'राजनीतिक दल यह सुनिश्चित करें कि सभा में उपस्थित सभी लोग मास्क पहनेंगे, सोशल डिस्टेंसिंग नियम का पालन किया जाएगा': मद्रास हाईकोर्ट

Update: 2021-03-26 04:29 GMT

मद्रास हाईकोर्ट ने सोमवार (22 मार्च) को महामारी के कारण सभी चुनाव प्रचार रोकने के लिए चुनाव आयोग और राज्य सरकार को निर्देश देने की मांग वाली याचिका पर यह देखते हुए हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया कि विधानसभा चुनाव अधिसूचित किया जा चुका है।

मुख्य न्यायाधीश संजीब बनर्जी और न्यायमूर्ति सेंथिलकुमार राममूर्ति की खंडपीठ ए. जालुद्दीन की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, इसमें तमिलनाडु राज्य के विधानसभा चुनाव में 234 निर्वाचन क्षेत्रों में चुनाव प्रचार को रोकने के लिए निर्देश देने की मांग की गई थी।

याचिकाकर्ता ने 2 मार्च, 2021 को इस तरह के चुनाव अभियान को रोकने के लिए आवेदन किया। याचिकाकर्ता के मुताबिक अधिकारियों ने उन्हें कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और न ही कोई कार्रवाई की गई। इसके बाद याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि,

"इसमें कोई संदेह नहीं है कि हाल के दिनों में COVID19 के मामले बढ़ रहे हैं और कोरोना की दूसरी लहर हमारे सामने है। चूंकि विधानसभा चुनाव अधिसूचित किया चुका है और इसकी मतदान की प्रक्रिया 6 अप्रैल, 2021 को पूरी हो जाएगी। इस स्तर पर इसमें हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता है।"

हालांकि, याचिका को सभी राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों से यह अनुरोध करके निपटाया गया कि चुनाव के दौरान राजनीतिक दल और उम्मीदवार बैठकें आयोजित करते हैं और पूरे राज्य में प्रचार करते हैं, इस दौरान यह सुनिश्चित करना होगा कि हर सभा में सभी मास्क पहनें और सोशल डिस्टेंसिंग जैसे सुरक्षा मानदंडों का पालन किया जाए।

पीठ ने कहा कि,

"अगर चुनाव आयोग द्वारा सभी उम्मीदवारों को चुनाव प्रचार और आयोजित बैठकों और इस तरह के सभी समारोहों के संबंध में इस तरह के सेफ्टी गाइडलाइंस का पालन के लिए संदेश भेजा जाए तो यह काफी अच्छा होगा।"

संबंधित समाचार में मद्रास हाईकोर्ट ने मंगलवार (23 मार्च) को कहा था कि एक आदर्श स्थिति में ऐसा होना चाहिए कि चुनाव के उद्देश्य किए जा रहे प्रचार के लिए सरकारी अधिकारी कार्यालय की सुविधाओं का लाभ न उठा सकें।

मुख्य न्यायाधीश संजीब बनर्जी और न्यायमूर्ति सेंथिलकुमार राममूर्ति की खंडपीठ मंत्रियों पर चुनाव प्रचार करने से रोकने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी, क्योंकि उन्हें सार्वजनिक कार्यालय प्राप्त है, सरकार से वेतन लेते हैं और इसलिए वे अनुचित प्रभाव डालने की स्थिति में हैं।

कोर्ट ने कहा था कि,

"चुनाव आयोग मॉडल कोड में इंगित मौजूदा दिशानिर्देशों के अलावा कुछ दिशानिर्देशों को लागू कर सकता है, कम से कम यह सुनिश्चित करने के लिए कि सरकारी फंड का उपयोग प्रचार के लिए नहीं किया जाएगा जैसा कि आमतौर पर वर्तमान में किया जा रहा है।"

इसके अलावा द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) ने बुधवार (24 मार्च) को मद्रास उच्च न्यायालय के समक्ष याचिका दायर की, इसमें राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष हो इसके लिए चुनाव आयोग की ओर से कुछ दिशा-निर्देश दिए जाने की मांग की गई थी।

केस का शीर्षक – ए. जालुद्दीन बनाम तमिलनाडु राज्य [W.P.(MD)No.5766 of 2021]

आदेश की कॉपी यहां पढ़ें:



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