'सब कुछ चल रहा है, आप राम लीला खोल रहे हैं': दिल्ली हाईकोर्ट ने हर्बल हुक्का पर प्रतिबंध के मामले पर दिल्‍ली सरकार से पूछा

Update: 2021-10-09 07:06 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को COVID-19 के बीच रेस्तरां और बार में हर्बल हुक्का की बिक्री और परोसने पर रोक के खिलाफ दायर याचिका पर दिल्ली सरकार के रुख पर नाखुशी जाहिर की।

जस्टिस रेखा पल्ली ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर के एक आदेश के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थीं, जिसमें रेस्तरां और बार में हर्बल हुक्का की बिक्री और उन्हें परोसने पर पर रोक लगाई गई थी। अदालत ने कहा कि वह दिल्ली सरकार के रुख की सराहना करने में असमर्थ है क्योंकि यह उम्मीद थी कि जीएनसीटीडी दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा 3 अगस्त, 2020 को जारी आदेश के आलोक में इस मामले पर पुनर्विचार करेगा।

जीएनसीटीडी की ओर से पेश एडवोकेट संतोष कुमार त्रिपाठी ने प्रस्तुत किया कि दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अनुसार, उक्त आदेश एक अलग एजेंसी द्वारा पारित किया गया था, जो दिल्ली सरकार का स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग है और अदालत विभाग के प्रमुख सचिव को निर्देश दे सकती है कि वह याचिका को एक प्रतिनिधित्व के रूप में स्वीकार करें, जिसमें प्रतिनिधिमंडल मिल सकता है और प्राधिकरण को समझाने के बाद इस मुद्दे पर फैसला कर सकता है।

इस पर कोर्ट ने कहा, "उनके पास एक अधिकार है। उन्हें समझाने का सवाल ही नहीं है। डीडीएमए क्या कर रहा है? इस पर पुनर्विचार क्यों नहीं कर रहा है?"

हालांकि दिल्ली सरकार का यह स्टैंड था कि डीडीएमए के एक अलग प्राधिकरण होने के नाते, COVID-19 महामारी के संबंध में आदेशों सहित किसी अन्य एजेंसी द्वारा पारित आदेशों पर कोई नियंत्रण नहीं था।

इस पर कोर्ट ने कहा, "आप मुझे कोई कारण नहीं बता रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग भी आपकी सरकार है, नहीं? आप जीएनसीटीडी के लिए हैं। आपको मुझे बताना होगा। मुझे मंत्रालय से ऐसा करने की उम्मीद है। आप दोनों के लिए पेश हो रहे हैं।"

कोर्ट ने आगे कहा, "आप राम लीला खोल रहे हैं। सब कुछ चल रहा है, आपको मुझे बताना होगा।"

तदनुसार, न्यायालय ने दिल्ली सरकार को स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग को उक्त पहलू पर पुनर्विचार करने के लिए सक्षम बनाने के लिए और समय दिया।

मामले की अगली सुनवाई 18 अक्टूबर को सूचीबद्ध की गई है। इससे पहले भी कोर्ट ने COVID-19 के बीच रेस्तरां और बार में हर्बल हुक्का की बिक्री और परोसने पर रोक को चुनौती देने वाली याचिका में दिल्ली सरकार द्वारा दायर हलफनामे पर नाराजगी व्यक्त की थी ।

न्यायालय द्वारा दिल्ली सरकार को एक नया हलफनामा दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया गया था, जो विशेष रूप से यह दर्शाता है कि उक्त आदेश पर पुनर्विचार किया गया है या नहीं।

डीडीएमए द्वारा जारी आदेश के अनुसार, चूंकि धूम्रपान करने वालों को COVID-19 की चपेट में आने की संभावना है, और चूंकि हुक्का के उपयोग और साझा करने से वायरस का प्रसार और बढ़ सकता है, इसलिए कहा गया था, "...दिल्ली महामारी रोग, COVID-19, विनियम, 2020 द्वारा महामारी रोग अधिनियम, 1897 के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, हुक्का का उपयोग (तंबाकू के साथ या बिना, यानी हर्बल हुक्का, पानी के पाइप और अन्य हुक्का जैसे उपकरण) राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के होटल, रेस्तरां, भोजनालय, बार, पब, डिस्को थेक आदि सहित सभी सार्वजनिक स्थानों पर महामारी रोग के प्रकोप की रोकथाम और नियंत्रण के उद्देश्य से तत्काल प्रभाव से सख्त वर्जित है.."

इससे पहले, कोर्ट ने दिल्ली सरकार के आपदा प्रबंधन प्राधिकरण से कहा था कि वह तत्काल आधार पर रेस्तरां और बार को हर्बल हुक्का परोसने और बेचने की अनुमति देने के मुद्दे पर विचार करे और हल करे।

याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया था कि ग्राहकों को उनके द्वारा संचालित रेस्तरां और भोजनालयों में अलग-अलग हुक्का प्रदान किया जाता है और उन्हें किसी भी कीमत पर अन्य ग्राहकों के साथ साझा नहीं किया जाता है।

केस शीर्षक: Breathe Fine Lounge And Bar v. GNCTD; MS Tos Through Its Director v. GNCTD & ANR.

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