किसानों का विरोध: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को NH-44 पर निर्बाध यातायात सुनिश्चित करने का निर्देश दिया, राज्य को अंतिम उपाय के रूप में बल प्रयोग करने के लिए कहा

Update: 2023-06-06 15:42 GMT

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने यह देखते हुए कि एनएच-44 देश की "जीवन रेखा" है, राज्य को राष्ट्रीय राजमार्ग पर "बिना किसी बाधा के" यातायात की मुक्त आवाजाही सुनिश्चित करने का निर्देश दिया, जिससे बड़े पैमाने पर जनता को परेशानी न हो।

जस्टिस मंजरी नेहरू कौल और जस्टिस मनीषा बत्रा की खंडपीठ देखा, 

"यह निर्देश बिना किसी और देरी के तत्काल प्रभाव से लागू किया जाएगा। हालांकि, साथ ही यह भी स्पष्ट किया जाता है कि प्रशासन अत्यधिक संयम बरतेगा और केवल अंतिम उपाय के रूप में भीड़ को तितर-बितर करने के लिए बल का प्रयोग करेगा।"

इसने हरियाणा के मुख्य सचिव को अगली तारीख 16 जून को स्टेटस रिपोर्ट के साथ निर्देशों के अनुपालन में उठाए गए कदमों को बताते हुए एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।

अदालत भारतीय किसान यूनियन और अन्य के इशारे पर प्रदर्शनकारियों को राष्ट्रीय राजमार्ग -44 पर इकट्ठा होने से रोकने के निर्देश जारी करने के लिए दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

तर्क दिया गया कि किसान यूनियन ने सितंबर, 2022 में जारी निर्देशों के बाद नाकाबंदी हटा दी थी, लेकिन जल्द से जल्द सूरजमुखी फसल की खरीद शुरू नहीं होने पर फिर से सड़क जाम करने की धमकी दी है।

याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि शाहाबाद में आज दोपहर से बड़ी ''भीड़'' जमा हो रही है। अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता ने समाचार चैनलों की वीडियो रिकॉर्डिंग चलाई, जिसमें यूनियन के कुछ नेता प्रशासन से NH-44 से यातायात को हटाने के लिए कह रहे हैं, क्योंकि वे जल्द ही यातायात को रोकना शुरू कर देंगे।

कोर्ट ने वीडियो रिकॉर्डिंग, फोटोग्राफ और रिकॉर्ड में मौजूद अन्य सामग्री को ध्यान में रखते हुए एनएच-44 को मुक्त प्रवाह के लिए खुला रखने के निर्देश जारी किए।

मामले को आगे के विचार के लिए 13 जून को सूचीबद्ध किया गया है।

केस: रणदीप तंवर बनाम हरियाणा राज्य व अन्य

याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट पदमकांत द्विवेदी पेश हुए।

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