एक आवेदन को खारिज करते हुए याचिकाकर्ता पर जुर्माना लगाया और उसे एक महीने के भीतर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को में 50,000/- रुपये जमा करवाने के निर्देश जारी किये।

इस मामले में याचिकाकर्ता पर संशोधित वेतनमान का लाभ लेने के लिए फर्जी दस्तावेज तैयार करने का आरोप है। अग्रिम जमानत के लिए उसकी याचिका को पहले अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने खारिज कर दिया था। इसके बाद एक दूसरी अग्रिम जमानत याचिका दायर की गई, जिसे वापस लेने पर अदालत ने राहत देने के लिए अपनी अनिच्छा व्यक्त की। इसके एक महीने बाद वर्तमान याचिका दायर की गई।

अदालत ने कहा,

" कोई बाद की घटना या परिस्थिति में बहुत कम बदलाव हुए और याचिकाकर्ता के विद्वान वकील द्वारा परिस्थिति में पर्याप्त बदलाव नहीं दिखाया गया है।"

जीआर आनंद बाबू बनाम तमिलनाडु राज्य और अन्य के मामले का हवाला दिया गया, जहां सुप्रीम कोर्ट ने माना कि जब एक बार अग्रिम ज़मांत को स्पीकिंग ऑर्डर से खारिज कर दिया जाता है तो परिस्थितियों में बदलाव का विशिष्ट कारण एक के बाद एक अग्रिम जमानत आवेदनों पर लागू नहीं किया जा सकता।

अदालत ने गुण-दोष के आधार पर मामले पर विचार करते हुए पाया कि याचिकाकर्ता ने जाली दस्तावेज जमा करके विभाग से संशोधित वेतनमान का लाभ लिया है और प्रथम दृष्टया एफआईआर में उल्लिखित अपराध किया है, इसलिए वह अग्रिम जमानत की रियायत का पात्र नहीं है।

कोर्ट ने कहा,

" याचिकाकर्ता ने इस प्रकार जाली दस्तावेज जमा करके विभाग से संशोधित वेतनमान का लाभ प्राप्त किया था और प्रथम दृष्टया एफआईआर में उल्लिखित अपराध किया है और अग्रिम जमानत की रियायत के लायक नहीं है।"

अदालत ने इसके अलावा माना कि मूल मार्कशीट की बरामदगी और वर्तमान अपराध के कमीशन में अन्य व्यक्तियों की संलिप्तता का पता लगाने के लिए याचिकाकर्ता की हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता है। अतः वर्तमान याचिका गुणदोष के आधार पर भी खारिज किये जाने योग्य है।

तदनुसार, दूसरी याचिका आरोपों के साथ खारिज की गई ।

केस टाइटल: अशोक कुमार बनाम हरियाणा राज्य

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