फैमिली कोर्ट से अपेक्षा की जाती है कि वे हायपर-टेक्निकल दृष्टिकोण नहीं अपनाएं और हड़बड़ी में क्रॉस एक्जामिनेशन करने के पक्षकार के अधिकार को खत्म न करें: दिल्ली हाईकोर्ट

Update: 2023-05-22 08:10 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि फैमिली कोर्ट से अपेक्षा की जाती है कि वे "हायपर-टेक्निकल दृष्टिकोण" न अपनाएं और वैवाहिक मामलों से निपटने के दौरान एक पक्ष की क्रॉस एक्जामिनेश के अधिकार को जल्दबाजी में बंद न करें।

जस्टिस रेखा पल्ली ने अभियोजन पक्ष के गवाह के रूप में पेश हुए पति से क्रॉस एक्जामिनेशन करने के अपने अधिकार की बहाली के लिए पत्नी के आवेदन को खारिज करते हुए फैमिली कोर्ट द्वारा पारित आदेश रद्द करते हुए यह टिप्पणी की।

अदालत ने कहा,

"वर्तमान जैसे मामलों में जब न्यायालय फैमिली लॉ से संबंधित याचिकाओं से निपट रहा है, जहां पार्टियां पहले से ही एक-दूसरे के साथ संघर्ष कर रही हैं, भले ही मामलों को शीघ्रता से तय करने की आवश्यकता हो, अदालत से उम्मीद की जाती है कि वह इस तरह के अतिवाद को न अपनाए -तकनीकी दृष्टिकोण और जल्दबाजी में जिरह करने के पक्षकारों के अधिकार को बंद कर देता है।”

पत्नी का मामला यह था कि पति से क्रॉस एक्जामिनेशन करने का उसका अधिकार इस तथ्य की सराहना किए बिना बंद कर दिया गया कि उसे उससे क्रॉस एक्जामिनेशन करने का उस तारीख को केवल अवसर दिया गया, जिस तारीख को उसके वकील ने समय मांगा था, क्योंकि पति के हलफनामे की प्रति नहीं दी गई थी ।

जस्टिस पल्ली ने याचिका को स्वीकार करते हुए कहा,

"मेरा मानना ​​है कि भले ही याचिकाकर्ता के वकील की ई-मेल से हलफनामे के माध्यम से साक्ष्य प्राप्त न करने या इस न्यायालय के समक्ष मामले में व्यस्त होने के बारे में याचिका दायर की गई। याचिका खारिज किए जाने के लिए फैमिली कोर्ट को इस बात की सराहना करनी चाहिए थी कि पीडब्ल्यू -1, जो इस मामले में सबसे महत्वपूर्ण गवाह है, उससे क्रॉस एक्जामिनेशन करने के उसके अधिकार को बंद करने से याचिकाकर्ता को गंभीर और अपूरणीय पूर्वाग्रह होगा।

न्यायालय ने आक्षेपित आदेश को 5000 रुपये के जुर्माने के भुगतान के अधीन रद्द कर दिया। साथ ही बेरोजगार विधवा को 25,000 रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया, जिसने COVID-19 महामारी के दौरान अपने पति को खो दिया था।

अदालत ने कहा,

“दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हैं कि यह राशि किसी भी योग्य विधवा को दी जानी चाहिए, जिसने अपने पति को COVID-19 की महामारी के दौरान खो दिया। तदनुसार, विवादित आदेश को 25,000/- रुपये के जुर्माने के साथ रद्द किया जाता है।”

पत्नी को पति से क्रॉस एक्जामिनेशन करने का मौका देते हुए कोर्ट ने स्पष्ट किया कि फैमिली कोर्ट उसे कोई स्थगन नहीं देगी। इसमें कहा गया कि अगर पत्नी या उसके वकील सुनवाई की अगली तारीख 24 जुलाई को पति से क्रॉस एक्जामिनेशन करने में विफल रहते हैं तो आगे कोई समय नहीं दिया जाएगा।

अदालत ने कहा,

"हालांकि, अगर फैमिली कोर्ट को पता चलता है कि पीडब्ल्यू-1 की क्रॉस एक्जामिनेश किसी भी न्यायोचित कारणों से नहीं की जा सकती तो उसी तारीख को निष्कर्ष निकाला जा सकता है, यह पूरा करने के लिए अन्य तारीख देने के लिए फैमिली कोर्ट खुला होगा। याचिका का उपरोक्त शर्तों के अनुसार निस्तारण किया जाता है।”

केस टाइटल: चेतना राठी बनाम चाहित कुंडू

आदेश पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें




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