स्टे ऑर्डर के बावजूद शो कॉज नोटिस जारी करने के लिए ED असिस्टेंट डायरेक्टर ने हाई कोर्ट में मांगी माफी
एनफोर्समेंट (ED) के असिस्टेंट डायरेक्टर विकास कुमार ने सोमवार को मद्रास हाईकोर्ट में फिल्म प्रोड्यूसर आकाश भास्करन को हाईकोर्ट के स्टे के बावजूद शो कॉज नोटिस जारी करने के लिए बिना शर्त माफी मांगी।
यह माफी जस्टिस एमएस रमेश और जस्टिस वी लक्ष्मीनारायणन की बेंच के सामने मांगी गई। कोर्ट भास्करन द्वारा दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें आरोप लगाया गया कि हाईकोर्ट द्वारा जारी स्टे के बावजूद कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जांच जारी रखी गई।
आकाश भास्करन ने बिजनेसमैन विक्रम रविंद्रन के साथ मिलकर ED की कार्रवाई को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट का रुख किया था, जिसमें कथित तौर पर उनके ठिकानों की तलाशी और सील किया गया। आरोप है कि ED ने याचिकाकर्ताओं के रिहायशी फ्लैट और ऑफिस को सील कर दिया, क्योंकि तलाशी के समय वह बंद हैं।
इसके बाद कोर्ट ने डायरेक्टोरेट को वे दस्तावेज पेश करने का निर्देश दिया, जिनके आधार पर ED ने कार्रवाई शुरू की। दस्तावेजों की जांच करने पर कोर्ट ने माना कि जिस ऑथराइजेशन के आधार पर ED ने याचिकाकर्ताओं के ऑफिस और घरों में तलाशी ली थी, वह पहली नज़र में अधिकार क्षेत्र से बाहर है, क्योंकि उनके खिलाफ कोई आपत्तिजनक सामग्री नहीं है। कोर्ट ने यह भी पाया कि ED द्वारा पेश की गई सामग्री में ऐसी कोई जानकारी नहीं है, जिसके आधार पर ED ने याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई करने का फैसला किया हो।
इसलिए कोर्ट ने 20 जून, 2025 को याचिकाकर्ताओं के खिलाफ ED द्वारा शुरू की गई सभी कार्यवाही पर रोक लगा दी।
भास्करन ने यह अवमानना याचिका दायर करते हुए आरोप लगाया कि उन्हें एडजुडिकेटिंग अथॉरिटी से एक शो कॉज नोटिस मिला, जिसके साथ एक कवरिंग लेटर है, जिसमें PMLA की धारा 8(1) के तहत कारणों की रिकॉर्डिंग की कॉपी और धारा 8(1) के तहत नोटिस के संदर्भ में अनुपालन के लिए एक नोट, मूल आवेदन की एक कॉपी और निर्भर दस्तावेजों का एक सेट संलग्न है।
हालांकि, यह कहा गया कि शो कॉज नोटिस गलती से जारी हो गया होगा, कोर्ट ने अपनी नाराजगी व्यक्त की और असिस्टेंट डायरेक्टर को एक वैधानिक नोटिस जारी किया। हालांकि इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई, लेकिन इसे खारिज कर दिया गया।
इसके बाद असिस्टेंट डायरेक्टर ने बिना शर्त माफी मांगी। उनकी माफी को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने उन्हें आगे की कार्यवाही से बरी कर दिया।
Case Title: Akash Baskaran v The Joint Director and Others