जिला न्यायपालिका में स्टेनोग्राफर, बेंच क्लर्क संवेदनशील पद, इन्हें कॉन्ट्रैक्ट पर नियुक्त नहीं किया जा सकता: कलकत्ता हाईकोर्ट
कलकत्ता हाईकोर्ट ने माना कि स्टेनोग्राफर और बेंच क्लर्क जैसे पद जिला न्यायपालिका में संवेदनशील पद हैं और इन पदों पर कर्मचारियों को कॉन्ट्रैक्ट (Contractually) पर नियुक्त नहीं किया जा सकता, क्योंकि वे स्थायी कर्मचारियों के समान जिम्मेदारियां या दायित्व साझा नहीं करेंगे।
जस्टिस अरिंदम मुखर्जी की एकल पीठ ने उत्तर और दक्षिण 24 परगना जजों के पद पर स्टेनोग्राफर और बेंच क्लर्कों को कॉन्ट्रैक्ट पर नियुक्त करने की मांग करने वाली दो भर्ती अधिसूचनाओं पर रोक लगा दी।
न्यायालय ने कहा:
यह दुख की बात है कि राज्य द्वारा दिए गए आश्वासनों के बावजूद रिक्त पड़े स्वीकृत पद के विरुद्ध नियमित कर्मचारियों की भर्ती के लिए भर्ती प्रक्रिया वर्षों से नहीं की गई। जिला न्यायपालिका के सुचारू संचालन के लिए 'स्टेनोग्राफर', 'बेंच क्लर्क (पेशकार)' का पद बहुत संवेदनशील पद है। कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर नियुक्त किसी भी व्यक्ति को किसी भी कदाचार के लिए नियमित कर्मचारी की तरह कोई जिम्मेदारी या दायित्व नहीं दिया जा सकता। ऐसे संवेदनशील पदों पर कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर नियुक्ति से जिला न्यायपालिका के सुचारू संचालन में सहायता करने की अपेक्षा अधिक कठिनाइयां उत्पन्न होने की संभावना है।
अदालत पश्चिम बंगाल न्यायालय कर्मचारी संघ द्वारा दायर रिट याचिका पर विचार कर रही थी, जिसमें उत्तर 24-परगना और दक्षिण 24-परगना के जिला जजों के फास्ट ट्रैक न्यायालयों और फैमिली कोर्ट में कर्मचारियों की नियुक्ति के संबंध में दो भर्ती अधिसूचनाओं को चुनौती दी गई।
दोनों अधिसूचनाओं के तहत भर्ती प्रक्रिया में शुरू में एक वर्ष की अवधि के लिए कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर व्यक्तियों की नियुक्ति की जानी थी, जिसे नवीनीकृत करने का विकल्प था।
अदालत के समक्ष कार्यवाही
याचिकाकर्ताओं ने प्रस्तुत किया कि पश्चिम बंगाल जिला न्यायालय (सेवा का गठन, भर्ती, नियुक्ति, परिवीक्षा और कर्मचारियों का अनुशासन) नियम, 2015 (जिसे आगे 2015 नियम कहा जाएगा) के प्रावधानों के मद्देनजर घोषित रिक्तियों के लिए कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर व्यक्तियों की नियुक्ति का कोई प्रावधान नहीं है।
उक्त नियम के अध्याय-III और अनुसूची डी के प्रावधानों का हवाला देते हुए याचिकाकर्ताओं द्वारा प्रस्तुत किया गया कि उक्त नियमों के तहत “अंग्रेजी स्टेनो-टाइपिस्ट” नामक कोई पद स्वीकृत नहीं है। स्वीकृत पद स्टेनोग्राफर ग्रेड-I, स्टेनोग्राफर ग्रेड-II और स्टेनोग्राफर ग्रेड-III हैं।
स्टेनोग्राफर ग्रेड-I का कैडर पूरी तरह से फीडर पद यानी स्टेनोग्राफर ग्रेड-II से पदोन्नति के माध्यम से भरा जाना है। स्टेनोग्राफर ग्रेड-II में। यह तर्क दिया गया कि 25% सीधी भर्ती द्वारा भर्ती करने का प्रावधान है, शेष 75% स्टेनोग्राफर ग्रेड-III के पद से पदोन्नति द्वारा भरा जाना आवश्यक है, और इसी तरह।
याचिकाकर्ताओं ने कहा कि स्टेनोग्राफर ग्रेड-I, स्टेनोग्राफर ग्रेड-II और स्टेनोग्राफर ग्रेड-III के किसी भी पद को संविदात्मक नियुक्ति द्वारा भरने का कोई प्रावधान नहीं है। स्वीकृत पदों में से किसी के विरुद्ध संविदात्मक नियुक्ति की संभावना को खारिज करने के लिए इसी तरह के तर्क दिए गए।
राज्य की ओर से दलील दी गई कि कॉन्ट्रैक्ट नियुक्ति से भरे जाने वाले पदों पर कर्मचारियों की भारी कमी है। पिछले कई वर्षों से भर्ती प्रक्रिया नहीं हुई, ऐसे में वर्तमान में जिला न्यायपालिका के कामकाज को संचालित करने के लिए संविदा नियुक्ति की मांग की गई।
बताया गया कि यदि दोनों नियुक्ति अधिसूचनाओं में हस्तक्षेप किया जाता है तो जिला न्यायपालिका के कामकाज में गतिरोध पैदा होगा। राज्य की ओर से यह भी दलील दी गई कि उक्त नियम स्थायी कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए है और नियमित नियुक्ति के लिए उपलब्ध पद रिक्त रहने पर भी संविदा कर्मचारियों को नियुक्त करने पर कोई रोक नहीं है।
यह भी दलील दी गई कि अकुशल कर्मचारियों (चपरासी) को कॉन्ट्रैक्ट आधार पर भुगतान के लिए वित्तीय वर्ष 2022-2023 में 64,12,032/- रुपये की राशि खर्च की गई है। कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों और स्टाफ की नियुक्ति कोई नई प्रक्रिया नहीं है।
आगे यह भी कहा गया कि यद्यपि भर्ती प्रक्रिया की तिथियां पहले ही अधिसूचित कर दी गईं, लेकिन याचिकाकर्ताओं ने बहुत लंबा इंतजार किया और जब नियुक्ति दी जानी थी, तभी याचिकाकर्ताओं ने गलत इरादे और दुर्भावनापूर्ण इरादे से यह रिट याचिका दायर की।
उत्तर में याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि नियमित भर्ती प्रक्रिया के बिना नियमित स्वीकृत पद के विरुद्ध कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों को नियुक्त करके की जाने वाली अवैधता के अलावा, प्रतिवादी संविदा नियुक्ति के माध्यम से नियमित कर्मचारियों के पदोन्नति के अवसरों को बाधित करने का प्रयास कर रहे हैं।
यह तर्क दिया गया कि यदि नियमित भर्ती प्रक्रिया आयोजित नहीं की जा सकती है तो भी कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों को नियुक्त करने के बजाय तत्काल संकट को पूरा करने के लिए फीडर पद से अगले पदोन्नति पद पर व्यक्तियों को पदोन्नत करने में कोई प्रतिबंध नहीं है।
यह तर्क दिया गया कि यह नियमित कर्मचारियों को पदोन्नति के लिए विचार किए जाने से वंचित करने के बराबर होगा, जबकि उनके पास उक्त नियमों के तहत पदोन्नति के लिए विचार किए जाने के लिए अपेक्षित योग्यताएं और अनुभव हैं।
पक्षकारों की दलीलें सुनने के बाद पीठ ने याचिकाकर्ताओं की दलीलों में योग्यता पाई और माना कि राज्य संवेदनशील, स्वीकृत पदों पर संविदा नियुक्तियां करके जिला न्यायपालिका की जरूरतों को पूरा नहीं कर सकता, क्योंकि इससे समस्याओं का समाधान होने की बजाय और अधिक समस्याएं पैदा होंगी।
इसलिए इसने राज्य को किसी भी भर्ती अधिसूचना के साथ आगे नहीं बढ़ने का निर्देश दिया और कहा कि इस बीच उक्त पदों पर कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर नियुक्त किसी भी व्यक्ति के पक्ष में कोई समानता नहीं बनाई जाएगी।
केस टाइटल: पश्चिम बंगाल न्यायालय कर्मचारी संघ बनाम पश्चिम बंगाल राज्य और अन्य।