फेसबुक सेक्सुअल हैरेसमेंट: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने आरोपी को आपराधिक कार्यवाही रद्द करने की शर्त के रूप में 50 पेड़ लगाने का आदेश दिया
Facebook Sexual Harassment- उत्तराखंड हाईकोर्ट ने सेक्सुअल हैरेसमेंट मामले में एक अजीबोगरीब आदेश दिया। हाईकोर्ट ने फेसबुक पर एक महिला का यौन उत्पीड़न करने के आरोपी को उसके खिलाफ लंबित आपराधिक कार्यवाही को इस शर्त पर रद्द करने का आदेश दिया कि वो 50 पेड़ लगाए।
जस्टिस शरद कुमार शर्मा की सिंगल बेंच ने आरोपी को राहत देते हुए कहा,
"आरोपी को सबक लेना चाहिए कि भविष्य में वो इस तरह के अपराधों में शामिल नहीं होगा और उसे ये सोचना चाहिए कि फ्रेंडली फ्रेंडशिप की पवित्रता को कैसे स्वीकार किया जाए।"
आइए पहले पूरा मामला समझ लेते हैं। आरोपी व्यक्ति ने शिकायतकर्ता को फेसबुक पर फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी। लड़की ने रिक्वेस्ट एक्सेप्ट किया। कुछ दिनों के बाद आरोपी ने लड़की को अश्लील और आपत्तिजनक वीडियो और तस्वीरें भेजना शुरू कर दिया।
इसको लेकर लड़की ने आरोपी के खिलाफ IPC की धारा 354 A और आईटी एक्ट की धारा 67 और 67ए के तहत एफआईआर दर्ज कराई। की गई थी। पुलिस ने चार्जशीट दायर की और आरोपी को समन जारी किया गया।
आपराधिक कार्यवाही रद्द करने की मांग करते हुए आरोपी ने सीआरपीसी की धारा 482 के तहत हाईकोर्ट का रुख किया।
मामले में दोनों पक्षों की ओर से हलफनामा दाखिल कर बताया गया कि उन्होंने समझौते के आधार पर केस को खत्म करने का फैसला लिया है।
शिकायतकर्ता के मुताबिक आरोपी ने उससे मांफी मांगी, जिसे उसने स्वीकार कर लिया।
हालांकि सरकारी वकील ने समझौते का विरोध किया और कहा- आईपीसी की धारा 354ए के तहत अपराध सीआरपीसी की धारा 320 के तहत समझौता योग्य नहीं है।
दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि आईपीसी की धारा 354ए के तहत अपराध राज्य के खिलाफ अपराध है। फिर भी दोनों पक्षों के बीच हुए समझौते को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने कार्यवाही रद्द करना उचित समझा।
लेकिन लंबित मामले को रद्द करने से पहले अदालत ने एक बहुत ही अनोखी शर्त रखी, जिसमें आरोपी को एक महीने के भीतर बागवानी विभाग की सहायता से 50 पेड़ लगाने का आदेश दिया।
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अगर आरोपी इस शर्त का पालन करने में विफल रहता है, तो उसके खिलाफ मुकदमा चलाया जाएगा।
कोर्ट ने आदेश दिया,
“उद्यान विभाग के सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी किए जाने वाले 50 पेड़ों के रोपण का प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने पर ही, जिसे सक्षम न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करना होगा, इसके बाद ही आपराधिक कार्यवाही समाप्त की जाएगी।“
केस टाइटल: नीरजा किरोला बनाम उत्तराखंड राज्य एवं अन्य।
केस नंबर: C482 of 2023
आदेश दिनांक: 19 जुलाई, 2023
आवेदक के वकील: धर्मेंद्र बर्थवाल, अधिवक्ता
उत्तरदाताओं के लिए वकील: सुश्री ममता जोशी, सरकार। राज्य के लिए वकील; श्री पारितोष डालाकोटी, निजी प्रतिवादी के वकील
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